राज्यसभा में 12 सांसदों के निलंबन पर जारी गतिरोध पर बोले वेंकैया नायडू, दोनों पक्ष बातचीत से हल निकालें
नई दिल्ली, 2 दिसंबर: राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने 12 सदस्यों के सदन से निलंबन को लेकर जारी गतिरोध पर पीड़ा जाहिर करते हुए कहा है कि सांसद अपने व्यवहार पर खेद जताने के लिए भी तैयार नहीं हैं और निलंबन वापसी की मांग की जा रही है। उन्होंने विपक्षी सांसदों के रवैए पर हैरानी जताते हुए कहा है कि सदन के बाहर और भीतर निर्धारित प्रक्रिया के तहत हुई कार्यवाही को भी अलोकतांत्रिक बताया जा रहा है। बहरहाल, उन्होंने सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों से अपील की है कि वो बातचीत के जरिए सदन में जारी गतिरोध का हल निकालें, ताकि उच्च सदन की कार्यवाही सुचारू तरीके से चल सके।
आपको
अपने
दुर्व्यवहार
पर
पछतावा
नहीं-
नायडू
राज्यसभा
की
कार्यवाही
बार-बार
स्थगित
होने
पर
पीड़ा
जाहिर
करते
हुए
उच्च
सदन
के
सभापति
एम
वेंकैया
नायडू
ने
सदन
से
12
सदस्यों
के
निलंबन
पर
कहा
है
कि
'आपको
अपने
दुर्व्यवहार
पर
पछतावा
नहीं
है,
लेकिन
सदन
ने
अपने
नियमों
के
तहत
जो
फैसला
लिया
है,
उसे
रद्द
करने
पर
जोर
डाल
रहे
हैं।
क्या
यही
लोकतंत्र
के
सिद्धांतों
का
पालन
करना
है?'
ऐसा
1962
से
हो
रहा
है
तो
क्या
सभी
अलोकतांत्रिक
थे
?-
नायडू
उन्होंने
कहा
है
कि
'हालिया
निलंबन
पहली
बार
नहीं
हुआ
है।
सदस्यों
का
इस
तरह
से
निलंबन
1962
से
हो
रहा
है
और
2010
तक
11
मौकों
पर
हो
चुका
है....तत्कालीन
सरकारों
की
ओर
से
पेश
किए
गए
प्रस्तावों
पर।
क्या
वे
सभी
अलोकतांत्रिक
थे
?
अगर
थे,
तो
इनती
बार
उसका
सहारा
क्यों
लिया
गया
?'
नायडू
बोले
कि
'इस
प्रतिष्ठित
सदन
के
कुछ
नेता
और
सदस्यों
ने
अपने
विवेक
से
12
सदस्यों
के
निलंबन
को
अलोकतांत्रिक
बताया
है।
मैंने
यह
समझने
की
काफी
कोशिश
की
कि
क्या
इस
तरह
के
प्रचार
का
कोई
औचित्य
था,
लेकिन
नहीं
समझ
पाया।'
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'अलोकतांत्रिक
बर्ताव
को
लोकतांत्रिक
ठहराने
की
कोशिश
हो
रही
है'
उन्होंने
कहा
है
कि
'सदन
के
अंदर
और
बाहर
निलंबन
को
अलोकतांत्रिक
ठहराते
हुए
इसके
कारण
के
बारे
में
एक
शब्द
नहीं
कहा
गया
है,
जो
कुछ
सदस्यों
ने
पिछले
सत्र
के
दौरान
अमर्यादित
व्यवहार
किया
था,
जिसे
मैंने
स्पष्ट
तौर
पर
'अपवित्र
आचरण'
कहा
है।'
नायडू
के
मुताबिक,
'दुर्भाग्य
से
यह
संदेश
देने
की
कोशिश
हुई
है
कि
सदन
के
साथ
की
गई
'अपवित्रता'
लोकतांत्रिक
है,
लेकिन
ऐसी
अपवित्रता
के
खिलाफ
हुई
कार्यवाही
अलोकतांत्रिक
है।
मुझे
विश्वास
है
कि
इस
देश
की
जनता
लोकतंत्र
के
इन
नए
मानदंडों
को
नहीं
स्वीकार
करेगी।'
दोनों
पक्ष
बातचीत
से
हल
निकालें-नायडू
इसके
साथ
ही
राज्यसभा
के
सभापति
ने
कहा
कि
'उपसभापति
ने
दोनों
पक्षों
से
बातचीत
का
आग्रह
किया
है
और
सदन
की
सामान्य
कार्यवाही
संचालित
करने
के
लिए
जरूरी
कदम
बढ़ाइए.....मैं
इस
सदन
के
दोनों
पक्षों
से
आग्रह
करता
हूं
कि
बातचीत
कीजिए
और
सदन
को
उसका
कार्य
कर
दीजिए।'