कारगिल दिवस पर शहीद कैप्टन विजयंत थापर को हमारा सलाम
इन्हीं शहीदों में से एक थे कैप्टन विजयंत थापर। 2 राजपूताना राइफल्स के कैप्टन विजयंत थापर की शहादत पर देश को नाज़ है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान विजयंत थापर ने बहादुरी की मिसाल कायम की थी। जून, 1999 को 22 वर्षीय साहस से लबरेज विजयंत ने कारगिल के द्रास क्षेत्र में युद्ध करते करते जान की बाजी लगा दी थी।
कैपटन विजयंत थापर को मरणोपरांत 26 जनवरी, 2000 को भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके पिता कर्नल वी एन थापर ने भी भारतीय सेना में रहकर 37 वर्ष तक देश की सेवा की। विजयंत थापर के वीर चक्र में उल्लेख किया गया है कि 'साहसी, शांत और अनुकरणीय वीरता प्रदर्शित करते हुए कैप्टन विजयंत थापर ने दुश्मनों से लड़ते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। '
Captain
Vijyant
Thapar's
last
letter
home.
He
had
a
premonition
about
his
death.
#Kargil
pic.twitter.com/WaaJC2OukV
—
Sameera
(@Sameera22)
July
26,
2014
कारगिल पर दुश्मनों के हमले के बाद, शायद अपनी आने वाली मौत को भांपते हुए कैप्टन विजयंत ने अपने परिवारवालों के नाम एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने लिखा कि, 'जब तक ये चिट्ठी आप लोगों तक पहुंचेगी, शायद मैं न रहूं। मेरे मरणोपरांत अनाथालय में कुछ रुपए दान करें, और रूखसाना को 50 रूपए प्रति माह भेजते रहें।' रूखसाना पांच वर्षीय बच्ची थी, जो कैप्टन के साथ खेला करती थी और उसे विजयंत से काफी स्नेह था।