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शरद पवार के पावर में हैं असली दम, महाराष्‍ट्र में एनसीपी बनी किंगमेकर!

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बेंगलुरु। महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत है। लेकिन दोनों पार्टियों में मुख्‍यमंत्री की कुर्सी को लेकर पेंच बुरी तरह से फंसा हुआ हैं। एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली पार्टियां सत्ता पर काबिज होने के लिए खींचतान शुरु कर दी है। एक तरफ शिवसेना चुनाव परिणाम आने के बाद से ही ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सरकार बनाने का लिखित वादा मांग रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा बदलने वाले मुख्यमंत्री के लिए सहमत नहीं हैं और न ही होगी, क्योंकि वो जो विधायकों के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी का हवाला दे रही है। बता दें भाजपा के 105 विधायक हैं। शिवसेना के 56 विधायक हैं।

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ऐसे में सत्ता पर काबिज होने के लिए दोनों ही दल निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में करने के लिए नूरा कुश्ती कर रहे है। लेकिन सिर्फ निर्दलीय विधायकों को मिलाकर सरकार बनने से रही। ऐसी परिस्थति में शरद पवार की एनसीपी महाराष्‍ट्र में किंगमेकर की भूमिका में आ चुकी है उसकी मुट्ठी में सत्ता की चाभी आती दिख रही है, क्‍योंकि माना जा रहा है कि भाजपा सरकार बनाने के लिए एनसीपी के भी करीब हो सकती है। वहीं शिवसेना भी मुख्‍यमंत्री की कुर्सी के लोभ में एनसीपी से हाथ मिला कर सरकार बनाने का पैतरा चल सकती है।

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गौर करने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में वर्ष 2014 पर नजर डाले तो उस समय की तुलना में भाजपा को 17 सीटों का घाटा हुआ है। शिवसेना को जहां 2014 में 63 सीटें मिली थीं वहीं 2019 में 56 सीटों पर इसको सब्र करना पड़ा। इन सबसे इतर अगर बात करें एनसीपी की तो उसके पास भी 54 सीटे हैं। एक साथ चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना सत्ता पर काबिज होने के लिए कूटनीति का सहारा लेने लगी हैं। माना जा रहा है कि भाजपा की एनसीपी के साथ सांठगांठ हो सकती है।

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अगर ये दोनों साथ आ जाते हैं तो भी सरकार बनने में कोई परेशानी नहीं होगी। जबकि दूसरे एंगल से सोचें तो शिवसेना को भाजपा से अलग होकर एनसीपी, कांग्रेस को मिलाना होगा तब जाकर महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है। बीजेपी के लिए ज्यादा आसान इसलिए होगा क्योंकि बीजेपी और एनसीपी दोनों बहुमत के आंकड़े को आसानी से पा लेगे क्योंकि बीजेपी 105 सीट और एनसीपी 54 सीट को मिलाकर 159 सीटें हो जाएगी जो बहुमत से ज्यादा होगा। ऐसे में शरद पवार की एनसीपी में सरकार बनाने का असली दम दिख रहा है। वह किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रही है। याद रहे एनसीपी वही पार्टी है जिसे लेकर चुनाव से पहले राजनीति विशेषज्ञ भविष्‍यवाणी कर रहे थे कि इस चुनाव के बाद इस पार्टी का अस्तित्‍व ही संकट में आ जाएगा।

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शिवसेना चुनाव परिणाम आने के बाद से जैसे भाजापा को आड़े हाथ ले रही है और अपनी जिद पर अड़ी हुई है वहीं भाजपा शांत होकर केवल राज्य में गठगंधन की सरकार बनाने का दावा कर रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्‍द्र फडणवीस ने इशारो में एक कार्यक्रम में यह कह दिया है राज्य में गठबंधन की एक स्थिर सरकार बनेगी। लेकिन कैसे बनेगी इसका अब तक खुलासा नहीं किया है। उन्‍न्होंने ये भी कहा कि राज्य में हम गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे हैं। इसलिए आने वाले पांच साल हम राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली स्थिर सरकार देंगे।

