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गुजरातियों को अवैध रूप से अमेरिका पहुंचाने वाले रैकेट का कैसे हुआ भंडाफोड़

अच्छी ज़िंदगी के लिए गुजरात के कई परिवार लाखों की रक़म ख़र्च कर अवैध रूप से अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं. कइयों की तो जान तक चली जाती है. अब इस रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है.

By BBC News हिन्दी
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• गुजरातियों को कनाडा के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका भेजने के मामले में पुलिस ने एक बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर और दो एजेंटों को गिरफ़्तार किया.

• गुजरात पुलिस के साथ अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी और कनाडा की पुलिस भी इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही है.

• जनवरी-2022 में गुजरात के एक ही परिवार के चार सदस्यों की अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश में मौत हो गई थी.


गुजरातियों को अवैध रूप से कनाडा के रास्ते अमेरिका भेजने के मामले में पुलिस ने एक बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर और दो एजेंटों को गिरफ़्तार किया है.

उन पर इस काम के लिए 75 लाख से एक करोड़ तक की रक़म वसूलने का आरोप है.

गुजरात पुलिस के साथ अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी और कनाडा की पुलिस भी इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही थी.

इस मामले में जांच एजेंसियों को 'वी.डी' नाम के व्यक्ति से मदद मिली, जिसने इस पूरे रैकेट के काम करने के तरीके के बारे में पुलिस को अहम जानकारियां मुहैया कराईं.

पुलिस को कैसे मिला सुराग़


जनवरी-2022 में गुजरात के मेहसाणा ज़िले के कलोल तहसील के डिंगुचा गांव का पटेल परिवार कनाडा के रास्ते अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था.

उस दौरान दंपति और उनके दो बच्चों समेत चार लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद यह मामला अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ी बन गया था.

बीबीसी गुजराती से बात करते हुए, गुजरात के डीजीपी आशीष भाटिया ने कहा, "जब गुजरात पुलिस डिंगुचा गांव के पटेल परिवार की मौत के मामले की जांच कर रही थी, तो आपराधिक जांच विभाग, सीआईडी क्राइम-ब्रांच ने उस व्यक्ति को गिरफ़्तार किया, जिसने फ़र्ज़ी पैन कार्ड, पासपोर्ट और आधार कार्ड बनाए थे."

"फिर अमेरिकी और कनाडाई दूतावासों और अमेरिकी होमलैंड विभाग की तरफ़ से कुछ विवरण दिए गए थे. इस आधार पर अहमदाबाद क्राइम-ब्रांच और गांधीनगर सीआईडी-क्राइम द्वारा एक जांच की गई थी."

नौ महीने की जांच के अंत में, गुजरात पुलिस ने इस रैकेट में शामिल दो एजेंटों को गिरफ़्तार किया है, जबकि बाक़ी जांच जारी है.

अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार होमलैंड सिक्योरिटी ने गुजरात पुलिस और कनाडा की पुलिस के साथ मिलकर अवैध प्रवेश के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ जांच की.

जांच एजेंसियां ईमेल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए संपर्क में थीं और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से गुजरात का दौरा भी किया था.

साज़िश का कैसे हुआ पर्दाफ़ाश


मामले की जांच करने वाले अहमदाबाद क्राइम-ब्रांच के पुलिस उपायुक्त चैतन्य मांडलिक ने बीबीसी गुजराती से कहा, "जांच की शुरुआत में हमें एक डुप्लीकेट आधार कार्ड मिला, जिसके आधार पर एक पैन कार्ड बनाया गया था. गहराई से पड़ताल की गई तो हरीश पटेल नाम के शख़्स का नाम सामने आया.''

