Plastic Ban : वैकल्पिक उपायों के कच्चे माल पर GST घटाने की कवायद
सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) पर बैन के मद्देनजर वैकल्पिक उपायों की तलाश हो रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि SUP के अल्टरनेटिव के कच्चे माल पर GST कम करने के लिए दिल्ली सरकार केंद्र से अपील करेगी।
नई दिल्ली, 03 जुलाई : सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) पर बैन के फैसले के बाद दिल्ली सरकार SUP के विकल्प तलाश रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने SUP के विकल्पों पर चर्चा करने के लिए बैठक की। उन्होंने कहा कि SUP पर प्रतिबंध के तहत शामिल वस्तुओं के बारे में जनता और यहां तक कि कुछ सरकारी एजेंसियों के बीच बहुत भ्रम है। उन्होंने कहा, "हम अपनी प्रवर्तन टीमों के लिए एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेंगे ताकि प्रतिबंध को लागू करते समय कोई भ्रम न हो।" राय ने कहा कि अगर प्रतिबंधित उत्पादों के इस्तेमाल पर कार्रवाई की जाती है तो सरकार शिकायत दर्ज करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करेगी।
Plastic के विकल्पों पर विचार
दरअसल, एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लग गया है। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (SUP) के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर सरकार द्वारा प्रतिबंध के बावजूद सब्जी विक्रेताओं को प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग करते देखा जा रहा है। ऐसे उपयोगकर्ताओं व अन्य हितधारकों के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के दूसरे और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों (green alternatives) पर विचार हो रहा है। वैकल्पिक थैलों और पैकिंग मैटेरियल बनाने के लिए कच्चे माल पर उच्च जीएसटी दर भी चुनौती है। इस पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर केंद्र को पत्र लिखेगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्रालय की पहल
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि लोग सोचते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध का मतलब प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध है। इसलिए जनता में जागरूकता पैदा करने की तत्काल जरूरत है। उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार एक ऐसी वेबसाइट पर भी काम कर रही है, जिसमें प्रतिबंधित SUP आइटम, उनके विकल्प और विकल्पों के निर्माण के लिए कच्चे माल के स्रोतों से संबंधित जानकारी दी जाएगी।
प्लास्टिक का अंबार
गौरतलब है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के बेजा इस्तेमाल के कारण कई तरह के प्रदूषण हो रहे हैं। शहरों में डंपिंग यार्ड के आसपास प्लास्टिक का अंबार देखा जा सकता है। इसके अलावा नालियों और जलश्रोतों को जाम करने में भी फेंके गए प्लास्टिक की भूमिका होती है। बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) पर बैन का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं। मानदंडों के उल्लंघन के दायरे में SUP उत्पादन, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग जैसी गतिविधियों को भी रखा गया है। उल्लंघन होने पर कार्रवाई में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत एक लाख रुपये तक का जुर्माना या पांच साल तक की जेल या दोनों शामिल होंगे। उल्लंघन जारी रहने पर हर दिन के लिए पांच हजार रुपये तक अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।
किन चीजों पर प्रतिबंध है:
प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से कुछ चीजों की पहचान की गई है। स्थलीय और जलीय पारिस्थितिक तंत्र (terrestrial and aquatic ecosystems) पर एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का खराब असर पूरी दुनिया में चिंता का कारण है। बैन के दायरे में आने वाले सामानों पर एक नजर-
- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड्स
- गुब्बारों में लगने वाली प्लास्टिक की छोटी स्टिक
- प्लास्टिक के झंडे
- कैंडी में लगी स्टिक
- आइसक्रीम की स्टिक
- सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल)
- थर्मोकोल या प्लास्टिक वाले प्लेट, कप, गिलास
- कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे जैसे कटलरी
- मिठाई के डिब्बों, निमंत्रण कार्ड, और सिगरेट के पैकेट में रैपिंग या पैकिंग के लिए यूज होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक।
- प्लास्टिक या पीवीसी बैनर के आसपास 100 माइक्रोन और स्टिरर (stirrers) से कम की फिल्में।
सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प
सरकार और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के बजाय पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है। देश में कई छोटे उद्यम और उद्यमी हैं जो कागज, जूट, कांच, लकड़ी और मिट्टी के उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा कर सकते हैं। एक नजर सुझाए गए कुछ विकल्पों पर-
- कागज, जूट, कांच, लकड़ी और मिट्टी के पात्र बेहतर और कम लागत वाले विकल्प हो सकते हैं।
- विभिन्न धातुओं जैसे लोहा, क्रोमियम, निकल आदि से बने स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया जा सकता है।
- बांस एक प्रमुख विकल्प हो सकता है क्योंकि यह देश में बहुतायत में पैदा होता है। यह अत्यधिक बायोडिग्रेडेबल आइटम है।
- लकड़ी भी बायोडिग्रेडेबल है, और इसे सबसे अच्छे वैकल्पिक समाधान में से एक माना जाता है।
CPCB में नेशनल कंट्रोल रूम
सरकार की ओर से प्लास्टिक वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के प्रोसेस की उचित निगरानी का इंतजाम भी किया गया है। प्रतिबंध प्रभावी तरीके से लागू हो इसकी निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) में एक नेशनल कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसके अलावा राज्य के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्डों को सोशल मीडिया अभियान सहित व्यापक जागरूकता गतिविधियों को शुरू करने के लिए कहा गया है। प्लास्टिक से जुड़ी इंडस्ट्री, कॉलेजों, स्कूलों और अन्य संस्थानों में जागरुकता के लिए बैठकों के सुझाव दिए गए हैं।
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