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जब 'मिहिर' की मौत पर मच गई थी खलबली...कहानी अमर उपाध्याय की

'क्योंकि सास भी कभी बहू थी...' सीरियल में अमर उपाध्याय ने मिहिर विरानी की भूमिका निभाई थी. ये किरदार घर-घर में पसंद किया जाने लगा था.

By BBC News हिन्दी
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अमर उपाध्याय
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अमर उपाध्याय

टीवी के सबसे कामयाब धारावाहिकों की जब भी बात होती है, 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी...' का नाम ज़रूर आता है. तुलसी विरानी, मिहिर विरानी , करन विरानी...3 जुलाई 2000 को पहली बार टेलीकास्ट किए गए इस शो के कुछ ऐसे किरदार हैं जो दो दशक बाद भी ख़ूब याद किए जाते हैं. और इन सब किरदारों में सबसे ज़्यादा चर्चा जिस किरदार की होती है, वो है मिहिर विरानी.

वैसे तो मिहिर विरानी के रोल को कई लोगों ने निभाया था लेकिन पहली बार इस रोल को अमर उपाध्याय निभाते नज़र आए थे. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में जब मिहिर विरानी की मौत का एपिसोड टेलीकास्ट किया गया था तो देश के कई परिवार गमगीन थे, उस वक्त की चर्चा आप आज भी लाखों परिवारों में सुन सकते हैं.

ऐसे में बीबीसी हिन्दी के लिए नयनदीप रक्षित ने रील लाइफ के मिहिर विरानी यानी अमर उपाध्याय से ख़ास बातचीत की है. इस दौरान अमर उपाध्याय ने इस किरदार के मिलने और इससे जुड़े कई किस्से सुनाए हैं.

'मिहिर विरानी' को करना पड़ा था दोबारा ज़िंदा

अमर उपाध्याय कहते हैं कि मिहिर विरानी की मौत सीरियल में पहले से ही तय थी. वो कहते हैं, ''शुरुआत में ही मुझे बता दिया गया था कि 125वें एपिसोड में मिहिर की मौत हो जाएगी. धीरे-धीरे 120वां एपिसोड आ गया था, मैं तो डिप्रेस्ड हो गया था कि अब फिर से नया काम ढूंढना पड़ेगा.''

आख़िरकार 125वें एपिसोड में मिहिर विरानी को मरता दिखाया गया था. इसके बाद उसी रात को कई जगह दुख का माहौल था. अमर उपाध्याय बताते हैं कि उस रात वो कई लोगों को रोते हुए देख रहे थे. वो कहते हैं, ''मेरी मां मेरे बगल में ही बैठकर रो रही थी, मैं सोच रहा था अरे ये क्या हो गया, मैं तो ज़िंदा हूं, ये तो एक्टिंग है सिर्फ़. मेरा भाई भी रो रहा था, मैंने पूछा तुम्हें क्या हो गया तुम्हें, तुम तो बड़े टफ़ बंदे थे.''

अमर उपाध्याय बताते हैं कि इसी बीच उन्हें बालाजी के ऑफिस से फोन आया और बताया गया कि ऑफिस में फोन आने का सिलसिला थम नहीं रहा है. अमर बताते हैं, ''उन्होंने मुझसे कहा कि दलेर मेंहदी की पत्नी, अनिल कपूर की पत्नी तक ने एकता को फोन किया और सभी पूछ रहे हैं कि आख़िर मिहिर को क्यों मार दिया? फोन लगातार आ रहे हैं.''

इसके बाद अमर उपाध्याय को ऑफिस बुलाया गया जहां जश्न का माहौल था. वो शुरुआत में भरोसा ही नहीं कर सके कि आख़िर ये सब क्या हो रहा है. वो कहते हैं, ''मेरे पास अब मीडिया से फोन आने लगे थे. दो दिन में मैं एक न्यूज़ पेपर के फ्रंट पर था, हमारी टीआरपी तेज़ी से बढ़ी और हम केबीसी के पास पहुंच गए थे.''

कैसे मिला था मिहिर विरानी का किरदार?

'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' सीरियल में मिहिर विरानी का किरदार अमर उपाध्याय को सुबह मिला था और दोपहर में उसकी शूटिंग शुरू हो गई थी. अमर बताते हैं, ''मैं एक शो कर रहा था कन्यादान, अचानक से कन्यादान से मैं एग्जिट हो गया. इस एग्जिट के बारे में मुझे पता भी नहीं था, मैं थोड़ा नाराज़ भी हो गया था. उसी दौरान मुझे बालाजी से फोन आया. मुझसे कहा गया कि कल आप बालाजी ऑफिस आ जाइए. मैंने पूछा कि क्यों, अभी तो आप लोगों ने मुझे शो से निकाल दिया था. उन्होंने कहा कि वो सब छोड़िए, एक बहुत बड़ा शो आ रहा है. उसके लिए आपको एक छोटा सा स्क्रीन टेस्ट देना होगा. आगे उन्होंने कहा कि स्टार प्लस पर ये शो आ रहा है उसका नाम है-'क्योंकि सास भी कभी बहू थी'. मैंने नाम सुनकर कहा कि इसमें मैं क्या करूंगा. उन्होंने कहा कि आप हीरो हैं. मेरा एक शो बंद हो रहा था तो मैंने सोचा कि ये शो मुझे लेना ही होगा. ''

अमर उपाध्याय बताते हैं कि उस वक्त तक 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की शूटिंग शुरू हो चुकी थी. दो तीन एपिसोड शूट हो चुके थे और मिहिर विरानी के किरदार की एंट्री आगे थी. ''मैंने पूरे दिल से मिहिर विरानी के रोल के लिए ऑडिशन टेस्ट दिया था. क्योंकि मुझे पता था कि मेरा एक शो बंद हो रहा है. मेरा टेस्ट डायरेक्टर को अच्छा लगा था.''

