राजस्थान चुनाव: गहलोत बोले, पायलट से कोई झगड़ा नहीं, मिलकर लड़ रहे हैं चुनाव
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नई दिल्ली। राजस्थान में सीएम की रेस में शामिल कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उनका सचिन पायलट के साथ कोई विवाद नहीं है और कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए वे दोनों मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी बागी नेताओं को मनाने की कोशिश में जुटी है। अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश में कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं।
पायलट के साथ कोई झगड़ा नहीं
राजस्थान में कांग्रेस ने सत्ता वापसी के लिए सूरमाओं की पूरी फौज उतारी है जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की डिमांड ज्यादा है। वहीं, दोनों खेमे में मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद भी सामने आया है और इनके समर्थकों ने अपने-अपने नेता की दावेदारी पेश करते हुए एक दूसरे पर निशाना साधा था। इसपर अशोक गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट के साथ उनका कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि जब आलाकमान ने फैसला कर लिया कि सबकुछ चुनाव के बाद तय होगा, तब झगड़े की बात कोई है ही नहीं।
बोले-बीजेपी इसे बना रही मुद्दा, हमारे बीच कोई विवाद नहीं
बीजेपी ने आरोप लगाया था कि गहलोत और पायलट एक-दूसरे को फूटी आंख भी नहीं सुहाते हैं, इस सवाल का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि आलाकमान जो कहता है उसकी का पालन सभी नेता करते हैं और वे भी करते हैं। बीजेपी इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। अशोक गहलोत ने कहा, 'मैंने 1977 में अपना पहला चुनाव लड़ा, मैं पांच बार सांसद रहा हूं और केंद्रीय मंत्री के अलावा 3 बार पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बार रहा हूं। मैं मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का 2 बार महासचिव रहा हूं।'
'जो पार्टी कहती है, वहीं करता हूं'
गहलोत ने कहा, 'मैं 34 साल की उम्र में पार्टी का प्रदेस अध्यक्ष बना था। मैंने कभी भी कुछ भी नहीं पूछा और जो पार्टी ने आदेश दिया उसे स्वीकार किया। यही भावना सभी में होनी चाहिए। कांग्रेस में, मैंने देखा है कि खुद को प्रोजेक्ट करना मददगार साबित नहीं होता है। किसी को भी ऐसा नहीं करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि सचिन पायलट और वे एकसाथ मिलकर लड़कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने राजस्थान में कभी भी मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान नहीं किया। लेकिन बीजेपी इसपर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी में अंदरुनी कलह है और इसी कारण 75 दिनों बाद प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हो सका।