क्या भारत के गेहूं निर्यात प्रतिबंध से परेशान होगा पाकिस्तान?
भारत ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब सवाल है कि क्या पड़ोसी देश पाकिस्तान इस प्रतिबंध से प्रभावित होगा।
नई दिल्ली,16 मई : भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से क्या पाकिस्तान इससे प्रभावित होगा? जानकारों की माने तो पाकिस्तान में अनाज की कमी हो जाती है। आर्थिक स्थिति की दृष्टिकोण से भी पाकिस्तान में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने भारत के साथ व्यापार नहीं करने का फैसला लिया था। लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ व्यापार को आगे बढ़ाने की इच्छा जताई है।
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गेंहू
निर्यात
पर
प्रतिबंध
वर्तमान
समय
की
बात
करें
तो
भारत
ने
गेंहू
के
निर्यात
पर
प्रतिंबध
लगा
दिया
है।
वास्तव
में
विश्व
कमोडिटी
बाजार
को
भारत
के
इस
फैसले
ने
झकझोर
कर
रख
दिया
है।
जब
हम
इन
विषयों
को
लेकर
पाकिस्तान
की
स्थिति
की
बात
करते
हैं
तो
कई
सवाल
खड़े
हो
जाते
हैं।
क्योंकि
पाकिस्तान
काफी
समय
से
भारत
के
साथ
व्यापार
नहीं
कर
रहा
है
और
ऐसे
में
भारत
के
इस
नए
प्रतिबंधों
से
उस
पर
क्या
प्रभाव
पड़ेगा
यह
आने
वाला
वक्त
ही
तय
करेगा।
पाकिस्तान
पर
नहीं
पड़ेगा
सीधा
प्रभाव
वहीं,
कई
जानकार
मानते
हैं
कि,
गेहूं
पर
प्रतिबंध
से
पाकिस्तान
पर
इसका
सीधा
प्रभाव
नहीं
पड़ेगा
क्योंकि
दोनों
देशों
के
बीच
व्यापार
काफी
समय
से
बंद
है।
भारत
की
स्थिति
को
देखें
तो
यह
स्पष्ट
है
कि
देश
के
पास
गेंहू
की
कोई
कमी
नहीं
है,
बल्कि
वह
अनाज
की
ढेर
पर
बैठा
है।
भारत
ने
केवल
निजी
निर्यात
पर
ही
प्रतिबंध
लगाया
है।
सरकार
के
सरकार
के
साथ
डील
के
विकल्प
खुले
हुए
हैं।
ऐसी
स्थिति
में
नेपाल,
श्रीलंका
और
मालदीव
जैसे
पड़ोसी
देशों
को
निश्चित
रूप
से
गेंहू
मिल
सकता
है।
यहां
स्थिति
थोड़ी
बेहतर
है
पाकिस्तान
में
सार्वजनिक
क्षेत्र
के
विभागों
के
स्टॉक
पिछले
साल
की
खरीद
की
तुलना
में
थोड़ा
बेहतर
स्तर
पर
है।
जानकारी
के
मुताबिक,
पंजाब
खाद्य
विभाग
के
पास
करीब
50
लाख
टन
गेहूं
का
स्टॉक
और
खरीद
अभियान
के
अंत
तक
पास्को(PASSCO)
और
सिंध
खाद्य
विभाग
की
तरफ
से
लगभग
2.5
मिलियन
टन
की
खरीद
के
साथ,
सितंबर-अप्रैल
की
अवधि
के
दौरान
आवश्यकता
को
प्रभावी
ढंग
से
पूरा
किया
जाएगा।
अनाज
की
ढेर
पर
बैठा
है
भारत
भारत
अनाज
के
मामले
में
अपना
भंडार
हमेशा
भरकर
रखता
है।
यहां
अनाज
की
कमी
नहीं
है।
हालांकि,
मौसम
के
प्रभाव
के
कारण
सार्वजनिक
संस्थानों
ने
गेंहू
की
कम
खरीद
की
थी।
पर
कुछ
जानकार
बताते
हैं
कि,
भारत
के
इस
कदम
से
पाकिस्तान
को
आंशिक
तौर
पर
कठिनाई
पैदा
हो
सकती
है।
हम
यह
बात
इसलिए
कह
रहे
हैं
क्योंकि
पाकिस्तान
