एक्टर सोनू सूद की बढ़ी मुश्किल, बॉम्बे कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
मुंबई, 17 जून। फिल्म अभिनेता सोनू सूद अक्सर किसी ना किसी की मदद करने की वजह से सुर्खियों में रहते हैं लेकिन अब कोरोना काल में जिस तरह से सोनू सूद की संस्था ने दवा आदि का इंतजाम किया उसके चलते उनकी मुश्किल बढ़ गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह विधायक जीशान सिद्दीकी और एक्टर सोनू सूट के ट्रस्ट सोनू चैरिटी फाउंडेशन के खिलाफ जांच करे कि आखिर इन लोगों ने बिना लाइसेंस कैसे रेमडिसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई की।
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बिना लाइसेंस कैसे बाटें गए इंजेक्शन
एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंबकोनी ने जस्टिस एसपी देशमुख और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की डिवीजन बेंच को बताया कि सिद्दीकी के ट्रस्ट बीडीआर फाउंडेशन के खिलाफ क्रिमिनल केस मजगांव मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया गया था, जिस ट्रस्टी ने रेमडिसिवीर मुहैया कराया उसके पास लाइसेंस नहीं है। लेकिन कांग्रेस विधायक के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराया गया क्योंकि उन्होंने सिर्फ इंजेक्शन की सप्लाई की थी। कोर्ट ने पूछा आखिर विधायक के खिलाफ केस क्यों दर्ज नहीं किया गया क्या यह अपराध नहीं है कि आप इंजेक्शन को लेते हैं और फिर इसकी सप्लाई करते हैं। हमारे फैसले से पहले इसकी जांच करिए।
आम लोगों के बीच गलत संदेश
एडवोकेट जनरल ने कहा कि मैं सिर्फ मामले की जानकारी दे रहा हूं, सिद्दीकी के खिलाफ कोई केस रिपोर्ट नहीं किया गया है, जिन लोगों ने उन्हें संपर्क किया उन्होंने बस उन्हें डायरेक्ट किया। बेंच ने पूछा कि तो इसका मतलब है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति के द्वारा किया गया है। क्या किसी डायरेक्ट करना अपराध नहीं है, कोर्ट ने यह भी कहा कि इसकी जांच करिए कि ट्रस्ट ने जो इंजेक्शन दिए क्या वह ठीक थे। यह सही संदेश नहीं है कि कोई भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करे और कहे वो व्यक्ति आपकी मदद के लिए आ रहा है। इससे यह संदेश जाता है कि सरकार सबकुछ कर रही है लेकिन फिर भी एक समानांतर व्यवस्था चल रही है।
सोनू सूद औ विधायक की हो जांच
कोर्ट ने पूछा कि क्या केवल चैरिटेबल ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई करना ही पर्याप्त था, क्या सिद्दीकी और सोनू सूद की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए या फिर कोई और जो भी इससे जुड़ा हो। आखिर इन लोगों के काम की जांच कौन करेगा। हम चाहते हैं कि आप इसकी गंभीरता से जांच करें। दोनों ही लोग आम जनता से सीधे संवाद कर रहे थे, क्या लोगों के लिए संभव था कि वो दवा की गुणवत्ता की जांच कर सके.