126 साल में पहली बार भारतीय बना BATA का CEO, संदीप कटारिया संभालेंगे ग्लोबल बिजनेस
नई दिल्ली। भारत में जो भी लोग जूते पहनते होंगे उन्होंने बाटा (Bata) का नाम तो जरूर सुना होगा। भारत में जूते की कंपनी की चर्चा बिना बाटा के पूरी ही नहीं हो सकती। भारत में बाटा जूते का पर्याय बन चुका है। हर इलाके तक पहुंच के चलते ही इसे अक्सर भारतीय कंपनी भी समझ लिया जाता है। अगर आप भी यही समझते हैं तो गलत हैं। बाटा भारतीय कंपनी नहीं है। इतना ही नहीं भारत के इतने बड़े बाजार में प्रमुख हिस्सा रखने वाली इस कंपनी के 126 साल के इतिहास में आज तक कोई भारतीय इसका अंतरराष्ट्रीय व्यापार (ग्लोबल बिजनेस) का सीईओ नहीं बन पाया था। लेकिन अब कंपनी ने आखिरकार एक भारतीय को अपना ग्लोबल सीईओ नियुक्त किया है।
बाटा
इंडिया
की
संभाल
रहे
थे
जिम्मेदारी
कंपनी
ने
49
वर्षीय
संदीप
कटारिया
(Sandeep
Kataria)
को
बाटा
का
ग्लोबल
सीईओ
बनाया
गया
है।
संदीप
अभी
तक
बाटा
इंडिया
के
सीईओ
के
रूप
में
भारत
में
कंपनी
के
बिजनेस
की
जिम्मेदारी
संभाल
रहे
थे।
अब
वे
ग्लोबल
सीईओ
के
रूप
में
एलेक्सिस
नासर
(Alexis
Nasard)
की
जगह
लेंगे।
इसके साथ ही कटारिया का नाम भी उन भारतीय हस्तियों में शामिल हो गया है जो दुनिया की जानी-मानी कंपनियों के सीईओ पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इनमें सत्य नडेला माइक्रोसॉफ्ट, सुंदर पिचाई अल्फाबेट (गूगल), अजय बंगा मास्टरकार्ड की, अरविंद कृष्णा आईबीएम की, लक्ष्मण नरसिंहम रेकिट और इवान मेंजेस डिएगो जैसी कंपनी का बिजनेस संभाल रहे हैं।
IIT
दिल्ली
और
XLRI
से
की
पढ़ाई
कटारिया
तत्काल
प्रभाव
से
कंपनी
के
सीईओ
का
चार्ज
लेंगे।
पिछले
5
साल
से
कंपनी
के
सीईओ
रहे
एलेक्सिस
नादर
ने
हाल
ही
में
कंपनी
छोड़ने
की
घोषणा
की
थी।
नादर
के
कंटर
(Kantar)
ज्वाइन
करने
की
बात
कही
जा
रही
थी।
कटारिया
ने
आईआईटी
दिल्ली
से
इंजीनियरिंग
की
पढ़ाई
की।
वे
XLRI
से
बिजनेस
मैनेजमेंट
में
1993
बैच
के
गोल्ड
मेडलिस्ट
रहे।
49
साल
के
कटारिया
पिछले
25
वर्षों
में
यूनिलीवर,
यम
ब्रांड्स,
वोडाफोन
इंडिया
और
यूरोप
जैसी
कंपनियों
में
काम
कर
चुके
हैं।
उन्होंने
2017
में
बाटा
इंडिया
का
सीईओ
बनाया
गया
था।
बाटा कंपनी का मुख्यालय स्विटजरलैंड में है। कंपनी के लिए फुटवियर व्यापार में भारत बहुत बड़ा बाजार है। कटारिया के नेतृत्व में कंपनी ने भारत में अपना व्यापार दोगुना तक बढ़ाया। इस दौरान युवाओं को लक्ष्य में रखते हुए नए अभियान चलाए गए जिसका फायदा कंपनी को बिजनेस के रूप में दिखा। बाटा इंडिया ने 2019-20 में 326 करोड़ को मुनाफा कमाया जबकि इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 3,053 करोड़ रहा।
नियुक्ति
से
सम्मानित
महसूस
कर
रहा-
संदीप
बाटा
इंडिया
के
चेयरमैन
अश्विनी
विंडलस
कहते
हैं
कि
"पिछले
कुछ
वर्षों
में
बाटा
इंडिया
ने
फुटवियर
मार्केट
में
असाधारण
वृद्धि
दर्ज
की
है।
कंपनी
ने
उच्च
प्रतिस्पर्धा
वाले
माहौल
में
खुद
को
मजबूत
करते
हुए
रेवेन्यू
और
मुनाफे
के
साथ
ही
ग्राहकों
को
भी
संतुष्ट
किया
है।
बाटा
समूह
और
बाटा
इंडिया
दोनों
को
संदीप
के
अनुभव
का
बहुत
फायदा
मिलेगा।"
अपने एक बयान में संदीप कटारिया ने कहा कि मैं इस नई नियुक्ति को स्वीकार कर बहुत ही सम्मानित महसूस कर रहा हूं और हमारे आगे की यात्रा को लेकर उत्साहित हूं। बाटा एक ब्रांड है जिसने सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले जूते बनाने के लिए एक प्रतिष्ठा अर्जित की है। मुझे भारत में बाटा की सफलता का हिस्सा होने का सौभाग्य मिला है और मैं दुनिया के लिए शोमेकर्स के रूप में अपने गौरवशाली, 120 साल के इतिहास पर आगे बढ़ने की आशा करता हूं।
चेक
उद्यमी
ने
डाली
थी
कंपनी
की
नींव
बाटा
की
स्थापना
1894
में
थामस
बाटा
नामक
उद्यमी
ने
चेक
गणराज्य
के
ज्लिन
(Zlil)
शहर
में
की
थी।
उस
समय
ये
शहर
आस्ट्रिया-हंगरी
का
हिस्सा
हुआ
करता
था।
बाटा
की
पहचान
जूते
बनाने
वाली
दुनिया
की
अग्रणी
के
रूप
में
है।
यही
वजह
है
कि
थामस
बाटा
को
जूते
के
व्यापार
का
फोर्ड
कहा
जाता
है।
कंपनी
सालाना
अपने
5800
स्टोर
पर
18
करोड़
फुटवियर
बेचती
है।
कंपनी
70
देशों
में
अपना
बिजनेस
करती
है
जिसमें
35
हजार
कर्मचारी
काम
करते
हैं।
वर्तमान
में
कंपनी
का
मुख्यालय
स्विटजरलैंड
में
है।