'सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी करते हैं, शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का नियम है'
'सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी करते हैं, शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का नियम है'
नई दिल्ली, 14 जुलाई: देश में पिछले कुछ वक्त से जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा कई बार उठाया जा चुका है। अब इसी मसले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का बयान सामने आया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है, '' सिर्फ खाना खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी करते हैं। सिर्फ जिंदा रहना ही जिंदगी का उदेश्य नहीं होना चाहिए...मनुष्य के जीवन के और भी कई कर्तव्य हैं।''संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ये बयान श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह में दिया है। यहां उन्होंने और भी कई मुद्दों पर बात की है।
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'शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का नियम है'
मोहन भागवत ने आगे कहा, ''शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, ये तो जंगल का नियम है। जब शक्तिशाली दूसरों की रक्षा करने लगे तो, वही मनुष्य की निशानी है। लेकिन मनुष्य के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका निर्वाहन हमें करना चाहिए..., समय-समय पर इसे निभाना पड़ता है।' बता दें कि हाल ही में यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जल्द ही भारत आबादी के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ देगा। ऐसे में मोहन भागवत ने इंसानों और जानवरों में बड़ा फर्क समझाया है।
मोहन भागवत बोले- अध्यात्म के जरिए ही श्रेष्ठता हासिल की जा सकती है
मोहन भागवत ने इस समारोह में अध्यात्म को विज्ञान से बड़ा बताया है। मोहन भागवत ने कहा, राष्ट्र की प्रक्रिया तुरंत शुरू नहीं हुई, 1857 में इसे स्वामी विवेकानंद ने और आगे बढ़ाया है। इसलिए अध्यात्म के जरिए ही श्रेष्ठता हासिल की जा सकती है...क्योंकि विज्ञान अभी तक सृष्टि के स्रोत को नहीं समझ पाया है।
उन्होंने कहा, विज्ञान ने अपने खंडित दृष्टिकोण से सबकुछ आजमाया है लेकिन यह भी पाया है कि सबकुछ आपस में कनेक्टेड है। विज्ञान तो अभी तक इस कनेक्टिंग फैक्ट की भी खोज नहीं कर पाया है।
देश के विकास को लेकर मोहन भागवत ने कही ये बात
मोहन भागवन ने कहा है कि बीते कुछ सालों में देश ने काफी प्रगति की है। देश में काफी विकास हुआ है। मोहन भागवत बोले, 'इतिहास की बातों से सीखते हुए और भविष्य के विचारों को समझते हुए भारत ने बीते कुछ सालों में अपना ठीक-ठाक विकास किया है। अगर यही बात मैं 10-12 साल पहले कहता तो कोई गंभीरता से नहीं लेता।'
'सभी से प्रेम करो...सबकी सेवा करो...'
मोहन भागवन ने कहा, ''हम इंसानों को एक ही बात पर ध्यान देना चाहिए... ''सभी से प्रेम करो, सबकी सेवा करो...'' इस कहावक के पीछे सबकुछ छिपा है। अस्तित्व वह है जो अलग-अलग रूपों में प्रकट होता है। ये विविध रूप नाशवान हैं। प्रकृति सदा नाशवन है लेकिन प्रकृति का मुख्य स्रोत शाश्वत और चिरस्थायी है।''
'अगर आपका धर्म अलग है तो विवाद है...'
मोहन भागवत ने पर्यावरण पर अपनी राय रखते हुए कहा, ''अगर आपकी भाषा अलग है तो विवाद है, अगर आपका धर्म अलग है तो भी विवाद है। आपका देश दूसरा है तो भी विवाद है। पर्यावरण और विकास के बीच तो हमेशा से ही विवाद रहा है। ऐसे में पिछले एक हजार सालों में कुछ इसी तरह से पूरी दुनिया विकसित हुई है।''