पंजाब में क्या अमरिंदर सिंह को किनारे करने की तैयारी में है कांग्रेस?
नई दिल्ली, 1 जून: पंजाब में कांग्रेस के भीतर इन दिनों दो-फाड़ दिख रही है। पार्टी में बने दो गुटों में एक और अमरिंदर सिंह तो दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू। दोनों के बीच तकरार की बातें तो सिद्धू के कांग्रेस में आने के कुछ दिन बाद से ही होने लगी थीं लेकिन हाल के दिनों में ये इतनी बढ गई है कि कांग्रेस आलाकमान को अब इसमें सुलह के लिए उतरना पड़ा है।
लगातार रहा है दोनों में टकराव
नवजोत सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच टकराव सबसे पहले तो कांग्रेस के पंजाब में सत्ता में आने के बाद दिखा। ऐसी चर्चा थी कि सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सिद्धू को मंत्री बनाया गया लेकिन रिश्तों में टकराव बना रहा और उनको मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा। सिद्धू जब इमरान खान की शपथ में शामिल होने पाक पहुंचे तो भाजपा के साथ-साथ अमरिंदर भी थे, जिन्होंने इसको लेकर नाखुशी जताई थी। बेअदबी मामला हो या हाल के दिनों में किसान आंदोलन, इन मामलों में भी सिद्धू और अमरिंदर सिंह में मनमुटाव दिखा। ये तब पूरी तरह से साफ हो गया जब हाल ही में अमरिंदर सिंह ने ये कह दिया कि सिद्धू उनके सामने चुनाव लड़कर देख लें।
अब सिद्धू ने भी दिखाई अमरिंदर को ताकत
नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा से कांग्रेस में आए हैं जबकि अमरिंदर सिंह काफी पुराने कांग्रेसी हैं। ज्यादातर मौकों पर अमरिंदर ही सिद्धू पर भारी भी दिखे और आलाकमान कहीं ना कहीं चुप्पी ही साधे रहा लेकिन जो हालिया घटनाक्रम है तो काफी कुछ कहता है। सिद्धू भी अमरिंदर सिंह विरोधी गुट को एकजुट कर लेने में कामयाब दिख रहे हैं। पंजाब में भले अमरिंदर भारी दिख रहे थे लेकिन दिल्ली में सिद्धू के तेवर काफी कुछ कह रहे हैं। सोनिया गांधी की ओर से बनाई समिति के सामने अपनी बात रखने के बाद कहा कि जनता की ताकत को उसे वापस लौटाना ही चाहिए। मैं स्पष्ट रूप से सत्य बात कही है और सच की ही जीत होगी। सिद्धू के तेवर से लगता है कि उनकी बात सुन ली गई है।
क्या कम होगी अमरिंदर सिंह की ताकत?
पंजाब में अमरिंदर सिंह काफी समय से कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं। उनको हाल के दिनों में सिद्धू की ओर से ही इस तरह की चुनौती मिली है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार शायद उनकी ताकत कम हो जाएगी। इसकी कई वजह हैं। सबसे पहला तो अमरिंदर सिंह अब 80 साल के हो गए हैं और उनकी राजनीति अब आखिरी दौर में हैं। दूसरा- राहुल गांधी के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं बताए जाते और आलाकमान चाहता है कि सिद्धू को आगे बढ़ाया जाए। सुनील जाखड़ के लोकसभा चुनाव में हारने से उनकी ताकत कम हुई है, ऐसे में सिद्धू को ही अमरिंदर सिंह के सामने सबसे मजबूत माना जा रहा है। जिस तरह से पंजाब कांग्रेस इन दिनों दिल्ली में जमा है, उससे लगता है कि अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू की राजनीति का काफी कुछ फैसला अब यहीं होना है। देखना यही है कि क्या कांग्रेस अमरिंदर सिंह की ताकत घटाएगी कांग्रेस या सिद्धू फिलहाल किनारे ही रहेंगे?