वैज्ञानिकों का दावा- भारत में मानसून के दौरान आ सकती है कोरोनो संक्रमण की दूसरी लहर
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में कोविड-19 मामलों की गति में गिरावट आ सकती है। वहीं देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लॉकडाउन खत्म होने के कुछ हफ्तों बाद भी गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि, भारत में मानसून के दौरान मामलों की संख्या में वृद्धि के साथ जुलाई या अगस्त के अंत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर देखने को मिल सकती है। उनका कहना है कि, कोरोना की पीक टाइमिंग इस बात पर निर्भर करेगी कि, लॉकडाउन में छूट दिए जाने के बाद भारत फिजिकल डिस्टेंसिंग को कैसे कंट्रोल करता है।
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आने वाले समय में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिलेगी
शिव नडार विश्वविद्यालय के गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर समित भट्टाचार्य कहा कि, यह स्पष्ट दिख रहा है कि, कोरोना के रोज आ रहे नए मामलों की गति एक समान स्थिति में पहुंच गई है। शायद आने वाले कुछ हफ्तों या महीनों में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिलेगी। 25 मार्च को जब कोरोनोवायरस मामलों की संख्या 618 थी तबतक 13 लोगों की मौत हो चुकी थी। लेकिन लॉकडाउन के तीन मई तक बढ़ाए जाने के बाद शुक्रवार को कोविड19 की वजह से मौत का आंकड़ा बढ़कर 718 और मामलों की संख्या 23,077 हो गई।
नए दैनिक संक्रमण की वृद्धि पहले की तुलना में बहुत धीमी है
भट्टाचार्य ने कहा कि, पिछले कुछ दिनों में नए मामलों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि नए दैनिक संक्रमण की वृद्धि पहले की तुलना में बहुत धीमी है। यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि हम विकास वक्र के पठार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि चीन और यूरोप में हाल के अध्ययनों से पता चला है कि संक्रमण उन लोगों में होने की संभावना कम है जो पहले से ही पहले चरणों से उबर चुके हैं। उन्होंने कहा, हालांकि इस बात को कोई सबूत नहीं है कि, कि जिन्हें पहले संक्रमण हुआ है वह दोबारा संक्रमण की चपेट में नहीं आएंगे। इस तरह से माना जा सकता है कि, बड़ी आबादी कुछ हद तक दूसरी लहर की चपेट में आ सकती है।
मानसून सीजन फ्लू सीजन होता है
इस सप्ताह IISc और TIFR शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन जारी किया है। जिसमें उन्होंने कोविड-19 के आइसोलेशन केस ,क्वारंटाइन, सोशल डिस्टेंसिंग और विभिन्न पोस्ट-लॉकडाउन प्रतिबंधों जैसी रणनीतियों के प्रभाव का विश्लेषण किया। बेंगलुरु और मुंबई में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि संक्रमण की दूसरी लहर आने की संभावना है। सार्वजनिक स्वास्थ्य को तबतक खतरा बना रहेगा, जब तक कि आक्रामक तरीके से ट्रेस करने, आइसोलेशन और नए संक्रमणों को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि, भारत में मानसून के महीने कई जगहों पर फ्लू सीजन की तरह होते हैं। इसलिए, हमें फ्लू के लक्षणों के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज नहीं होगा। लक्षणों के बावजूद, हमें लोगों की पहचान करने और वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए हॉटस्पॉट में परीक्षण बढ़ाने की आवश्यकता है।
मानसून सीजन में रखना होगा इन बातों का ख्याल
सुंदरसन ने कहा कि दूसरी लहर के लिए समयरेखा बहुत सारी परिस्थितियों पर निर्भर करेगी जो समय बीतने के साथ बदल सकती है। उन्होंने कहा कि, महत्वपूर्ण परीक्षण चल रहे हैं, लेकिन लोगों को आने वाले समय में अधिक सावधान रहना है और हाईजीन को लेकर सतर्क रहना होगा। वहीं मास्क पहना एक सामान्य बात हो जाएगी। यहीं सब चीजों मानसून सीजन में कोरोना की संभावित दूसरी लहर को रोकने में मददगार साबित होगीं।
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