कुछ कोरोना मरीजों का यहां हो रहा अब एक खास आश्रम में इलाज
नई दिल्ली- देश की राजधानी और आर्थिक राजधानी दोनों इस वक्त कोरोना वायरस की गिरफ्त में बुरी तरह फंस चुके हैं। फिलहाल, अभी तक इसमें मुंबई में संक्रिमितों की संख्या दिल्ली से ज्यादा है। रविवार सुबह तक मुंबई में कोरोना पॉजिटिव की कुल संख्या 64 हजार के पार हो चुकी थी और मौतों के आंकड़े भी 34 सौ से ज्यादा हो चुके थे। जाहिर है कि बढ़ते मामलों के चक्कर में वहां अस्पतालों में बेड काफी कम पड़ चुके हैं। इसके लिए मुंबई पोर्ट ट्रस्ट अस्पताल ने एक नायाब तरीका निकाला है। उन्होंने अपने कैंपस में एक पुरानी पड़ी बिल्डिंग को असिम्पटोमेटिक मरीजों के इलाज के लिए आश्रम में परिवर्तित कर दिया। इस नए आश्रम अस्पताल का सफलता का प्रतिशत अभी तक सौ है।
आश्रम में हो रहा है कोरोना मरीजों का इलाज
कोरोना पॉजिटिव केसों में इजाफे की बीच अब राजधानी दिल्ली जैसे शहरों में होटलों को अस्पतालों से अटैच किया जा रहा है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में तो शुरू से एयरपोर्ट के आसपास के होटलों को क्वारंटीन फैसिलिटी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन, मुंबई के बीचों-बीच शायद देश का पहला आश्रम बनाया गया है, जहां पर कोरोना पॉजिटिव मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इस आश्रम का विकास मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने किया है, जिसमें कोविड-19 के संक्रमित मरीजों के लिए सूरज की भरपूर रोशनी और स्वच्छ हवा के साथ-साथ योग और मोडिटेशन का भी खास प्रबंध किया गया है। इसके चेयरमैन संजय भाटिया के मुताबिक पोर्ट ट्रस्ट के अस्पताल के पास ही पुरानी और उपेक्षित पड़ी इमारत को आश्रम में तब्दील कर दिया गया है। ट्रस्ट का अस्पताल उसके स्टाफ, उनके परिवारों और पेंशनभोगियों के लिए है।
मुंबई में कोविड केयर आश्रम
करीब 1.5 एकड़ के इलाके में फैला कोविड केयर आश्रम खूबसूरत गार्डन और पेड़ों की हरियाली के बीच मौजूद है। सबसे खास बात ये है कि खुद संजय भाटिया ने यहां रह रहे कोरोना मरीजों के लिए योग टीचर की भी भूमिका निभानी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि 70 बिस्तरों वाले आश्रम में इस वक्त कम से कम 20 पॉजिटिव मरीज दाखिल हैं, लेकिन अगर आवश्यकता होगी तो वो और मरीजों को यहां पर रखने के लिए तैयार हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है कि अस्पताल से आश्रम में रहने के लिए मरीजों का आना उनकी इच्छा पर निर्भर है। इसके लिए आवश्यक है कि उन मरीजों में इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हों और उनकी उम्र 50 साल से ज्यादा नहीं हो। जिन कोरोना मरीजों को अस्पताल से एंबुलेंस के जरिए आश्रम में शिफ्ट किया जाता है, उनपर दो दिनों तक बहुत ज्यादा निगरानी रखी जाती है। आश्रम में मरीजों को आठ दिनों तक कठिन दिनचर्या का पालन करना होता है। इनके दिन की शुरुआत सुबह 6.30 बजे चाय के साथ शुरू होती है और रात में 9.30 बजे उन्हें सोने के लिए जाना होता है। दिन में खाने के बाद 1.5 घंटे का ब्रेक मिलता है।
अबतक 100 फीसदी मरीज हुए ठीक
आश्रम में इलाज कराने आने वाले मरीजों के उपचार में काढ़ा, स्टीम लेना और गर्म पानी से गरारे करना शामिल है। बिना लक्षणों वाले मरीजों को दिन में दो बार अपनी सेहत की जांच करवानी होती है और अबतक यहां मरीजों के स्वस्थ होकर घर जाने का आंकड़ा 100 फीसदी है। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट का कहना है कि उसने जो असिम्पोटमेटिक मरीजों के लिए आश्रम में कोविड केयर सेंटर खोला है, उससे अस्पतालों पर दबाव कम होगा और ऐसे मरीजों को एक संपूर्ण उपचार मिल सकेगा। बता दें कि मुंबई पोर्ट ट्रस्ट अस्पताल अपने करीब एक लाख कर्मचारियों, उनके परिवारों और पेंशनभोगियों को सेवाएं देता है। ट्रस्ट ने जहां असिम्पोटमेटिक मरीजों के इलाज के लिए आश्रम की व्यवस्था की है, वहीं कोरोना मरीजों के बेहतर इलाज के लिए अपने अस्पताल में 120 बेड की फैसिलिटी को और भी बेहतर किया है। कोविड मरीजों के लिए यहां सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सुविधा की व्यवस्था की गई है और 25 बेड अलग से बाकी मरीजों के लिए तैयार रखा है। बता दें कि रविवार सुबह तक मुंबई में कोरोना संक्रमितों की तादाद देश में सबसे ज्यादा यानि 64,139 तक पहुंच चुकी है और इससे हुई मौतों का आंकड़ा 3,425 हो चुका है।
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