राजनाथ सिंह ने कहा- भारत में रहने वाले Rohingya शरणार्थी नहीं, किसी ने कानून का पालन नहीं किया
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत में रहने वालो Rohingya मुस्लिमों पर बड़ी टिप्पणी की है। बता दें कि देश में 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं। इन्हीं पर राजनाथ सिंह ने टिप्पणी की है। राजनाथ ने कहा कि भारत में जो रोहिंग्या मुस्लिम हैं, वो शरणार्थी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से किसी ने भी कानून का पालन नहीं किया है।
राजनाथ ने कहा कि मानवाधिकार का हवाल देकर अवैध आप्रवासियों को रेफ्यूजी बताने की गलती नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि म्यांमार से भारत में घुस आए रोहिंग्या रेफ्यूजी नहीं हैं, इस सच्चाई को हमें समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेफ्यूजी स्टेटस प्राप्त करने का एक प्रॉसेस होता है, जिसका पालन किसी ने भी नहीं किया है।
इसी मसले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के रुख का विरोध करेगा और उन्हें यहां रहने देने के पक्ष मे अपनी बात कहेगा। केंद्र सरकार म्यामांर से भारत आए रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने जा रही है। वहीं मानवाधिकार आयोग केन्द्र सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
मानवाधिकार आयोग करेगा विरोध
मानवाधिकार आयोग भारत में अवैध रूप से रह रहे 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने की केंद्र सरकार की योजना का विरोध करेगा। आयोग कोर्ट में इनको भारत में रहने देने के लिए कहेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करेगा।
मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा था कि आयोग मानवीय आधार पर मामले में दलील देगा, उन्होंने कहा कि अगर रोहिंग्याओं को वापस म्यामांर भेजा जाता है तो इन्हें मारा जा सकता है। ऐसे में ये मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट से रोहिंग्याओं को रहने देने का आग्रह करेंगे।