किसान बिल पर SC के फैसले पर बोले कृषि राज्य मंत्री- आदेश इच्छा के विपरीत, लेकिन सर्वमान्य
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि बिल को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। लगभग 50 दिन हो गए हैं और कड़ाके की ठंड में भी किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कानूनों पर रोक लगाई, साथ ही एक कमेटी का गठन कर दिया है जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी।
इस फैसले पर किसान संगठनों ने निराशा जताई है और कहा है कि आंदोलन जारी रखेंगे। वहीं शीर्ष अदालत के फैसले पर केंद्रीय मंत्रियों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने न्यूज एजेंसी से कहा, ''सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारी इच्छा के विपरीत है क्योंकि हम कानून को लागू रखना चाहते हैं, लेकिन यह सर्वमान्य है।''
कैलाश चौधरी ने कहा कि एक निष्पक्ष समिति गठित की गई है, यह देश भर में सभी किसानों, विशेषज्ञों की राय लेने के बाद रिपोर्ट तैयार करेगी। उन्होंने 15 जनवरी को निर्धारित बैठक पर कहा कि सरकार बातचीत के लिये हमेशा तैयार है, किसान संघों को यह तय करना है कि वो क्या चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में इन लोगों का है नाम
शीर्ष अदालत ने कमेटी में सदस्य के तौर पर भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान, महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के नेता अनिल घनवटे, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और खाद्य नीति विशेषज्ञ प्रमोद जोशी को शामिल किया है।