30
लाख
टन
से
अधिक
आयात
सौदे
की
तलाश
में
हैं,
जो
अपने
आप
में
एक
बड़ी
मात्रा
है।
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक
पाकिस्तान
को
2022-23
के
लिए
वर्तमान
में
अनुमानित
30
लाख
टन
के
बजाय
केवल
1.5
मिलियन
टन
गेहूं
के
आयात
की
आवश्यकता
हो
सकती
है।
भारत
में
इस
साल
गेंहू
की
खरीद
कम
हुई
है
भारत
की
बात
करें
तो,
खाद्य
मंत्रालय
का
कहना
है
कि
इस
साल
गेंहू
की
खरीद
कम
हुई
है।
क्योंकि
किसानों
को
बाजार
में
एमएसपी
से
ज्यादा
कीमत
मिल
रही
है।
इसलिए
किसान
निजी
खरीदारों
को
गेहूं
बेच
रहे
हैं।
अगर
आंकड़ों
की
बात
करें
तो
साल
2022-23
में
14
मई
तक
सरकार
मात्र
18
मिलियन
टन
गेंहू
ही
खरीद
पाई
है
जो
एक
साल
पहले
के
36.7
मिलियन
टन
के
आंकड़े
से
काफी
कम
है।
यानी
कि
सरकार
अब
तक
पिछले
साल
के
मुकाबले
18.7
मिलियन
टन
कम
गेंहू
खरीद
पाई
है।
इसलिए
सरकार
ने
गेंहू
खरीद
की
सीमा
बढ़ा
दी
है।
लेकिन
इस
तरह
का
ट्रेंड
सरकार
के
लिए
चिंता
का
विषय
है।
क्योंकि
ऐसा
होने
से
सरकार
का
अनाज
भंडार
खाली
रह
सकता
है
और
इसका
असर
कुछ
महीनों
में
गेंहू
की
बढ़ती
कीमतों
के
रूप
में
देखने
को
मिल
सकती
है।
सतर्क
रहने
की
जरूरत
है
प्रांतीय
खाद्य
विभाग
को
सतर्क
रहने
और
निजी
क्षेत्र
द्वारा
गेहूं
खरीद
पर
नजर
रखने
की
जरूरत
है।
गेहूं
से
जुड़े
सख्त
नियम
देश
के
अन्य
हिस्सों
में
भी
जरूरी
हैं।
देश
में
खाद्य
सुरक्षा
सुनिश्चित
करने
के
लिए
सार्वजनिक
क्षेत्र
में
7.5-7.8
मिलियन
टन
गेहूं
के
साथ
मिलकर
निजी
क्षेत्र
द्वारा
2.7-3
मिलियन
टन
की
खरीद
पर्याप्त
होगी।
गेहूं
के
निर्यात
पर
रोक
लगा
चुकी
है
भारत
सरकार
इधर
देश
में
पिछले
कुछ
दिनों
से
गेहूं
की
कीमतें
लगातार
बढ़
रही
है।
गेहूं
की
बढ़ती
कीमतों
पर
रोक
लगाने
के
उद्देश्य
से
केंद्र
सरकार
ने
13
मई
को
गेहूं
के
निर्यात
पर
अस्थायी
तौर
पर
रोक
लगा
दी
थी.
इससे
गेहूं
की
कीमतें
स्थिर
होने
की
उम्मीद
जताई
जा
रही
है।
खाद्य
मंत्रालय
के
अनुसार
दिल्ली
और
जम्मू-कश्मीर
में
31
मई
तक
खरीद
जारी
रहेगी।
राजस्थान
में
10
जून
तक
सरकारी
मंडियों
में
किसान
गेहूं
बेच
सकेंगे।
उत्तर
प्रदेश
और
मध्य
प्रदेश
में
15
जून
तक
गेंहू
की
खरीद
सरकार
की
तरफ
से
की
जाएगी।
वहीं,
उत्तराखंड
में
30
जून
तक
ये
प्रक्रिया
जारी
रहेगी।
जानकारी
के
मुताबाक
सरकार
ने
अपनी
नोडल
एजेंसी
भारतीय
खाद्य
निगम
से
भी
कहा
है
कि
वह
सेंट्रल
पूल
के
अंतर्गत
गेंहू
की
खरीद
जारी
रखे।
इधर, अफगानिस्तान की जरूरतों को देखते हुए 1.5 मिलियन टन गेहूं का आयात जरूरी है। इन सब विषयों को देखते हुए जल्द से जल्द मंडियों से गेहूं मंगवाया जाए। अन्यथा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में और वृद्धि होने की आशंका है। इसकी कमी से समस्या और बढ़ सकती है।