2007 समझौता ब्लास्ट केस: पंचकुला NIA कोर्ट ने 14 मार्च तक फैसला रखा सुरक्षित
नई दिल्ली। पंचकुला में एनआईए की विशेष अदालत ने 2007 में हुए समझौता ट्रेन विस्फोट मामले में सोमवार को फैसला 14 मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि इस विस्फोट में कुल 68 लोग मारे गए थे। इस संबंध में एक वकील ने एक आवेदन दायर करते हुए कोर्ट से कहा है कि पाकिस्तानी गवाह अदालत में पेश होना चाहते हैं, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। यह आवेदन राहिल वकील की ओर से दिया गया है जिसने पीड़िता में एक की बेटी होने का दावा किया है।
आवेदन पर प्रतिक्रिया के लिए एनआईए और आरोपी को नोटिस जारी किया गया है। बता दें कि 18 फरवरी 2007 को समझौता ट्रेन में एक IED ब्लास्ट किया गया था, जो दिल्ली और लाहौर के बीच हरियाणा के पानीपत से चलती है। मृतकों में पाकिस्तान के 43, भारत के 10 नागरिक और 15 अज्ञात लोग शामिल थे। इस आतंकवादी हमले में 10 पाकिस्तानियों और 2 भारतीय समेत कुल 12 लोग घायल हुए थे। एनआईए के अनुसार आतंकी विस्फोट भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए उद्देश्य से आपराधिक साजिश के तहत किया गया था। इस मामले में चार आरोपियों और कई गवाहों का ऑन कैमरा बयान भी दर्ज कराया गया था।
इस मामले में कुछ 8 आरोपी थे लेकिन केवल चार को मुकदमे का सामना किया। इस मामले के मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद उर्फ नबा कुमार सरकार को 2015 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी। तीन आरोपी- कमल चौहान, राजिंदर चौधरी और लोकेश शर्मा सेंट्रल जेल अंबाला में न्यायिक हिरासत में हैं। जबकि तीन आरोपियों अमित चौहान, रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे को मामले में अपराधी घोषित किया गया है। जबकि एक अन्य आरोपी सुनील जोशी जिसे एनआईए मास्टरमाइंड कहता है वो दिसंबर 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में मारा गया था। इस मामले के वकील एससी शर्मा ने कहा है कि संभावनाएं है कि इस आवेदन को खारिज कर दिया जाएगा और फैसले के लिए 14 मार्च की सुनवाई के बाद की तारीख दी जाएगी।
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