"हरीश के डुप्लीकेट आधार कार्ड से अमेरिका में अवैध अप्रवासियों को पासपोर्ट बनाने का पता चला था. सीआईडी क्राइम-ब्रांच ने हरीश पटेल से 87 पासपोर्ट ज़ब्त किए थे. उनके तार उन एजेंटों से जुड़े थे जो उन्हें मैक्सिको और कनाडा से तस्करी कर अमेरिका ले जाते थे."

मांडलिक ने यह भी बताया कि अमेरिका और कनाडा की पुलिस ने हमें इनपुट दिए, जिसके आधार पर अवैध रूप से कनाडा से अमेरिका भेजने वाले पांच एजेंटों को शॉर्टलिस्ट किया गया. फिर तकनीक के सहारे उनकी गतिविधियों पर नज़र रखा गया.

मांडलिक कहते हैं, "छात्रों और अन्य लोगों को अवैध रूप से विदेश भेजने की साज़िश अब भी चल रही थी, लेकिन ज़्यादातर लोगों के परिवार अवैध तरीके से विदेश चले गए थे, इसलिए जानकारी होने के बावजूद हमें कोई मदद नहीं मिल पा रही थी."

"अवैध तरीक़े से विदेश ले जाने का झांसा जिन लोगों को दिया गया था, उनमें से एक व्यक्ति ने हमसे संपर्क किया. उसने हमें सूचित किया कि फेनिल पटेल नाम का एक एजेंट उसे 66 से 75 लाख रुपये में अमेरिका ले जा रहा था. हमारे पास फेनिल पटेल के बारे में पहले से भी जानकारी थी. अमेरिकी जांच एजेंसी ने भी हमें फेनिल के बारे में जानकारी दी."

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जोख़िम भरे रास्ते से सफ़र

डिंगुचा के पटेल परिवार के साथ कुल 11 लोग कनाडा से अमेरिका के लिए रवाना हुए थे. 2500 किलोमीटर का सफ़र तय कर अमेरिकी सीमा पार करने के बाद फेनिल पटेल और बिट्टू उन्हें वैंकूवर ले गए.

जो लोग वैंकूवर के रास्ते अमेरिका जाना चाहते थे उन्हें दो कारों में ले जाया गया, एक कार को फेनिल और दूसरी को बिट्टू चला रहे थे. इस रास्ते से सीमा पार करने के लिए हर व्यक्ति को 11 हज़ार 500 डॉलर ख़र्च करना पड़ता था.

लेकिन इन लोगों को विनिपेग से सीमा पार करने पर केवल 7 हज़ार 500 डॉलर का ख़र्च आता. इसलिए एजेंटों ने ये सस्ता रास्ता चुना.

फेनेल सभी को वैंकूवर से विनिपेग तक कार से लेकर गया. ऐसा उसने पैसे बचाने के लिए किया.

वहां विदेश जाने के इच्छुक लोगों के मोबाइल फ़ोन में एक ऐप्लिकेशन डाउनलोड किया गया और कहा गया कि वे अमेरिका में स्टीव सैंड्स नाम के व्यक्ति से मिलेंगे, जो उन्हें फ़्लोरिडा ले जाएगा.

डीसीपी मांडलिक के मुताबिक़, "फेनिल ने और पैसे लेने के लिए कार से 2,500 किलोमीटर का सफ़र तय किया. विनीपेग और वैंकूवर के बीच चार हजार डॉलर कम ख़र्च हो रहे थे. इस तरह 11 लोगों के लिए कुल मिलाकर 44 हज़ार डॉलर से ज़्यादा की बचत हो गई. इस बचत के लिए उन्हें अपनी जान जोख़िम में डालनी पड़ी."

इन 11 लोगों को विनिपेग में छोड़ दिया गया और आगे अमेरिका बॉर्डर तक पैदल सफ़र तय करने को कहा गया. इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई और सात लोग ही अमेरिका बॉर्डर तक पहुँचने में सफल हुए.

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12 जनवरी 2022 को क्या हुआ था?


12 जनवरी 2022 को भारी बर्फ़बारी हुई.

