राज्यसभा चुनाव: ये चाल ना चलती कांग्रेस, तो हार जाते अहमद पटेल
नई दिल्ली। गुजरात में तीन सीटों पर संपन्न हुआ राज्यसभा चुनाव कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका था। इसमें सबसे ज्यादा अहम था कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की सीट का चुनाव। यह बात दीगर है कि राज्यसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही उठापटक शुरू हो गई थी। 6 विधायक इस्तीफा देकर कांग्रेस से भाजपा में चले गए थे। कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया था कि भाजपा उनके विधायकों 15 करोड़ रुपए और अगले विधानसभा चुनाव में टिकट का लालच दे रही है। इसके चलते कांग्रेस ने अपने विधायकों को कर्नाटक की राजधानी स्थित बेंगलुरू में अपने ही नेता डी शिवकुमार के रिजॉर्ट में ठहराया था।
लेकिन तब जीते पटेल
इन विधायकों को चुनाव से एक दिन पहले आणंद एक रिजॉर्ट में लाया गया था। हालांकि अहमद पटेल चुनाव जीत गए। अहमद पटेल के पक्ष में कुल 44 वोट पड़े, जिससे यह स्पष्ट पता चलता है कि लड़ाई कांटे की थी। जीत के बाद अहमद पटेल ने ट्विटर पर लिखा 'सत्यमेव जयते।' बता दें कि पटेल यह चुनाव हार गए होते अगर भारत निर्वाचन आयोग ने 2 कांग्रेस विधायकों का वोट रद्द ना किया होता।
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कांग्रेस का दावा था
कांग्रेस ने दावा किया था कि दो बागी कांग्रेसी विधायक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अपना बैलेट पेपर दिखा दिया। जिसके बाद घंटों चले सियासी ड्रामे के बाद चुनाव आयोग ने कांग्रेस का दावा स्वीकार कर दो विधायकों का वोट रद्द कर दिया।
आखिरी मुकाबला हुआ तब...
जिसके चलते अहमद पटेल की जीत हो पाई। बता दें कि मंगलवार (8 अगस्त) को हुए राज्यसभा चुनाव में 182 में से 176 विधायकों ने वोट दिया। 2 विधायकों का वोट रद्द हो जाने के बाद आखिरी मुकाबला 174 वोटों पर हुआ। जिसके बाद जीत के लिए 45 की जगह सिर्फ 44 विधायकों के वोट की ही आवश्यकता रह गई। पटेल को 44 वोट मिले।
NCP से भी थी उम्मीद
गौरतलब है कि 51 विधायकों वाली कांग्रेस के 44 विधायक बेंगलुरू स्थित रिजॉर्ट गए थे। हालांकि 43 विधायकों ने ही पटेल को वोट किया। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि किस कांग्रेस विधायक ने पटेल को वोट नहीं दिया। पटेल को जनता दल यूनाइटेड के एक और नेश्नलिस्ट कांग्रेस पार्टी के 2 विधायकों से भी समर्थन की उम्मीद थी। वहीं भाजपा से अमित शाह और स्मृति ईरानी 46-46 वोट पाकर जीत गए।