कहानी 'बिकनी किलर' चार्ल्स शोभराज की
शोभराज जिसने जेल में दी थी जन्मदिन की पार्टी और फिर हो गए थे जेल से फरार.
'डॉन का इंतज़ार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है...'
करीब दो साल पहले रिलीज़ हुई 'मैं और चार्ल्स' में लीड रोल निभाने वाले रणदीप हुड्डा ने दावा किया था कि अमिताभ बच्चन की फ़िल्म 'डॉन' का ये मशहूर डायलॉग चार्ल्स शोभराज की निज़ी ज़िंदगी से लिया गया था.
चार्ल्स शोभार छह अप्रैल को वियतनाम में पैदा हुए थे और अब अपराध की दुनिया में वो एक किंवदंती बन चुके हैं.
फिलहाल नेपाल की एक जेल में बंद चार्ल्स शोभराज पर भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में हत्या के 20 से ज्यादा आरोप लगे. उन्हें सीरियल किलर कहा जाने लगा लेकिन अगस्त 2004 के पहले उन्हें ऐसे किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया.
भेष बदलने में महारथ और युवा महिलाओं की निशाना बनाने की फितरत की वजह से शोभराज के साथ 'द सर्पेंट' और 'बिकनी किलर' जैसे उपनाम भी जुड़ गए.
एक अपराधी के तौर पर शोभराज या तो चकमा देकर जेल से बाहर आते रहे या फिर अधिकारियों को रिश्वत देकर जेल में सुविधाएं हासिल करते रहे.
चार्ल्स पर फ़िल्म
माना जाता है कि शोभराज भारत के अलावा अफ़गानिस्तान, ग्रीस और ईरान की जेलों से भी चकमा देकर बाहर आ चुके हैं.
फ्रांस के पर्यटकों को ज़हर देने के मामले में उन्होंने भारत की जेल 20 साल की सज़ा काटी.
लेकिन एक अपराधी के तौर पर उनकी ज़िंदगी की कहानी इस कदर उत्सुकता जगाती है कि जब साल 1997 में वो भारत की जेल से बाहर आए तो फ्रांस के एक अभिनेता- प्रोड्यूसर ने उनके जीवन पर आधारित फ़िल्म और किताब के अधिकार कथित तौर पर 1 करोड़ 50 लाख डॉलर यानी करीब 97 करोड़ रुपये में हासिल किए.
अब 73 बरस के हो चुके चार्ल्स शोभराज का जन्म वियतनाम के साइगॉन में 6 अप्रैल 1944 को हुआ था. उस वक्त साइगॉन पर जापान का कब्ज़ा था. फ्रांसीसी उपनिवेश में पैदा होने की वजह से उन्हें फ्रेंच नागरिकता हासिल हो गई.
उनकी मां वियतनाम की नागरिक थीं और पिता भारतीय थे. पिता ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया था.
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आपराधिक जीवन
पिता की ओर से ठुकराए जाने को लेकर शोभराज के मन में काफी नाराजगी थी. उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, "मैं आपको इस बात के लिए खेद जताने पर मजबूर कर दूंगा कि आपने एक पिता कर्तव्य नहीं निभाया."
ये माना जाता है कि साल 1963 में एशिया की यात्रा के दौरान शोभराज ने अपने आपराधिक जीवन की शुरुआत की.
जानकारों का कहना है कि आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का उनका तरीका हमेशा एक सा था. वो ड्रग्स लेने वाले फ्रेंच और अंग्रेजी भाषी पर्यटकों से दोस्ती गांठते और फिर उनकी हत्या कर देते थे.
साल 1972 से 1982 के बीच शोभराज हत्या के बीस से ज्यादा आरोप लगे. इन तमाम मामलों में पीड़ितों को ड्रग्स दिया गया था. उनका गला दबाया गया था. मारा गया था या फिर उन्हें जला दिया गया था.
कहा जाता है कि हिंसा करने की चार्ल्स की ताकत का मुक़ाबला सिर्फ उनके जेल से भाग निकलने से ही किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी शोभराज को दोषी पाया
जेल में पार्टी
साल 1971 में चार्ल्स शोभराज अपेंडिसाइटिस का बहाना करके जेल से बाहर आए और अस्पताल से फरार हो गए.
उन्हें साल 1976 में दोबारा गिरफ़्तार किया गया. दस साल बाद उन्होंने जेल से भाग निकलने के लिए कहीं ज्यादा दुस्साहसी तरकीब अपनाई.
शोभराज ने जेल में जन्मदिन की पार्टी रखी. इसमें कैदियों के साथ गार्डों को भी बुलाया गया.
पार्टी में बांटे गए बिस्कुट और अंगूरों में नीद की दवा मिला दी गई थी. थोड़ी देर में शोभराज और उनके साथ जेल से भागे चार अन्य लोगों के अलावा बाकी सब निढाल हो गए.
भारतीय अख़बारों में आई रिपोर्टों के मुताबिक शोभराज बाहर आने को लेकर इस कदर आश्वस्त थे कि उन्होंने जेल के गेट पर तस्वीर भी खिंचाई.
रिचर्ड नेविल की बायोग्राफी में चार्ल्स शोभराज कहते हैं, "जब तक मेरे पास लोगों से बात करने का मौका है, तब तक मैं उन्हें बहला-फुसला सकता हूं."
शातिर दिमाग
जेल से भागने के बाद शोभराज कथित तौर पर छुट्टियां मना रहे छात्र के तौर पर पेश आ रहे थे. उन्होंने बार में खुलेआम ड्रिंक्स का मज़ा लिया और अपने साथ पीने वालों को इटली में बनी पिस्तौल भी दिखाई.
लेकिन जल्दी ही उन्हें दोबारा गिरफ़्तार कर लिया गया. कहते है कि कि दस साल की जेल की सज़ा के आखिर में वो जान बूझकर भाग निकले जिससे वो दोबारा पकड़े जाएं और जेल से भागने के लिए उन पर अभियोग चलाया जाए.
ऐसा करके वो थाईलैंड प्रत्यर्पण से बच सकते थे. थाईलैंड में उन पर पांच हत्याओं के आरोप थे और ये लगभग तय था कि उन्हें मौत की सज़ा मिल सकती है.
साल 1997 में जब वो रिहा हुए तब तक बैंकॉक में उन पर मुकदमा चलाने की समय सीमा बीत चुकी थी.
नेपाल में गिरफ्तारी
साल 2003 में उन्हें नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक कसीनो से गिरफ़्तार किया गया.
उन पर फ़र्जी पासपोर्ट के जरिए यात्रा करने और कनाडा के एक नागरिक और अमरीका की एक महिला की हत्या के आरोप था. शोभराज ने ये हत्या कथित तौर पर 28 साल पहले की थी.
शोभराज ने आरोपों से इनकार किया लेकिन पुलिस ने दावा किया कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं.
मजेदार बात ये रही कि नेपाल में जेल में रहने के दौरान ही नेपाली महिला निहिता बिस्वास ने दावा किया कि उनकी और चार्ल्स की शादी हुई है.
साल 2004 में उन्हें सज़ा सुनाई गई. साल 2010 में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी.