कश्मीर में राजनाथ सिंह बोले- 5 अगस्त का मिशन तभी पूरा होगा जब PoK,गिलगित-बाल्टिस्तान भारत में जुड़ जाएगा
Rajnath Singh Jammu and Kashmir visit: रक्षा मंत्री जम्मू कश्मीर दौरे पर गुरुवार को पहुंचे हैं। भारतीय सीमा का मुआयना करने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार समूहों द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी सवाल उठाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा 5 अगस्त, 2019 को शुरू हुआ जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण का मिशन तभी पूरा होगा जब "गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके भारत के साथ फिर से जुड़ जाएगा।
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मैं पीओके के निवासियों का दर्द समझता हूं
बता दें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 27 अक्टूबर की सुबह कश्मीर पहुंचे हैं कश्मीर के बडगाम जिले में 'शौर्य दिवस' के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने हिस्सा लिया।इस अवसर पर उन्होंने मैं कहा पाक अधिकृत कश्मीर के निवासियों के दर्द को महसूस करता हुूं, जो पाकिस्तान के हाथों अत्याचार और उनके अधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा वहीं 5 अगस्त 2019 के बाद इस तरफ कश्मीर और लद्दाख विकास और समृद्धि की नई राह पर चल पड़े हैं । राजनाथ सिंह ने कहा यह सिर्फ शुरुआत है भारत का मिशन तभी पूरा होगा जब गिलगित बाल्टिस्तान और पीओके के क्षेत्र भारत के साथ फिर से जुड़ जाएंगे।
पीओके पर किए जा रहे अत्याचार का पाकिस्तान खामियाजा भुगतेगा
राजनाथ सिंह ने 1994 में पीओके को पुनः प्राप्त करने पर संसद द्वारा पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा वह दिन दूर नहीं है जब 1947 के शरणार्थियों को न्याय मिलता है और उन्हें उनकी जमीन और घर वापस मिल जाता है। रक्षा मंत्री ने कहा पाकिस्तान अवैध रूप से इन इलाकों पर कब्जा कर रहा है और नफरत के बीज बो रहा है। वह समय दूर नहीं जब पाकिस्तान को पीओके के निवासियों पर किए गए दमन और अत्याचार के लिए भुगतान करना होगा।
रक्षा मंत्री ने पूछा ये सवाल
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों पर ज्यादती करने का आरोप लगाते हुए कहा मैं पाकिस्तान से पूछना चाहता हूं, जो मानवाधिकारों पर मगरमच्छ के आंसू बहाता है, वहीं देश पीओके के निवासियों के साथ कैसा व्यवहार कर रहा है। पीओके में रहने वालों के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है।
सुरक्षा बलों, नागरिकों पर जब हमला होता है तब मानवाधिकार कहां चला जाता है ?
रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार समूहों द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा जब सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमला होता है तो मानवाधिकार समूह कहां चला जाता हैं? मानवाधिकार समूह और तथाकथित बुद्धिजीवी आतंकवादियों और उनके समर्थकों का समर्थन करते रहे हैं जब सुरक्षा बल उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कश्मीर जिस स्थिति में था, उसके लिए इन तथाकथित बुद्धिजीवियों की चुप्पी भी जिम्मेदार थी। कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का जातीय सफाया और उनका जबरन पलायन भी देखा गया।