मोदी को टक्कर देने के लिए राहुल ने CWC में अपनाया मोदी फॉर्मूला
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद करीब 4 महीने बाद राहुल गांधी ने पार्टी की सर्वोच्च कार्यकारी समिति यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) का गठन कर दिया। राहुल गांधी कांग्रेस के इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद वर्किंग कमेटी का गठन करने में इतना लंबा वक्त ले लिया। राहुल गांधी ने आखिर इतना समय क्यों लिया? सोनिया गांधी के वफादार और युवा चेहरों को वर्किंग कमेटी में जगह देकर वह बैलेंस साधते दिख रहे हैं। राहुल गांधी ने 51 सदस्यों वाली वर्किंग कमेटी में 23 सदस्य, 18 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 10 नेताओं को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया है। नई वर्किंग कमेटी से जर्नादन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, मोहन प्रकाश, सीपी जोशी और करण सिंह जैसे कुछ बड़े नामों को ड्रॉप कर दिया है। संकेत साफ है कि बीजेपी की तरह राहुल गांधी भी कांग्रेस पार्टी में एक व्यक्ति एक पद और 75 वर्ष से ऊपर के नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डालने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी संकेत तो कुछ इसी तरह के दे रही है! सबसे अहम संदेश जो इस वर्किंग कमेटी से निकलकर आ रहा है, वह है- राहुल गांधी ने जमीनी नेताओं पर भरोसा किया है, जिनके पास चुनावी रणनीति के साथ ही मुद्दों की बेहतर समझ है। राहुल गांधी की वर्किंग कमेटी से हवा-हवाई नेताओं को दूर, बहुत दूर कर दिया है।
इन नेताओं को ड्रॉप कर दिया पार्टी को बड़ा संदेश
राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में जर्नादन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, मोहन प्रकाश, सीपी जोशी और करण सिंह जैसे कुछ बड़े नामों को जगह नहीं दी है। ये सभी नेता सोनिया गांधी के जमाने में पार्टी के हर फैसले में शामिल होते थे। इसके साथ ही पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह को भी हटाया गया है। पहले वह विशेष आमंत्रित सदस्य थे। गौर से देखें तो जर्नादन द्विवेदी और दिग्विजय सिंह को तो नॉन परफॉर्मर कहा जा सकता है, लेकिन कमलनाथ तो एमपी में चुनावी बागडोर संभाल रहे हैं। अमरिंदर ने पंजाब में कांग्रेस को बुरे वक्त में जीत दिलाई। ऐसे में इन्हें क्यों नहीं शामिल किया गया? जबकि कई पूर्व सीएम कांग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल किए गए हैं। इनमें हरीश रावत, सिद्धारमैया जैसे नेता शामिल हैं। कमलनाथ और अमरिंदर को जगह न मिलने से ऐसा लगता है कि राहुल गांधी एक ही व्यक्ति को कई पद देने में यकीन नहीं रखते हैं। जैसा कि बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद पर जोर दिया गया। संभवत: राहुल गांधी इस पर फोकस करते दिख रहे हैं। राहुल गांधी ने वर्किंग कमेटी में आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों और 11 पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को शामिल किया है। इसका मतलब है कि वह एक ही व्यक्ति पर ज्यादा जिम्मेदारियों का बोझ डालने के पक्ष में नहीं हैं।
बुजुर्ग नेताओं को रखा ख्याल पर ज्यादा दिन नहीं रहेगी इनके हाथों में कमान
कई कांग्रेस नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत में दबी जुबान में इस बात को स्वीकारा है कि मौजूदा वर्किंग कमेटी में राहुल गांधी ने संतुलन साधा है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होगा। राहुल गांधी की वर्किंग कमेटी का पूरा स्वरूप 2019 के बाद सामने आएगा। दरअसल, राहुल गांधी पार्टी में एकदम से आमूल-चूल परिवर्तन के पक्ष में नहीं हैं। यही कारण रहा कि वर्किंग कमेटी में अहमद पटेल, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं को रखा गया है। राहुल गांधी ने इन बुजुर्ग नेताओं को जगह तो दी है, लेकिन नतीजे उलट आए तो इन्हें बदला भी जा सकता है। दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाकर राहुल गांधी ने इन वरिष्ठ नेताओं को स्पष्ट संकेत भेज दिया है।
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सभी राज्य प्रभारियों को वर्किंग कमेटी में जगह
राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिहाज से एक और बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने वर्किंग कमेटी से भले ही कमलनाथ, करण सिंह, अमरिंदर सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वीरभद्र सिंह, मोहन प्रकाश, आस्कर फर्नाडीज, सीपी जोशी और मोहसिना किदवई जैसे नेताओं को हटा दिया हो, लेकिन हर राज्य के प्रभारी को जगह दी है। राहुल गांधी ने उन नेताओं को एकदम कड़ा संदेश दिया है, जिनकी वजह से पार्टी को नुकसान हुआ है। कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्हें वर्किंग कमेटी में जगह नहीं मिली, पर उनके लिए दूसरे अहम काम रखे गए हैं। जैसे सीपी जोशी को वर्किंग कमेटी में नहीं लिया गया, लेकिन उनका महासचिव पद बरकरार रखा गया है। उन्हें राजस्थान में प्रचार की काम सौंपा जा सकता है। मतलब राहुल गांधी ने हर कांग्रेसी नेता की क्षमता के हिसाब से काम दिया है और उतना ही काम दिया है, जिसे वह अच्छे से कर सकें।
जिन राज्यों में होने हैं चुनाव, उनका भी रखा ख्याल
राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अरुण यादव, छतीसगढ़ से मोतीलाल वोरा के साथ ताम्रध्वज साहू और राजस्थान से अशोक गहलोत, जितेंद्र सिंह के साथ रघुवीर मीणा को वर्किंग कमेटी में स्थान दिया है। इस साल के अंत में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ तीनों राज्यों में चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना से वर्किंग कमेटी में एक भी नाम नहीं है। यह पार्टी के लिए बुरा संकेत हैं। उसे इन राज्यों में लीडरशिप पैदा करने पर विचार करना चाहिए। हालांकि, हरियाणा जैसे छोटे राज्य से समिति के 51 में 4 नेता शामिल किए गए हैं। समिति में उत्तर प्रदेश से छह नाम हैं, जिनमें खुद राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी शामिल हैं। यूपी की तरह गुजरात को भी वर्किंग कमेटी में अच्छी जगह दी गई है। गुजरात से अहमद पटेल, दीपक बाबरिया, शक्ति सिंह गोहिल और ललित देसाई को समिति में स्थान मिला है।