विश्व गौरैया दिवस: एक घर 300 घोंसले और सैकड़ों चिड़ियों का डेरा
आज 20 मार्च है यानि विश्व गौरैया दिवस आज हम आपको बताते हैं वाराणसी के सिगरा इलाके के श्रीनगर कॉलोनी के इंद्रपाल के घर में गौरैया संरक्षण के बारे में विशेष।
वाराणसी से खास रिपोर्ट
आज हम आपको एक दुर्लभ पक्षी गौरैया के बारे में बताने जा रहे हैं दुर्लभ इसलिए क्योंकि एक ज़माने में ये गौरैया लगभग हर किसी के आंगन में चहचहाते हुए दिखाई पड़ती थी परंतु व्यस्तता से भरी इस नई दुनिया में ये पंक्षी धीरे धीरे विलुप्त होने लगे हैं। वाराणसी से विश्व गौरैया दिवस पर ये खास रिपोर्ट।
कहाँ है चिड़ियों का बसेरा ?
आज 20 मार्च है यानि विश्व गौरैया दिवस आज हम आपको ले चलते है वाराणसी के सिगरा इलाके के श्रीनगर कॉलोनीें के इंद्रपाल के घर जहाँ ये और इनका परिवार है जिसने गौरैया को बचाने के लिए अपने निवास में ही गौरैया को संरक्षण देने की शुरुआत की है। कंक्रीट में तब्दील होता शहर में जहाँ इन चिड़ियों की चूं -चूं सुनना मुनासिब नहीं होता तो वहीं इस घर में चिड़ियों की आवाज हर कोने से सुनाई देती है ।पिछले 15 साल से चिड़ियां यहाँ अपना बसेरा बनाई हुई है ।
क्या कहतें है इंद्रपाल सिंह ?
वैसे तो इंद्रपाल पेशे से केटरिंग का काम करते है परंतु इस पंक्षी से इन्हें ऐसा लगाव हुआ कि इन्होंने अपने घर में ही इस पंक्षी को पालना शुरू कर दिया। आलम ये है कि अब इनके घर में लगभग 300 घोसले और सैकड़ो की संख्या में इन घोसलों में गौरैया रहती हैं और ये इनका पालन पोषण करते है। जिन बच्चों की माँ नही है उन्हें इंद्रपाल खुद पाल पोश के बड़ा करते है।
इनका पालन पोषण करेंगे इंद्रपाल सिंह
हाथों में ये छोटे छोटे बच्चों की माँ नही है परंतु इनका पालन पोषण इंद्रपाल करेंगे । हलाकि इंद्रपाल ने पूर्व में उत्तरप्रदेश की सरकार से ये गुजारिश की थी कि इस विलुप्त होती प्रजाति के संरक्षण के कुछ उपाय किये जाये जिसमे वो सरकार की मदद करने को तैयार है परंतु कुछ हुआ नही वही अब नयी सर्कार से भी इंद्रपाल अपील कर रहे है कि उनकी बातों को ध्यान में रख कर गौरैया को संरक्षण करने की कोसिस की जाये।
परिवार भी शामिल है इस मुहिम में
इंद्रपाल की पत्नी सोनिया बताती हैं कि उनके बच्चे इन्ही गौरैया के साथ खेलते खेलते बड़े हुए हैं। आज उनकी लड़की देलही में पढाई करती है परंतु हर रोज फ़ोन करके वो इन गौरैया की खबर लेती है और जब भी बनारस आती है इनके लिए बिस्कुट का पैकेट लेकर घर आती है।
इंसानियत की मिसाल
थकान से भरी इस दुनिया में जहाँ इंसान को इंसान की फ़िक्र नही है वही ये परिवार इन चिड़ियों को संरक्षण दे रहा है और इनका पालन पोषण कर रहा है। इंसानियत की मिसाल ऐसे कम ही देखने को मिलती है।
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