मोदीराज में दोगुनी हुई बजाज समूह की संपत्ति, राहुल बजाज के डर पर उठे सवाल!
बेंगलुरू। मशहूर उद्योगपति और बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज ने यूपीए सरकार की तुलना करते हुए कहा है कि मौजूदा सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि देश में भय का माहौल है, लोग सरकार की आलोचना करने से डरते हैं और विश्वास नहीं करते हैं कि केंद्र सरकार उनकी किसी भी आलोचना की सराहना करेगी।
हालांकि राहुल बजाज के इस बयान के बाद से लगातार सियासी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने राहुल बजाज के समर्थन में उतर आई है, उससे मामला राजनीतिक हो गया है। उसी चर्चा में मौजूद रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजाज के बयान को राष्ट्रहित के खिलाफ करार दिया।
मजे की बात यह है कि जब राहुल बजाज यह बात कह रहे थे तब उनके सामने गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। गृह मंत्री ने राहुल बजाज को सीधा जवाब देने के बजाय बस इतना कहा कि 'डरने की कोई आवश्यकता नहीं है और अगर उनकी बात सही है तो माहौल को बेहतर बनाने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब राहुल बजाज ने मोदी सरकार के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाया है इससे पहले भी जुलाई, 2019 में भी राहुल बजाज ने ऑटो सेक्टर में आई मंदी को लेकर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना कर चुके हैं।
सवाल यह है कि मोदी सरकार के कामकाज और आर्थिक नीतियों की आलोचना करने वाले बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज की आलोचना में कितना दम है, क्योंकि बजाज समूह के नेटवर्थ संपत्ति में पिछले चार वर्ष में हुई दोगुनी वृद्धि, जिसने बजाज समूह को भारत के अमीर घरानों की सूची में 19वें स्थान से 11वें स्थान पर पहुंचा दिया है, राहुल बजाज के दलीलों को खारिज कर देती है।
वर्ष 2015 में बजाज परिवार भारत के सबसे अमीर घरानों में 19 वें नंबर पर था और उसका नेटवर्थ 4.4 अरब डॉलर था। चार साल बाद यानी वर्ष 2019 में समूह का नेटवर्थ दोगुना होकर 9.2 अरब डॉलर पहुंच गया है। मालूम हो, वर्ष 2014 से 2019 के बीच मोदी सरकार पार्ट-1 की सरकार थी और मोदी सरकार पार्ट-1 यानी यूपीए सरकार पार्ट-2 में बजाज समूह की नेटवर्थ संपति वर्तमान की आधी थी।
गौरतलब है उसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि उद्योगपतियों को डर और उत्पीड़न के माहौल में काम करना पड़ रहा है। कारोबारियों के हवाले डॉ सिंह ने कहा था कि मोदी सरकार में उद्योगपति नई परियोजनाएं शुरू करने से पहले घबराते हैं, जिससे उनके अंदर असफ़लता का डर रहता है।
पूर्व प्रधानतमंत्री मनमोहन के आरोपों के बाद बजाज समूह के चेयरमैन और मशहूर उद्योगपति राहुल बजाज द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने वही बात दोहराना इशारा करता है कि देश में एक बार मोदी सरकार के खिलाफ कृत्रिम डर का माहौल बनाने वाला कैंपेन शुरू कर दिया गया है, जिसमें चाहे-अनचाहे राहुल बजाज शामिल हो गए है।
इससे पहले भी, केंद्र में शासित मोदी सरकार पार्ट-1 के दौरान भी ऐसी कोशिशें खूब की गई हैं। इनमें असहिष्णुता औ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। पूरे देश में ऐसा माहौल बनाया गया कि देश में डिक्टेरशिप लागू हो चुका है। फिर अवॉर्ड वापसी गैंग को कौन भूल सकता है, जिसके निशाने पर मोदी सरकार और उनके कामकाज का तरीका रहा।
इसके बाद मॉब लिंचिंग के जरिए देश के अल्पसंख्यकों को लेकर माहौल बनाया गया। इसलिए माना जा रहा है कि पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और फिर उसी दिन बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज के बयानों की कड़ी एकदूसरे से जुड़ी तो नहीं हैं। यह मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की कवायद भी हो सकती है, जैसा पहले भी हो चुका है।
यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि राहुल बजाज के बयान के बाद पूरे देश में राहुल बजाज की तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। कांग्रेस उद्योगपति राहुल बजाज को जिगरबाज बता रही है, कि देखो बजाज ने अमित शाह के सामने कह दिया कि लोगों को मोदीराज डर लगता है।
कांग्रेस की टिप्पणी के बाद मोदी के आलोचकों में शुमार कुछ बुद्धिजीवी भी सामने आ गए और कहने लगे कि चलो किसी में तो दम है, जिसने सरकार की आंखों में आंखें डाल कर कह दिया है कि तू डराता है। अभी पूरे देश में राहुल बजाज के बयान को हाथों-हाथ लिया जा रहा है और उसको मोदी सरकार के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।
दरअसल, राहुल बजाज ने उक्त टिप्पणी भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लेकर दिया था। नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने के मामले पर टिप्पणी देते हुए राहुल बजाज ने गृहमंत्री अमित शाह से कहा था कि साध्वी प्रज्ञा को पहले तो बीजेपी की ओर से टिकट दिया गया, फिर जब वो चुनाव जीतकर आईं तो उन्हें डिफेंस कमेटी में लिया गया।
बकौल राहुल बजाज, यह माहौल जरूर हमारे मन में है, लेकिन इसके बारे में कोई बोलेगा नहीं। राहुल बजाज ने आगे कहा, 'आप अच्छा काम कर रहे हैं उसके बाद भी हम खुले रूप से आपकी आलोचना करें, विश्वास नहीं है कि आप इसकी सराहना करेंगे। हो सकता है कि मैं गलत होऊं।
उल्लेखनीय है राहुल बजाज की उक्त टिप्पणी के बाद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। कुछ लोग बजाज की टिप्पणी की सराहना कर रहे हैं तो कुछ उनकी टिप्पणी की जोरदार तरीक से आलोचना भी कर रहे हैं। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्विटर पर कहा, 'राहुल बजाज ने गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया, जो अब सत्ता के लिए सच बोल रहे हैं, उनकी समान रूप से विस्तृत प्रतिक्रिया थी। अगर कोई अपने मन की बात कह सकता है तो डर कहां है?'