साढ़े ग्यारह घंटे तक सात लोग पैदल चलकर कनाडा से अमेरिकी सीमा में दाख़िल हुए. फ़्लोरिडा के स्टीव सैंड्स उन्हें लेने पहुंचे. उन्होंने पहुंचने पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की थी और उन्हें बॉर्डर से अमेरिका के अंदर ले जाने की योजना बनाई थी.

इन सात लोगों में 'वी.डी' नाम का एक शख़्स भी शामिल था. उसके पास डायपर और बच्चों के कपड़े थे. पूछताछ में बाक़ी चार लोगों की मौत के बारे में पता चला जो साथ नहीं थे. काफ़ी तलाश के बाद दो बच्चों और उनके माता-पिता के शव बर्फ़ में मिले.

साढ़े ग्यारह घंटे तक बर्फ़ में चलने के बाद एक महिला की उंगलियां जम गईं और सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी. जबकि एक शख़्स को पैर की उंगलियों में ठंड लगने की वजह से अस्पताल में इलाज कराना पड़ा.

गुजरात पुलिस ने जब अहमदाबाद में फेनिल पटेल के कार्यालय में आने वाले लोगों की तहकीकात की तो पता चला कि मेमनगर निवासी योगेश पटेल नाम का व्यक्ति भवन निर्माण के व्यवसाय से जुड़ा है. वो 66 से 75 लाख रुपये लेकर और फेनिल की मदद से अवैध रूप से लोगों को अमेरिका पहुंचाता है.

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कोरोना के बाद फिर सक्रिय हुए एजेंट


अवैध रूप से अमेरिका जाने वालों में प्रियंका चौधरी भी शामिल थीं. प्रियंका के रिश्तेदार एमएम पटेल अहमदाबाद के राणीप में रहते हैं. एमएम पटेल ने बीबीसी से कहा, "प्रियंका हमारी रिश्तेदार हैं और माणसा में रहती हैं. प्रिंस चौधरी के कहने पर वो योगेश पटेल से मिलीं."

"अमेरिका पहुंचने के बाद कुछ राशि का भुगतान किया जाना था. इस पर वीडियो कॉल पर चर्चा हुई थी. लेकिन जब जनवरी के अंत में हमने बात की, तो वह अस्पताल में थीं. उनकी उंगलियों में ख़ून का थक्का जमने के कारण ऑपरेशन करना पड़ा था. अस्पताल ले जाने के दौरान उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी. उन्हें ऑक्सीजन भी देना पड़ा."

इससे पहले अवैध तरीके से लोगों को सब-एजेंट के तौर पर अमेरिका भेजने के काम से जुड़े एक शख़्स ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी से कहा, "जनवरी-2022 में जब कोरोना महामारी थम गई तो योगेश पटेल फिर से सक्रिय हो गए. वो पिछले दस साल से बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर कनाडा के रास्ते अमेरिका जा रहे हैं, और लोगों को अवैध तरीके से अमेरिका भिजवा रहे हैं."

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योगेश के पड़ोसियों की चुप्पी


अहमदाबाद के मेमनगर इलाके में रहने वाले योगेश के पड़ोसी उनके बारे में बात करने को तैयार नहीं हैं और ख़ामोश हैं.

उनके साथ काम करने वाले इलेक्ट्रीशियन जयेश ठाकोर ने कहा, "हम योगेश पटेल को एक ठेकेदार के रूप में जानते हैं. हम नहीं जानते कि वह अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने का काम भी कर रहे हैं."

कलोल के पलसाना में रहने वाले भावेश पटेल के एक दोस्त जिग्नेश ने बीबीसी से टेलीफ़ोन पर बातचीत में कहा, "भावेश छोटे पैमाने पर व्यापार करता था, लेकिन हमें नहीं पता कि वह विदेश में अवैध रूप से पैसा भी भेजता था."

