'खून की हर बूंद का हिसाब' लेने की बात कर रहे आर्मी चीफ बाजवा असल में पाकिस्तान को बेवकूफ बना रहे हैं!
शॉर्ट हेडलाइन
नई दिल्ली। पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने 6 सितंबर को डिफेंस डे (रक्षा दिवस) के मौके पर भारत के खिलाफ जहर उगला। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान की रक्षा में लगे हर सैनिक की कुर्बानी के मायने हैं। बॉर्डर पर बहे खून की हर बूंद का हिसाब लेंगे।' बाजवा ने कहा, 'लहू जो सरहद पर बह चुका है, लहू जो सरहद पर बह रहा है, हम उसका हिसाब लेंगे...इंशा अल्लाह।' बाजवा ने अपने संबोधन में कश्मीर राग भी अलापा। उन्होंने कहा, 'मैं भारत के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों को सलाम करता हूं, जो मजबूती के साथ खड़े हैं और पूरी बहादुरी के साथ लड़ रहे हैं।' बाजवा की बात सुनकर पाकिस्तान सेना के अफसरों ने जोरदार तालियां बजाईं। उनका बयान पाकिस्तान के अखबरों की सुर्खी भी बना, लेकिन बाजवा के बयान का यह पूरा सच नहीं है। खून की एक-एक बूंद का हिसाब लेने की बात करने वाले ये वही बाजवा जिनकी पोल हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में खुली।
बाजवा इतने बेचैन थे कि पाकिस्तान की नई सरकार आने का भी इंतजार नहीं किया
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को कर्ज में डूबता देख बाजवा बेचैन हैं। वह भारत के साथ वार्ता के लिए भारत को प्रस्ताव भी भेज चुके हैं और वह भी पाकिस्तान में संपन्न हुए आम चुनाव से ठीक एक महीने पहले। मतलब बाजवा को इतनी जल्दी थी कि उन्होंने अपने देश में नई सरकार के गठन का भी इंतजार नहीं किया।
बाजवा ने लगाई थी बिपिन रावत के जरिए वार्ता शुरू कराने की जुगत
द न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया कि कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान इकलौते ऐसे सेनाप्रमुख हैं, जो भारत के साथ वार्ता शुरू करने और कश्मीर के शांतिपूर्ण हल के लिए पहल कर रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी पाकिस्तानी सेनाप्रमुख ने कहा हो कि पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था रीजन की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। बाजवा ने यह बात कही और न सिर्फ कही बल्कि भारत के सेनाप्रमुख बिपिन रावत के साथ अपनी दोस्ती के जरिए वार्ता बहाल कराने की जुगत भी लगाई, लेकिन भारत की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। बाजवा और बिपिन रावत कांगो में संयुक्त राष्ट्र की ओर से साथ काम कर चुके हैं।
बाजवा जानते हैं असल में पाकिस्तान खस्ताहाल है
पाकिस्तान के सेनाप्रमुख बाजवा इससे पहले यह भी कह चुके हैं कि दोनों देशों के बीच विवाद सुलझाने का एकमात्र तरीका बातचीत ही है। जनरल बाजवा का कहना है कि पाकिस्तान को कमजोर कर भारत भी फल-फूल नहीं सकता। दरअसल, इस समय चारों ओर से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को घिरता देख जनरल बाजवा चाहते हैं कि भारत के साथ कश्मीर रीजन में सीमा विवाद पर वार्ता जल्द शुरू की जाए। दोनों देशों के बीच 2015 से बातचीत बंद पड़ी है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान की ओर से भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव के पीछे मुख्य उद्देश्य ट्रेड को बढ़ावा देना था। अब एक तरफ बाजवा पैसों की तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शांति वार्ता की पैरोकारी कर रहे हैं और दूसरी ओर खून की एक-एक बूंद का हिसाब लेने की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान की जनता को पता भी नहीं चला कि कब बाजवा ने भारत के पास वार्ता के गुप्त संदेश भिजवा दिया। इससे स्पष्ट है कि भारत से बदला लेने की बात कर रहे बाजवा अपने देश की जनता की आंखों में भले ही सूरमा बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में वह जानते हैं कि उनकी हालत खस्ताहाल है