समाजवादी पार्टी ने गन्ना किसानों के लिए किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन
हरदोई। 2019 के लिए समाजवादी पार्टी अभी से कमर कसती नजर आ रही है और किसानों के मुद्दों को भी उठा रही है। समाजवादी पार्टी ने गन्ना मिलों किसानों के भुगतार को लेकर प्रदर्शन किया और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा। इस दौरान सपा के कई नेता मौजूद रहे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आह्वान पर पूरे उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के भुगतान न हो पाने के कारण परेशान गन्ना किसानों की मदद के लिए चीनी मिलों परधरना प्रदर्शन किया गया। हरदोई की हरियावां रूपापुर की डीएसीएल व लोनी चीनी मिल पर समाजवादी पार्टी के संयुक्त नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया गया।
धरना को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व विधान परिषद सदस्य डॉक्टर राजपाल कश्यप ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारत का कृषि प्रधान देश है जिसमें गन्ना प्रदेश के बड़े क्षेत्र में लाखों किसान उगाते हैं तथा देश में सबसे ज्यादा मात्रा में गन्ना उत्तर प्रदेश में पैदा होता है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने वादा किया था कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन के अंदर करा दिया जाएगा लेकिन सरकार ने किसानों को परेशान करने की सौगंध खाकर सरकार बनाई है, लगातार जब से सरकार बनी है किसान, बेरोजगार, महिलाओं को परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं का घर से निकलना दूभर हो चुका है। जब से सरकार भाजपा की बनी है तब से 165 लड़कियों का गैंग रेप कर उनकी हत्या हो चुकी है। गन्ना किसानों का 15000 करोड़ रुपया चीनी मिलों पर बकाया है जिसका तत्काल भुगतान कराया जाए। भुगतान न कराए जाने की स्थिति में गन्ना किसानों को ब्याज सहित गन्ना का मूल दिया जाए। रूपापुर में एमएलसी मिसबाहुद्दीन ने भी सम्बोधित किया और कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों के साथ सभी वर्गों को छला है जिससे जनता परेशान है। गन्ना किसान परेशान है। अगर किसानों का बकाया 15 हजार करोड़ नही मिला तो बड़ा आंदोलन सपा करेगी।
इस दौरान राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि वर्ष 2017 -18 में गन्ना किसानों का पूरे प्रदेश में लगभग 15000 करोड़ रुपया चीनी मिल मालिकों द्वारा अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। प्रदेश में 60% चीनी मिल्स भाजपा के विधायक, सांसदों व नेताओं की हैं। आगे कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा किसानों का भुगतान न करना दुर्भाग्यपूर्ण एवं किसान विरोध चरित्र को उजागर करता है। विगत वर्ष में आलू, गेहूं, धान के किसानों को अपनी उत्पादन लागत मूल्य न मिलने से भारी निराशा हुई है। जिसके कारण दर्जनों किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर चुके हैं परंतु सरकार उनके परिवार वालों की कोई मदद नहीं कर रही है।