उस वक्त तक अमर उपाध्याय को भरोसा नहीं था कि उनका टेस्ट अच्छा हुआ भी है या नहीं. इसके बाद वो टेस्ट एकता कपूर को दिखाया गया. वो कहते हैं, ''मुझे बताया गया कि मेरा सेलेक्शन हो गया है और मुझे कॉन्ट्रेक्ट साइन करने के लिए कहा गया. मुझे बताया गया कि कुछ देर में शूट है. मैं कंफ्यूज़ था कि पैसे की बात नहीं हुई है, अभी पूरी तरह कुछ भी नहीं हुआ है. मुझे अंदर ले जाया गया वहां सारी बात हुई और फिर मैंने मैकअप करके उस दिन का शूट पूरा किया.''

'केबीसी के साथ लॉन्चिंग का अनुभव अलग था'

'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के दौर का एक और अनुभव बताते हुए मिहिर कहते हैं कि ये शो, कौन बनेगा करोड़पति के साथ ही शुरू हुआ था. वो कहते हैं, ''ये पहली बार था जब अमिताभ बच्चन टीवी पर लॉन्च हो रहे थे. 9 से 10 बजे केबीसी को आना था और 10.30 बजे क्योंकि सास भी कभी बहू थी को टेलीकास्ट होना था. मैं बहुत एक्साइटेड था और हम ये उम्मीद कर रहे थे कि बच्चन साहब के केबीसी के बीच-बीच में हमारा भी विज्ञापन आ जाएगा.''

'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' को क्यों छोड़ना पड़ा था?

इतनी सफलता के बाद भी अमर उपाध्याय ने बाद में 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' सीरियल को छोड़ दिया था. इसके पीछे वो डेट्स को कारण बताते हैं. वो कहते हैं कि उस वक्त उनके पास ढेर सारा काम था. वो कहते हैं कि उन्होंने टीवी में अपने प्रोड्यूसर्स से दो-तीन महीने का ब्रेक देने के लिए भी कहा था ताकि वो कुछ फ़िल्मों को पूरा कर सकें. इसके बाद एक-एक करके शो छूटते गए.

'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' को छोड़ने के वक्त एकता कपूर के साथ अमर उपाध्याय के रिश्ते कैसे थे?

इस सवाल के जवाब में अमर कहते हैं, ''एकता और मेरे बीच तब भी दोस्ती थी लेकिन हम दोनों के बीच एक कम्यूनिकेशन गैप हो गया था. मैं अपनी बात सही तरह से उनतक पहुंचा नहीं सका था. लेकिन मैं ये पहले भी कह चुका हूं कि जो मिहिर का किरदार है वो एकता ने ही बनाया है. एकता कपूर ने मिहिर को सही तरह से बैक किया है.''

अपने करियर के उतार-चढ़ाव के बारे में अमर कहते हैं कि कभी-कभी ऐसा होता है कि सारी सकारात्मक चीज़ें एक साथ और सारी नकारात्मक चीज़ें एक साथ ही आती हैं. वो कहते हैं, ''उस दौरान क्योंकि.... छूट गया, मैं एक गाने की शूट पर गया था उस वक्त मेरी मां का निधन हो गया जो मेरी ज़िंदगी के सबसे परेशान करने वाले दिन थे. मैं थोड़ा डिप्रेस्ड ज़ोन में भी चला गया था.''

अमर उपाध्याय कहते हैं कि मेरी मां आज मेरे साथ इस घर में नहीं रहती हैं, उन्होंने ये घर नहीं देखा है. वो कहते हैं, ''मेरे पिता बैंकर थे, उनकी पिता से नहीं बनी और तब मेरे पिता दो छोटे बच्चों को लेकर घर से बाहर चले गए थे. तब उनकी कुछ 700 रुपये की नौकरी थी. उस 700-800 रुपये में जुहू के सेनेटोरियम में रहते थे हम. वहां हम अफोर्ड नहीं कर पाए वहां से हम कांदीवली चले गए और फिर उनको लोन मिला और उन्होंने 1Bhk का घर बनवाया, उस वक्त हम बड़े हो रहे थे हमारे स्कूल के और दूसरे खर्च़ थे. तो बचपन में हमने ख़ूब ख़ींचातानी देखी है उसी में हम बड़े हुए हैं.''

वो कहते हैं, ''मैंने मलाड में जब घर लिया तो मेरी मां बेहद खुश थी. यहां पर वो नहीं हैं. यहां सबकुछ है लेकिन उनकी कमी है. कुछ भी अच्छा करूंगा, बड़ा करूंगा तो मैं उन्हें याद करूंगा.''

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Story of Amar Upadhyay
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