एमनेस्टी इंटरेशनल के आरोपों को गृह मंत्रालय ने बताया गलत, कहा-नियमों का किया उल्लंघन
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने भारत में अपना कामकाज बंद कर दिया है। एमनेस्टी इंटरेशनल का कहना है कि केंद्र सरकार उसके खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है। इस पर अब गृह मंत्रालय की ओर से सफाई आई है। मंत्रालय ने कहा कि, उनका बयान दुर्भाग्यपूर्ण और सच से काफी दूर है। एफसीआईए को एक ही बार 20 साल पहले इजाजत मिली थी। एफसीआरए के नियमों में झांसा देने के लिए एमनेस्टी यूके ने भारत में रजिस्टर्ड 4 संस्थाओं के जरिए एफडीआई के बहाने पैसा भेजा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल का रुख और उसके बयान दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से दूर हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत केवल एक बार और वह भी 20 साल पहले (19.12.2000) को गृह मंत्रालय से अनुमति मिली थी।
गृह मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी की इन गैरकानूनी प्रथाओं के कारण, पिछली सरकार ने विदेशों से फंड प्राप्त करने के लिए एमनेस्टी के बार-बार आने वाले आवेदनों को भी खारिज कर दिया था। भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए एमनेस्टी स्वतंत्र है। हालांकि भारत विदेशी दान द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं को घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देता है। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और यह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।
बता दें कि, मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल मंगलवार को ऐलान किया कि उन्होंने भारत में अपना कामकाज रोक दिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार उसके खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है। उसके बैंक अकाउंट्स को पूरी तरह फ्रीज कर दिया गया है जिससे उसके लोगों को भारत में काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
संस्था का दावा है कि उसने दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों दिल्ली पुलिस से जवाबदेही की मांग की थी। साथ ही जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन पर केंद्र से सवाल पूछे थे। यही कारण है कि सरकार उसके खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है और उसकी वित्तीय परिसंपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। संस्था ने कहा कि बैंक अकाउंट्स फ्रीज करने की जानकारी उसे 10 सितंबर को मिली।
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