If one had such fawning view of Rahul Gandhi, when he is an unmitigated disaster, then it is only natural to spin imaginary yarn and assume the worst for the current regime.
Truth be told - industrialists who flourished in the license raj will always be beholden to the Congress. pic.twitter.com/9sjSTRN9RZ
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 30, 2019
बीजेपी आईटी सेल ने एक और वीडियो शेयर किया है, जिसमें राहुल बजाज पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की शान में कसीदे कसते हुए नजर आ रही है। शेयर किया गया वीडियो तब का है कि जब राहुल गांंधी ने लोकसभा में जोरदार भाषण दिया और उनके भाषण से प्रभावित होकर राहुल बजाज ने उनमें बेहतर नेता की संभावनाएं तलाश कर ली थीं।
वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'आप अनिश्चितता का वातावरण बना रहे हैं, जो डर गया वो मर गया। कॉरपोरेट दुनिया से जुड़े एक व्यक्ति लिखा, लंबे समय बाद, जिसका सभी लोग बहुत विरोध करते हैं, सच बोलने का साहस दिखाया है। सवाल उठता है कि अगर मोदी सरकार में डर का माहौल है और उद्योगपति डरकर व्यापार नहीं कर पा रहे हैं तो बजाज समूह की नेटवर्थ संपत्ति में पिछले चार वर्ष में दोगुनी वृद्धि कैसे हो गई।
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उदारीकरण से पहले औद्योगिक नीतियों की आलोचक थे राहुल बजाज
बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के पोते हैं. राहुल बजाज हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़े हैं। वो दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के अलावा गर्वनमेंट लॉ कॉलेज मुंबई के भी स्टूडेंट रहे हैं। राहुल जाने-माने उद्यमी के साथ-साथ राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। उन्हें 2001 पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में क्रिएटिंग इमर्जिंग मार्केट्स प्रोजेक्ट के लिए एक साक्षात्कार में राहुल बजाज ने 1990 के दशक में उदारीकरण से पहले भारतीय औद्योगिक नीतियों की आलोचना की थी।
वर्ष 1965 राहुल बजाज से संभाली थी बजाज समूह की कमान
राजस्थान में सीकर जिले के काशीकाबास से संबंध रखने वाले राहुल बजाज ने 1965 में बजाज समूह की कमान संभाल ली थी। वर्ष 2005 में राहुल बजाज चेयरमैन का पद छोड़ दिया था। उसके बाद उनके बेटे राजीव बजाज मैनेजिंग डायरेक्टर की भूमिका में आ गए थे। राहुल बजाज 2006 में राज्यसभा सांसद चुने गए।
अरबपतियों की फोर्ब्स 2016 की सूची में शामिल हुए राहुल बजाज
दुनिया के अरबपतियों की फोर्ब्स 2016 की सूची में वो 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ 722वें स्थान पर थे। राहुल बजाज के दो बेटे और एक बेटी है। उनके दोनों बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज कंपनियों के प्रबंधन में शामिल हैं। वहीं, बेटी सुनैना की शादी टेमासेक के पूर्व प्रमुख मनीष केजरीवाल से हुई है।
आम आदमी की बजाज चेतक स्कूटर की चर्चाएं हुईं तेज
1980 के दशक में बजाज ऑटो एक शीर्ष स्कूटर निर्माता कंपनी था। इसके चेतक ब्रांड के बारे में कहा जाता था कि इसकी 10 साल की प्रतीक्षा अवधि थी। बजाज स्कूटर का ऐड आज भी खूब पंसद किया जाता है. हालांकि उनके बयान के बाद 'बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर' फिर से चर्चाओं में है. राहुल बजाज एकमात्र एक्जीक्यूटिव हैं जो सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे. सीआईआई देश की प्राइवेट पब्लिक सेक्टर की 5000 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है. उन्हें 1985 में बिजनेसमैन ऑफ ईयर अवार्ड से नवाजा गया. वहीं, FIE फाउंडेशन ने उन्हें साल 1996 में राष्ट्र भूषण सम्मान से पुरस्कृत किया था. राहुल कई कंपनियों के बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे हैं.
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचक हैं राहुल बजाज
जुलाई, 2019 में ऑटो सेक्टर की टॉप कंपनियों में शुमार बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज ने केंद्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधा था। उन्होंने ऑटो इंडस्ट्री के बिगड़ते हालात पर भी चिंता जाहिर की थी। बजाज ऑटो की आम वार्षिक बैठक (AGM) में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए राहुल बजाज ने कहा था, 'ऑटो सेक्टर बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा है। कार, कमर्शियल व्हीकल्स और टूव्हीलर्स सेग्मेंट की हालत ठीक नहीं है। कोई मांग नहीं है और कोई निजी निवेश भी नहीं है, तो ऐसे में विकास कहां से आएगा? क्या विकास स्वर्ग से गिरेगा?'