तिब्बत और ताइवान को लेकर आया सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट, नेहरू-अटल से लेकर पीएम मोदी को भी घेरा
नई दिल्ली, 03 अगस्त। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दोनों ही प्रधानमंत्रियों की बेवकूफी की वजह से भारतीयों ने यह स्वीकार कर लिया है कि तिब्बत औत ताइवान चीन का हिस्सा है। यही नहीं स्वामी ने कहा कि चीन एलएसी को लेकर आपसी समझौते का भी सम्मान नहीं करता है, उसने लद्दाख के हिस्से पर कब्जा किया है। सुब्रमण्यम स्वामी यहीं नहीं रुके, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को भी आड़े हाथ लिया।
इसे भी पढ़ें- अमेरिका ने पुतिन की कथित गर्लफ्रेंड पर नए प्रतिबंध लगाए, वीजा किया फ्रीज
Recommended Video
पीएम मोदी पर भी कसा तंज
स्वामी ने कहा कि एक तरफ जहां चीन लद्दाख के हिस्से पर कब्जा कर रहा है तो दूसरी ओर पीएम मोदी कह रहे हैं कि कोई आया नहीं, यह स्तब्ध करने वाला है। स्वामी ने एक ट्वीट करके लिखा, नेहरू और अटल बिहारी की मूर्खता की वजह से हम भारतीय ने यह स्वीकार कर लिया है कि तिब्बत और ताइवान चीन का हिस्सा हैं। लेकिन अब चीन एलएसी को लेकर आपसी समझौते का भी सम्मान नहीं कर रहा है, उसने लद्दाख के हिस्से को भी कब्जा कर लिया है। लेकिन पीएम मोदी कह रहे हैं कि कोई आया नहीं। चीन को यह जानना चाहिए कि हमारे पास चुनाव है फैसला करने के लिए।
पेलोसी का ताइवान दौरा
सुब्रमण्यम स्वामी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी हाउस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान के दौरे पर हैं। चीन की धमकी के बावजूद पेलोसी ताइवान पहुंची हैं। पेलोसी के ताइवान दौरे के चलते अमेरिका और चीन के बीत संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पेलोसी के ताइवान दौरे की निंदा की है, उन्होंने कहा कि हम अमेरिका की हर उकसाने का जवाब देंगे। बता दें कि पिछले 25 साल में किसी भी शीर्ष अमेरिकी राजनेता ने ताइवान का दौरा नहीं किया है। नैन्सी के दौरे से पहले चीन ने 21 एयरक्राफ्ट ताइवान डिफेंस जोन में उड़ाकर अमेरिका को चेतावनी देने की कोशिश की थी, लेकिन बावजूद इसके पेलोसी ताइवान पहुंची।
एलएसी को लेकर तनाव
गौर करने वाली बात है कि भारत और चीन के बीच एलएसी को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए दोनों ही देशों के बीच सैन्य स्तर की 16 बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन बावजूद इसके अभी तक कोई पुख्ता समाधान सामने नहीं आ सका है। दोनों ही देशों के बीच लद्दाख में पीपी नंबर 15 पर सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर बैठक हुई। यही नहीं भारत ने बैठक में डेपसांग प्लेन और डेमचोक कि विवाद का मुद्दा भी चीन के सामने रखा। दोनों ही देश एलएसी पर तेजी से निर्माण कार्य कर रहे हैं। बहरहाल देखने वाली बात है कि क्या आने वाले समय में दोनों देशों के बीच एलएसी का विवाद खत्म होता है या फिर तनाव की स्थिति बनी रहती है।