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500 और 1000 के नोट बंद, अब चुनाव में कैसे बहेंगे पैसे, क्‍या होगा पार्टियों का चंदा?

साल 2004 और 2015 के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से जुटाया गए 2,259.04 करोड़ रुपये में से 68.33% नकद में था।

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नई दिल्‍ली। 500 और 1000 रुपए के नोटों को कानून अमान्‍य घोषित करने के सरकार के फैसले ने उन राज्‍यों को करारा झटका दिया है जहां कुछ महीनों में चुनाव होने हैं।

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जी हां उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा, और मणिपुर में कुछ महीनों में चुनाव होने हैं और यहां राजनीतिक पार्टियों की मुश्‍किलें बढ़ गई हैं। ऐसा इसलिए क्‍योंकि पार्टियां चुनाव में पैसे को पानी की तरह बहाती हैं।

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अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया के मुताबिक साल 2004 और 2015 के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से जुटाया गए 2,259.04 करोड़ रुपये में से 68.33% नकद में था। इसी समय के दौरान बीजेपी की 1,983.37 करोड़ रकम का 44.69 फीसदी हिस्सा ही कैश में था।

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बड़ी पार्टियों का वो पैसा अब बर्बाद ही समझा जाएगा क्योंकि न तो कभी उस पैसे की घोषणा की जाएगी और ना ही उसको कानूनी तरीके से बदला जा सकेगा। ऐसे में सरकार के इस फैसले के बाद यूपी और पंजाब में चुनाव को पैसे के बूते लड़ने वाली पार्टियों को अब अपनी रणनीति बदलने की जरूरत पड़ेगी।

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English summary
The government's move to scrap Rs 500 and Rs 1,000 notes is expected to deal a major blow to political parties fattening their coffers with cash contributions in anticipation of high stakes electoral battles.
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