रोहिंग्या समस्या को लेकर बांग्लादेश के अधिकारी ने दिया बड़ा बयान
नई दिल्ली। रोहिंग्या मुस्लिम संकट को लेकर बांग्लादेश ने अपना रुख स्पष्ट कर लिया है। बांग्लादेश के विदेश सचिव ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या म्यांमार की है और इसका समाधान भी वहीं ढूंढा जाना चाहिए। हाल ही में म्यांमार और बांग्लादेश सरकार ने मिलकर रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या का हल ढूंढने के लिए ढाका में एक मीटिंग की थी, इन शरणार्थियों को वापस बुलाने को लेकर म्यांमार सरकार ने भी मन बनाया था।
बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद शहीदुल हक इस समय दिल्ली में है और उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर हम म्यांमार सरकार की मदद कर सकते हैं, लेकिन उनकी समस्या है, इससे कैसे निपटना है, यह समाधान वहीं हो सकता है। शहीदुल हक ने कहा कि म्यांमार से आए रोहिंग्याओं का बांग्लादेश में शरण लेना समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने म्यांमार सरकार को लिखित प्रस्ताव में सुझाव दिए है कि कैसे रोहिंग्याओं को वापस बुलाया जा सकता है। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि शरणार्थयों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, लेकिन इनमें हिंदू और ईसाई भी है।
Recommended Video
म्यांमार अार्मी द्वारा किए अत्याचार के बाद लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में रोहिग्या शरणार्थियों का आंकड़ा 5,00,000 के पार पंहुच गया है। बांग्लादेश सरकार इन शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए म्यांमार सरकार पर लगातार दबाव डाल रही है।
भारत ने भी रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर म्यांमार सरकार पर दबाव डालते हुए, उन्हें वापस लेने की मांग की है। भारत सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के लिए बांग्लादेश में सहायता भी भेज चुका है।
म्यांमार के रखाइन प्रांत से लगातार हो रहे रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन को लेकर दुनिया भर में आंग सान सू ची की कड़ी आलोचना हो रही है। इसके विरोध में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने उनसे 'फ्रीडम ऑफ ऑक्सफर्ड' सम्मान वापस लेने की घोषणा की थी।
भारत में रोहिंग्या मुस्लिम को लेकर सुप्रीम कोर्ट करेगा 13 अक्टूबर को सुनवाई