SPO की सूझबूझ से बची 10 जवानों की जान, गोद में गिरा ग्रेनेड और फिर....
सोपोर। लगातार जिस तरह से जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाए हो रही हैं, उसकी वजह से देश के जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है, लेकिन जिस तरह से स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया है उसकी वजह से 10 सैनिकों की जान जाने से बच गई है।
अगर इस एसपीओ ने अपनी सूझबूझ का परिचय नहीं दिया होता तो कम से कम 10 सुरक्षाकर्मियों की या तो जान चली जाती या फिर वह बुरी तरह से घायल हो जाते। रविवार की सुबह इस एसपीओ ने ग्रेनेड हमले को विफल करने में बड़ी सफलता हासिल की है। एसपीओ को सेना खास भर्ती के तहत सेवा में रखती है।
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अहमद लोन (बदला हुआ नाम) सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस का का हिस्सा हैं और वह बाटपोरा चौक सोपोर में तैनात थे। जिस वक्त लोन मोबाइल बुलेटप्रूफ बंकर वैन में बैठे थे जोकि एसबीआई बैं के पास सीआरपीएफ बटालियन के पास है। लोन अपने साथियों के साथ रोज की तरह ऑपरेशन के लिए जाने वाले थे, तभी सुबह तकरीबन 9.37 बजे एक मिलिटेंट जिसने अपना चेहर ढका हुआ था, आया और उसने बंकर की ओर हैंड ग्रेनेट फेंक दिया। यह लोन के गोद में आकर गिरा, लेकिन लोन ने तुरंत इस ग्रेनेट को सड़क पर फेंक दिया, जबकि दूसरे साथी ने तुरंत वैन का दरवाजा बंद कर दिया।
सूझबूझ से बची 10 जवानों की जान
आईजी ऑपरेशन, सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने बताया कि ग्रेनेड तुरंत सड़क पर फट गया, इसमें एक कॉस्टेबल और एसपीओ को मामूली चोट आई है। लेकिन अगर लोन ने इसे सड़क पर नहीं फेंका होता और घबरा गया होता तो ग्रेनेड बंकर को भारी नुकसान पहुंचा सकता था और कई जवान घायल हो सकते थे। हसन ने बताया कि लोन के सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई की वजह से बड़ी घटना टल गई और कम से कम 10 जवानों की जान बच गई।
25000 का ईनाम और पुलिस की नौकरी मिली
इस घटना के बाद सीआरपीएफ ने एसपीओ लोन को 25 हजार का इनाम जबकि साथ ही को 10 हजार रुपए का इनाम दिया है। साथ ही उनके नाम को जेके पुलिस में पर्मानेंट नौकरी के लिए भेजा गया है, जिसे डीजीपी ने स्वीकार कर लिया है। पुलिस में भर्ती से पहले लोन एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करते थे, उन्होंने यहां छह वर्ष तक काम किया। महज 15 साल की उम्र में अपने पिता की मदद करने के लिए उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उनके परिवार में छह लोग हैं, ऐसे में परिवार की मदद के लिए उनका नौकरी करना काफी जरूरी थी।