2 घंटे में तैयार हो जाता है थर्मोकॉल का यह टॉयलेट, कीमत जानकर रह जाएंगे दंग
पुणे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को लेकर देशभर में कई लोग इस मिशन से जुड़कर सफल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें पुणे के रामदास माने शामिल हैं। रामदास ने थर्मोकॉल पर सीमेंट कोटिंग की मदद से महज दो घंटे में तैयार होने वाला टॉयलेट बनाने का तरीका खोज निकाला है। रामदास माने की खोज पीएम के मिशन को एक कदम और आगे लेकर जा रही है। इस तकनीक से दूरदराज के इलाकों के लोगों को आसानी से शौचालय उपलब्ध करवाए जा सकेंगे।
माने ने 25 लड़कियों को ये टॉयलेट उपहार स्वरूप दिए
माने ने बताया कि, 'उन्होंने 25 लड़कियों को ये टॉयलेट उपहार स्वरूप दिए हैं। जिनके पास शौचालय बनवाने की क्षमता नहीं है, हम शादी में उन्हें तोहफे में ऐसा टॉयलेट देते हैं।' माने लोगों को इन शौचालयों को तोहफे में देने की भी सलाह दे रहे है। जिससे ग्रामीण इलाकों में नवविवाहताओं और लड़कियों के खुले में शौच जाने की जरूरत न पड़े। ऐसे करीब 22 हजार शौचालयों को देश भर में लगाने के लिए भेजा गया है।
ये टॉयलेट केवल 22 हजार रुपए में बनकर तैयार हो जाते
रामदास माने की तकनीक से तैयार किए जाने वाले टॉयलेट केवल 22 हजार रुपए में बनकर तैयार हो जाते है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन्हें बनाने में मात्र दो घंटे का समय लगता है। माने कहते हैं कि उनका बिजनेस नो लॉस और नो प्रोफिट पर बेस्ड है। माने को अपने इस काम के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 2016 में उन्हें सेनिटेशन लीडरशिप अवार्ड से नवाजा गया था। वे 2007 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड बना चुके हैं।
भारत में 80 फीसदी थर्मोकॉल उनकी कंपनी के द्वारा बनाई गई मशीनों से बनाया जाता
माने को जैसे ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे से भी पुरस्कार मिले हैं। माने ने अपनी कंपनी माने ग्रुप ऑफ कंपनीज को 1993 में शुरु किया था। उनकी कंपनी तब थर्मोकॉल बनाती थी। उनकी कंपनी की बनाई गई मशीने 45 देशों में भेजी जाती है। भारत में 80 फीसदी थर्मोकॉल उनकी कंपनी के द्वारा बनाई गई मशीनों से बनाया जाता है। माने के पास थर्माकॉल रिसाइकलिंग का पेटेंट भी है।
पढ़ाई पूरी करने के लिए फुटपाथ पर भी सोए रामदास
रामदास माने का जन्म सतारा जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था। वह अपनी पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करते और कई जगहों पर पार्ट टाइम जॉब भी करते थे। वह कई महीनों तक अपनी पूरी पढ़ाई करने के लिए फुटपाथ पर भी सोए हैं। पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने के लिए वह रात में कैंटीन में काम करते थे। आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 40 करोड़ रुपए का है। उनकी कंपनी में 70 लोग काम करते हैं। उनकी कंपनी दुनिया की सबसे सस्ती थर्मोकॉल बनाने वाली मशीन बनाती है।