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गौर करने वलाी बात ये है कि भाजपा और शिवसेना दोनों दलों की राजनीति शुरुआती दौर से साथ-साथ चलने की रही है, कभी किसी तरह की बातें उभर कर सामने आयीं तो इन दोनों दलों ने दूर होकर भी देख लिया है। इस बार फिर से सत्तारुढ़ तो होने के करीब हैं मगर सबसे बड़ी बात ये है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान जारी है। इस तरह दोनों दलों के खींचतान में निर्दलीय विधायकों की चांदी हो गई है। हालांकि भाजपा के समर्थन में तीन निर्दलीय विधायकों गीता जैन, राजेंद्र राउत और रवि राणा ने घोषणा कर दी है। वैसे गीता जैन पहले भाजपा से टिकट की मांग कर रही थीं, इनकी जगह भाजपा ने नरेंद्र मेहता को उतारा था. गीता जैन टिकट नहीं दिए जाने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ी थीं। सफलता मिलने के बाद फिर से भाजपा को समर्थन देने के लिए देवेंद्र फडणवीस को आश्वस्त कर चुकी हैं। वहीं शिवसेना को दो निर्दलीय विधायकों ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।

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गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा गठबंधन का दावा तो कर रही लेकिन कैसे इस पर अभी भी चुप्‍पी साधे हुए है। लेकिन हरियाणा में जो कुछ हुआ इससे यह जरूर लगता है कि यह राजनीति का ऊंट कब किस ओर मुंह करके बैठेगा यह सदा अनिश्चित रहता है। बता दें हरियाणा में सबसे अधिक सीटें हासिल करने के बावजूद भाजपा सरकार बनाने से महज 6 सीट दूर थी। जिसके लिए पहले निर्दलीय विधायकों से हाथ मिलाकर सरकार बनाने की बात सामने आयी लेकिन महज 24 घंटे में अचानक भाजपा ने हरियाणा में महज दस माह पुरानी बच्‍चा पार्टी जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। रोचक बात ये हुई कि चुनाव परिणाम के आते ही दुष्‍यंत चौटाला की नयी नवेली पार्टी जेजेपी दस सीट जीतकर किंगमेकर की भूमिका में आ गयी थी। लेकिन भाजपा ने पहले उसके साथ सरकार बनाने का सीधा ऑफर देने के बजाय, उसे यह जता दिया कि वह निर्दलीय पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली है। तभी विरोधी पार्टी होने के बावजूद जेजेपी ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया और उपमुख्‍यमंत्री का पद लेकर भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बना ली।

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बिल्कुल वो ही कूटनीति भापजा महाराष्‍ट्र में चल रही हैं। वह चुप्‍पी साध कर यह शिवसेना ही नहीं विरोधी पार्टी एनसीपी को भी ये ही संदेश दे रही है कि हर हाल में वो ही सरकार बनाएगी। हालांकि राजनीतिक पंडितों की मानें तो महाराष्ट्र में सरकार अंततोगत्वा भाजपा-शिवसेना की ही बनेगी, क्योंकि इन दोनों का माइंडसेट भी एक है। इसीलिए बीजेपी ने शिवेसेना को लालच दिया है कि वह ढ़ाई साल बाद आदित्य ठाकरे को डिप्टी सीएम बनाने के लिए तैयार है।अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि इन दोनों दलों के बीच माथापच्ची पर विरामचिन्ह कब लगता हैऔर भाजपा-शिवसेना की सरकार यानि भाजपा के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार कब बनती है।

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English summary
In Maharashtra, it is difficult to form a coalition government between BJP and Shiv Sena.In such a situation, Sharad Pawar's NCP party,has come in the role of Kingmaker.it is to be seen whether NCP will form an alliance with BJP or Shiv Sena.
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