सर्बानंद सोनोवाल बोले- असम की मिट्टी में पैदा हुए लोग ही यहां शासन करते रहेंगे
नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। एक बार फिर उनके ताजा बयान पर बवाल हो सकता है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि असम यहां के मूल निवासियों का है और यहां पैदा हुए लोग भविष्य में भी राज्य पर शासन करते रहेंगे।सोनोवाल बुधवार को धेमाजी जिले में मिशिंग जनजाति के एक महोत्सव में बोल रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि कोई बाहरी व्यक्ति स्थानीय लोगों को कमजोर करके यहां अपना झंडा बुलंद नहीं कर सकता है। इस मिट्टी से पैदा हुए लोग ही भविष्य में भी यहां शासन करते रहेंगे। मिशिंग समुदाय के युवाओं को राज्य को विश्व मंच पर मजबूती से स्थापित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मिशिंग आदिवासी राज्य के मेहनती और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जनजातियों में से एक है। उन्होंने कहा कि मिशिंग समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए जोनाई में एक 'सांस्कृतिक क्षेत्र' भी स्थापित किया जाएगा। श्री सोनोवाल ने कहा कि असम सरकार ने इस साल राज्य के एक लाख मूल निवासियों को जमीन पट्टे पर देने का फैसला किया है।
गौरतलब
है
कि
असम
में
नागरिकता
(संशोधन)
विधेयक
के
खिलाफ
बड़े
विरोध
प्रदर्शन
लगातार
जारी
है।
अभी
तक
सैकड़ों
प्रदर्शनकारियों
को
हिरासत
में
लिया
गया
है।
असम
के
अलावा
उत्तर
पूर्व
के
अन्य
राज्यों
में
भी
इसका
विरोध
हो
रहा
है।
भाजपा
को
नार्थ
ईस्ट
में
अपने
कई
सहयोगियों
के
विरोध
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
आने
वाले
चुनाव
में
भाजपा
को
इस
मुद्दे
से
परेशानी
हो
सकती
है,
ऐसा
विश्लेषक
बता
रहे
हैं।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 क्या है?
ये विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैरमुस्लिमों के लिए भारत की नागरिकता आसान बनाने के लिए है. इसके बिल के कानून बन जाने पर इन तीन देशों से भारत आने वाले शरणार्थियों को 12 साल की जगह छह साल बाद ही भारत की नागरिकता मिल सकती है। वहीं अगर असम की बात करें तो सा 1985 के असम समझौते के मुताबिक 24 मार्च 1971 से पहले राज्य में आए प्रवासी ही भारतीय नागरिकता के पात्र थे। लेकिन नागरिकता (संशोधन) विधेयक में यह तारीख 31 दिसंबर 2014 कर दी गई है।