तो क्या भूख से नहीं हुई थी प्रेमनी कुंवर की मौत?
झारखंड में प्रेमनी कुंवर की मौत के मामले में नए तथ्य सामने आए हैं.
गढ़वा ज़िले की प्रेमनी कुंवर की मौत के मामले में नए तथ्य सामने आए हैं. पहले बताया गया था कि प्रेमनी कुंवर की मौत भुखमरी से हुई थी.
लेकिन ज़िला प्रशासन का अब कहना है कि प्रशासनिक जांच में पता चला है कि उनके पति मुटुर महतो की पहली पत्नी (अब मृत) शांति देवी का बैंक खाता भी वही (प्रेमनी कुंवर) संचालित करती थीं.
उन्होंने शांति देवी के खाते से पैसे भी निकाले थे. लिहाज़ा, उनके पास पैसे न होने का मामला सच नहीं है.
गढ़वा की उपायुक्त (डीसी) नेहा अरोड़ा ने बताया कि हमारी जांच अभी जारी है. शुरुआती तौर पर हमें कुछ जानकारियां मिली हैं, जिससे साबित होता है कि प्रेमनी कुंवर की मौत भूख से नहीं हुई थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि उनके पेट में फूड ग्रेन्स (अन्न के दाने) मिले हैं.
किसने खुलवाया था बैंक खाता?
डीसी नेहा अरोड़ा ने बीबीसी से कहा, ''जांच के दौरान पता चला है कि शांति देवी के नाम पर चल रहे बैंक खाते का संचालन प्रेमनी कुंवर ही करती थीं. उन्होंने पिछले महीने शांति देवी के खाते से तीस हज़ार रुपये भी निकलवाए थे.''
''अब हम लोग इसकी जांच कर रहे हैं कि यह बैंक खाता किन लोगों ने खुलवाया था. क्योंकि, शांति देवी की मौत 25 साल पहले हो चुकी है. जबकि यह बैंक खाता कुछ ही साल पहले खोला गया था. इसके दोषियों का पता चलते ही हम उनके ख़िलाफ़ पुलिस रिपोर्ट दर्ज करा देंगे.''
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कौन थीं प्रेमनी कुंवर
प्रेमनी कुंवर डंडा प्रखंड के कोरटा गांव निवासी मुटुर महतो की दूसरी पत्नी थीं. पति की मौत के बाद वे अपने 13 साल के बेटे उत्तम के साथ रहती थीं.
ख़बरें आई थीं कि पीडीएस (जन वितरण प्रणाली) डीलर ने उन्हें अगस्त और नवंबर का राशन नहीं दिया था. इस कारण वे अपने पड़ोसियों से मांगकर खाने का इंतज़ाम कर रही थीं.
27 नवंबर को वे अंतिम बार राशन डीलर के पास गयीं, लेकिन उन्हें राशन नहीं मिला. इसके तीन दिन बाद एक दिसंबर को उनकी मौत हो गई.
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भूख से मौत?
तब उनके बेटे उत्तम महतो ने बताया था कि चावल न होने के कारण मां की मौत के तीन दिन पहले से घर में खाना नहीं बन रहा था. इस कारण उनकी मौत हो गई.
इसके बाद माले और 'राइट टू फूड' कैंपेन के कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि प्रेमनी कुंवर की मौत भूख से हुई है. क्योंकि उनके घर में अन्न नहीं था और न ही पर्याप्त पैसा कि वे बाज़ार से चावल ख़रीद सकें.
वृद्धावस्था पेंशन दूसरे खाते में
राइट टू फूड कैंपेन ने तब कुछ काग़ज़ात जारी कर ख़ुलासा किया कि प्रेमनी कुंवर की वृद्धावस्था पेंशन कुछ महीने से उनके खाते में नहीं आ रही थी.
दरअसल, ग़लत आधार लिंक्ड हो जाने के कारण यह पैसा उनके पति की पहली पत्नी शांति देवी के खाते में जमा हो रहा था.
शांति देवी मुटुर महतो की पहली पत्नी थीं. उऩकी मौत 25 साल पहले हो चुकी है. उनके बच्चे प्रेमनी कुंवर के पड़ोस में रहते हैं.
'आधार लिंकिंग की ग़लती'
डंडा के प्रखंड प्रमुख वीरेंद्र चौधरी ने बताया कि शांति देवी की मौत के बाद मुटुर महतो ने प्रेमनी कुंवर से शादी की.
वे धनबाद में नौकरी करते थे और नौकरी से जुड़े काग़ज़ात में उनकी पत्नी के बतौर शांति देवी का उल्लेख था. इस कारण लोगों ने यह बात छिपा कर रखी कि शांति देवी की मौत हो चुकी है.
वीरेंद्र चौधरी ने बीबीसी को बताया कि पिपरा कला स्थित बैंक में शांति देवी के नाम का खाता साल 2007 में खोला गया. अब यह जांच का विषय है कि किसके सत्यापन के बाद यह खाता खोला गया और उसका संचालन कैसे होता रहा.
चौधरी ने बीबीसी से कहा, ''यदि डीबीटी सिस्टम नहीं होता तो यह बात परदे में ही रह जाती कि मृत शांति देवी के नाम पर बैंक खाता संचालित किया जा रहा है. जबकि प्रेमनी कुंवर का खाता स्टेट बेंक की डंडा शाखा में था. इसमें उनके वृद्दावस्था पेंशन की राशि आती थी.''
आगे वह बताते है, ''ग़लती से उनके आधार कार्ड को शांति देवी के बैंक खाते से लिंक्ड कर दिया गया और वह पैसा शांति देवी के अकाउंट में ट्रांसफ़र हो गया.''
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और भी हैं किस्से
इस बीच प्रेमनी कुंवर की मौत के बाद सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप में डंडा के प्रखंड प्रमुख वीरेंद्र चौधरी और कुछ दूसरे माले नेताओं के ख़िलाफ़ एक रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है.
वीरेंद्र चौधरी ने दावा किया है कि डंडा प्रखंड के 951 लोगों का राशन कार्ड आधार या मोबाइल से लिंक नहीं हो सका है. इस कारण भिखही गांव की कुंती देवी और रमपतिया देवी को पिछले नौ महीने से राशन नहीं मिल सका है.
इनके पीडीएस डीलर प्रमोद चौधरी का तर्क है कि इनका कार्ड आधार लिंक्ड नहीं होने के कारण उन्होंने राशन नही दिया.