ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा: SII ने कोविशील्ड वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए मांगी मंजूरी
ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा: SII ने कोविशील्ड वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए मांगी मंजूरी
नई दिल्ली, 02 दिसंबर: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए भारत के ड्रग रेगुलेटर से मंजूरी मांगी है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि देश में कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन के के पर्याप्त स्टॉक है, इसलिए बूस्टर डोज की अनुमति दी जा सकती है। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने गुरुवार (02 दिसंबर) को दी है। अधिकारियों के मुताबिक एसआईआई ने यह मांग नए कोरोना वायरस वैरिएंट 'ओमाइक्रोन' के सामने आने के कारण की है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को यह डर है कि कहीं कोरोना का नया वैरिएंट 'ओमाइक्रोन' भारत में भी ना फैल जाए।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहली भारतीय कंपनी है, जिसने कोविड-19 बूस्टर खुराक के लिए मंजूरी मांगी है। केंद्र सरकार ने संसद को यह भी सूचित किया है कि वैक्सीनेशन के वितरण और कोविड-19 की बूस्टर डोज देने पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह चर्चा कर रहे हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों ने भी केंद्र सरकार से बूस्टर खुराक देने का अनुरोध किया है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में वैक्सीन की बूस्टर डोज के बारे में बात की थी। अदार पूनावाला ने कहा था कि ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक एक नया टीका लेकर आ सकते हैं जो इस नए वैरिएंट के खिलाफ छह महीने के समय में बूस्टर के रूप में कार्य करेगा।
बता दें कि 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सबसे पहले बताया था कि उनके देश में कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन पाया गया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, स्पाइक प्रोटीन में इसकी उच्च संख्या में उत्परिवर्तन इसे पिछले सभी वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक बनाता है। दक्षिण अफ्रीकी चिकित्सा अधिकारियों ने बताया है कि वैरिएंट पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों में पाया गया है और मामले हल्के हैं।