कर्नाटक चुनाव में लिंगायत फैसले से भाजपा को कमजोर करने तैयारी में कांग्रेस
बेंगलुरू। कर्नाटक में दो महीने के भीतर होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, राज्य में कांग्रेस सरकार ने लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए केंद्र को सिफारिश करने का फैसला किया है। लिंगायत एक प्रभावशाली समुदाय है जिसे विपक्षी, भारतीय जनता पार्टी के प्रति वफादार मानते हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता वाली एक कैबिनेट बैठक में चर्चा के कुछ घंटे बाद, एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करने का निर्णय लिया। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 18 फीसदी है,उसे भाजपा के प्रति वफादार है। राज्य में बीजेपी का सबसे बड़े नेता और पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत हैं।
कांग्रेस सरकार पर हमलावर भाजपा
यदि लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक टैग मिलता है, तो उन्हें शैक्षणिक लाभ मिल सकते हैं और जो उनके द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों तक बढ़ा सकते हैं। भाजपा जो कर्नाटक जीतने की उम्मीद कर रही है, वो कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है। भाजपा की ओर से इसे एक विभाजनकारी कदम कहा गया है। कर्नाटक भाजपा ने ट्वीट किया था कि - अगर ढोंगी के लिए कोई ऑस्कर है तो वह राहुल गांधी को मिलना चाहिए।" उन्होंने आज कल में सभी के बीच एकता, प्रेम और बिरादरी के बारे में भावपूर्ण बातें की। उनके विद्रोही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बासवन्ना के अनुयायियों को अलग अल्पसंख्यक धर्म में विभाजित करने की सिफारिश की है।
लिंगायत स्वयं इस कदम पर विभाजित
लिंगायत स्वयं इस कदम पर विभाजित हैं; समुदाय के भीतर कई लोग मान रहे हैं कि इसका लाभ वीरशैव को नहीं दिया जाना चाहिए।, उनका दावा है कि वे हिंदू धर्म के शैव संप्रदाय का हिस्सा हैं। उत्तर कर्नाटक के कलबुर्गी में राज्य सरकार के इस फैसले का समर्थन करने और विरोध करने वालों के बीच झड़प हुई। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि फिलहाल कांग्रेस का यह फैसला मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। ऐसे कर के सिद्धारमैया की सरकार ने वोट बैंक का बंटवारा लगभग कर दिया है।एक ओर जहां कांग्रेस का मानना है कि लिंगायत समुदाय के लोग उन्हें वोट करेंगे तो वहीं वीरशैव समुदाय के लोगों का कहना है कि वो कांग्रेस के खिलाफ मतदान करने का प्रचार करेंगे।
भाजपा के लिए यह फैसला गलत समय पर
भाजपा के लिए यह फैसला गलत समय पर हुआ है। येदियुरप्पा जबकि खुद इसी समुदाय से आते हैं तो वो ना ही इसका विरोध कर सकते हैं ना ही इसके समर्थन में आने की स्थिति में हैं। हालांकि कई पार्टी नेताओं ने इसका विरोध किया है। कर्नाटक की भाजपा इकाई इस बात को लेकर आशंका में है कि आखिर बाकी लिंगायत समुदाय के गुरू और अन्य लोग इस विरोध पर क्या प्रतिक्रिया देंगे।