पद्मावत फिल्म ना देखें, ना दिखाएं, इसका बहिष्कार करें- RSS
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फिल्म पद्मावत के खिलाफ में खड़ा है। संघ के राजस्थान क्षेत्र के संघचालक डॉ. भगवती प्रकाश ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इतिहास के साथ खिलवाड़ गलत है।
नई दिल्ली। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत रिलीज हो गई है लेकिन करणी सेना इस फिल्म को लेकर गुस्से में है और देश के कई राज्यों में हिंसक रवैया अख्तियार किए हुए हैं। दिल्ली से सटे गुरुग्राम में करणी सेना के कथित कार्यकर्ताओं ने बुधवार को एक स्कूल बस पर हमला कर दिया इतना ही नहीं कई शहरों में सिनेमाघरो में तोड़फोड़ भी की गई। फिल्म पद्मावत के हो रहे विरोध पर बीजेपी नेताओं ने चुप्पी साध रखी है वहीं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने फिल्म का बहिष्कार करने की बात कही है।
फिल्म पद्मावत के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फिल्म पद्मावत के खिलाफ में खड़ा है। संघ के राजस्थान क्षेत्र के संघचालक डॉ. भगवती प्रकाश ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इतिहास के साथ खिलवाड़ गलत है। उन्होंने संघ का अभिमत रखते हुए कि प्रेरक इतिहास के प्रति संघ सदैव आग्रही रहा है और इसलिए संघ के स्वयंसेवक सहज ही ऐसे राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर समाज के साथ सहभागी होकर अग्रसर होते ही हैं। भगवती प्रकाश ने कहा कि फिल्मों को सामाजिक शांति और भाईचारे का संदेश देना चाहिए।
'इस फिल्म को न देखें, न दिखाएं'
भगवती प्रकाश ने कहा कि किसी एतिहासिक चरित्र को तथ्यहीन और अनिश्चित जानकारियों के साथ मनोरंजन के व्यापार का माध्यम बनाने से बचना चाहिए। प्रकाश ने कहा कि संघ, फिल्म के निर्माता, देश के सभी सिनेमा घरों और समाज के लोगों से अपील करता है कि लोग इस फिल्म को न देखें, न दिखाएं। ऐसे विषयों पर फिल्म बनाना सांप्रादियक सौहार्द को बिगाड़ना है।
'बेहद क्रूर था अलाउद्दीन खिलजी'
भगवती प्रकाश ने बताया कि अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात, सूरत, सोमनाथ, खम्भात, जैसलमेर, रणथम्भौर, चित्तौड़गढ़ (मेवाड़) मालवा, उज्जैन, धारानगरी, चन्देरी, जालौर, देवगिरी, तेलगांना, होयसल जैसे अनेक राज्यों को लूटा, हजारों वीरो, स्त्रियों व पुरूषों को बन्दी बनाया, उन्हें गुलामों का जीवन जीने को विवश किया, रानी कमलादेवी व राजकुमारी देवल जैसी भारतीय रानियों व राजकुमारियों से स्वयं व अपने पुत्र व सेनापतियों से जबरन निकाह कराया। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति का महिमामंडन कितना जायज है।
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