बीएच राठौड़ मेहसाणा में लोकल क्राइम-ब्रांच में काम कर चुके हैं और इस वक्त अहमदाबाद (ग्रामीण) में पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं.

उन्होंने बीबीसी से कहा, "उत्तर गुजरात से मैक्सिको और कनाडा के रास्ते लोगों को अवैध रूप से अमेरिका ले जाने का एक पूरा रैकेट है. ये मैक्सिकन रैकेट अतुल चौधरी और बॉबी पटेल द्वारा चलाया जाता है."

"जिन लोगों को अंग्रेज़ी नहीं आती है उन्हें डमी उम्मीदवारों के ज़रिए अच्छे अंकों से आईईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) की परीक्षा पास कराई जाती है. इस काम में दिल्ली की एक संस्था इनकी मदद करती है."

कुछ समय पहले अमेरिका में कुछ गुजराती लड़के इसी तरीक़े से अवैध रूप से प्रवेश करते हुए पकड़े गए. जब उनकी कोर्ट में पेशी हुई तब पता चला कि आईईएलटीएस में अच्छे अंक होने के बाद भी उन्हें अंग्रेज़ी नहीं आती थी.

उस मामले की जाँच के दौरान जिस रैकेट का नाम सामने आया था, उसके तार भी इस मामले से जुड़ते थे जिसमें डिंगूचा के एक ही परिवार के चार लोगों के मौत हो गई थी.

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पुलिस ने किया मामले को जल्द सुलझाने का दावा


"जांच से पता चला कि उत्तर गुजरात के ग्रामीण या तालुक क्षेत्रों में काम करने वाले एजेंट अहमदाबाद में एजेंटों से संपर्क करते हैं. उन्हें विज़िटर वीजा पर दिल्ली से कनाडा या मैक्सिको भेजा जाता है. अवैध रूप से मैक्सिकन सीमा पार करने वाले लोगों को शरणार्थी शिविर जैसी सुविधाओं में रखा जाता है."

"उनके मोबाइल फोन पर एक एप्लिकेशन डाउनलोड किया जाता है और उन्हें रास्ते में भेज दिया जाता है. यहां गुजरात में एजेंट अपना काम पूरा करते हैं और फिर मेक्सिको में एजेंट उसे अमेरिका में एजेंट को सौंप देते हैं और वह तब तक काम करते हैं जब तक उस शख़्स को काम पर नहीं रखा जाता है."

"जो लोग कनाडा से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं, उन्हें मोटेल के कमरों में रखा जाता है. कनाडाई और अमेरिकी एजेंट अलग-अलग होते हैं. जब कोई घुसपैठिया अमेरिका में पकड़ा जाता है, तो उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए उनकी कलाई पर एक जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) बैंड लगाया जाता है.

अगर ये लोग किसी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं हैं, तो उन्हें परेशान नहीं किया जाता है. अमेरिकी एजेंटों के वकील ऐसे लोगों के मामले लड़ते हैं. अधिकांश लोग, अगर कुछ अवैध काम नहीं कर रहे होते हैं तो समय के साथ वहीं बस जाते हैं. 66 से 75 लाख रुपये चार्ज करने वाला एक एजेंट यह सारी ज़िम्मेदारी उठाता है."

बॉबी पटेल को हाल ही में गिरफ़्तार किया गया है, जबकि अतुल चौधरी ने रूसी लड़की से शादी की है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद से माना जा रहा है कि अतुल अपनी पत्नी के साथ कनाडा में हैं.

डीजीपी भाटिया के मुताबिक़, "हम गुजरात से अवैध रूप से अमेरिका भेजने के रैकेट के भंडाफोड़ के काफ़ी क़रीब हैं. दो एजेंटों को गिरफ़्तार किया गया है. हम विदेशी एजेंसियों के संपर्क में हैं और उन एजेंटों को जल्द ही पकड़ लेंगे जो विदेश में हैं."

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English summary
racket of illegally transporting Gujaratis to America
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