राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज लड़ाकू विमान राफेल मामले में दायर सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। बता दें कि अभी हाल ही में फ्रांस ने भारत सरकार को राफेल की पहली खेप सौंपी है जिसे लेने खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस पहुंचे थे। लेकिन राफेल सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा इसके पीछे बहुत लंबी कहानी है। आइए जानते है राफेल मामले की पूरी कहानी कम शब्दों में...

वायुसेना में थी लड़ाकू विमानों की कमी
भारतीय वायुसेना को अपने बेड़े में आधुनिक तकनीक लैस लड़ाकू विमानों की जरूरत थी। अपनी क्षमता और शक्ति बढ़ाने के लिए वायुसेना को कम से कम 42 लड़ाकू विमान की दरकार थी। 126 लड़ाकू विमान खरीदने का वायुसेना ने सबसे पहले प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने रखा। लेकिन इस प्रस्ताव को वर्ष 2007 में कांग्रेस की यूपीए सरकार से मंजूरी मिली। यहीं से बोली लगने की प्रकिया शुरू हुई और बाद में 126 विमान खरीदे जाने का आरएफपी जारी किया गया।
वर्ष 2011 तक लटकी डील
आरएफपी जारी होने के बाद भारत सरकार ने कई लड़ाकू विमानों में से राफेल को चुना। भारतीय वायुसेना ने कई विमानों के तकनीकी परीक्षण और मूल्यांकन करने की वजह ये यह डील 2011 तक लटकी रहा। अंत में वर्ष 2012 में राफेल को एल-1 बिडर घोषित किया गया और फ्रांस की लड़ाकू विमान निर्माता कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ भारत सरकार ने डील फाइनल की। लेकिन आरएफपी अनुपालन और लागत संबंधी दिक्कतें सामने आने के बाद 2014 तक दसाल्ट से बातचीत पूरी नहीं हो सकी।
मोदी सरकार ने किया समझौता
यूपीए सरकार में समझौता न हो पाने के बाद डील अटकी रही और वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस दिशा में फिर से काम शुरू हुआ। वर्ष 2015 में भारत और फ्रांस के बीच विमान खरीद को लेकर समझौता हुआ। इसमें भारत सरकार ने दसाल्ट से जल्द से जल्द 36 विमानों की पहली खेप देने की बात कही।
राफेल की कीमत पर मचा बवाल
लड़ाकू विमान राफेल को लेकर असली बवाल उसकी कीमत से शुरू हुआ। एनडीए सरकार ने दावा किया कि उसने राफेल समझौता पिछली यूपीए सरकार से कही कम दाम में किया और सरकार के 12,600 करोड़ रुपये बचाए। एनडीए सरकार ने कहा कि यह समझौता मेक इन इंडिया पहल के तौर पर किया गया है। हालांकि विमानों की पहली खेप में सौदे की लागत पर सरकार ने पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया जिसके बाद विपक्ष ने हमला बोला।
विपक्ष ने लगाया ये आरोप
विरोधियों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने समझौते को लेकर हड़बड़ी दिखाई। कांग्रेस ने कहा कि यूपीए सरकार के समझौते में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की बात कही गई थी और 108 विमानों के भारत में एसेंबलिंग की बात तय हुई थी। इस सौदे को करने के लिए एनडीए सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सौदे में HAL को 25000 करोड़ रुपये का घाटा होगा।
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राहुल गांधी ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाधी ने एनडीए सरकार पर भष्ट्राचार का आरोप लगाते हुए कहा कि, राफेल समझौते में चोरी हुई है। इसके अलावा राहुल गांधी ने मामले के जांच कराने की भी मांग की थी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव प्रचार में राफेल सौदे को लेकर प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'चौकीदार चोर है' का नारा बुलंद किया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी वह राफेल सौदे पर पीएम मोदी को घेरते रहे।