लोकसभा चुनाव 2019- राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से इस वक्त भारतीय जनता पार्टी के छोटेलाल सांसद हैं। साल 2014 में ये सीट भाजपा ने बसपा को हराकर जीती थी। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक राबर्ट्सगंज सोनभद्र जिले में आता है। ये यूपी को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जिला है, जो कि 1989 में अस्तित्त्व में आया था, इसका नाम अंग्रेज अफ़सर फेड्रिक रोबर्ट्स के नाम पर पड़ा था, सोनभद्र देश का इकलौता ऐसा जिला है जो चार राज्यों मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,झारखण्ड और बिहार से घिरा हुआ है।
राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का इतिहास-
राबर्ट्सगंज में हाइड्रो बिजली घर, एलुमिनियम और कैमिकल की कई बड़ी फैक्ट्रियां हैं। रोबर्ट्सगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती हैं, जिनके नाम हैं चकिया, ओबरा, घोरावल, दुद्धी और रोबर्ट्सगंज, जिनमें से चकिया और दुद्धी की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां की औसत साक्षरता दर 52.92% है जिनमे पुरुषों की साक्षरता दर 61.97% और महिलाओं की साक्षरता दर 43.06% है।
खास बात ये है कि अस्तित्त्व में आने के बाद से ही राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है, 1962 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे, 1962 से लेकर 1971 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राम स्वरुप ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की थी। 1977 में जनता पार्टी के शिव संपत्ति राम यहां के सांसद बने थे। 1980 और 1984 में कांग्रेस ने लगातार दो बार जीत दर्ज की लेकिन 1989 में कांग्रेस की हैट्रिक में रोड़ा लगाया भारतीय जनता पार्टी ने, लेकिन 1991 में जनता दल से भाजपा को शिकस्त मिली। 1996 से 1999 तक भारतीय जनता पार्टी के राम शक्ल ने लगातार तीन बार इस सीट पर कब्ज़ा किया लेकिन 2004 में बसपा नेता लालचंद ने यहां जीत दर्ज की और रोबर्ट्सगंज में बहुजन समाज पार्टी का सालों लंबे जीत के इंतजार को ख़त्म किया। 2007 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें हाथी का ही राज रहा। इसके बाद साल 2009 में पकौड़ी लाल ने समाजवादी पार्टी को रोबर्ट्सगंज में पहली बार जीत दिलाई लेकिन साल 2014 में यहां पर भारतीय जनता पार्टी जीती।
छोटेलाल का लोकसभा में प्रदर्शन-
छोटेलाल सोलहवीं लोकसभा में वाणिज्य सम्बन्धी मामलों की स्थाई समिति के सदस्य भी हैं, उनकी पांच सालों में लोकसभा में उपस्थिति 88 प्रतिशत रही औऱ इस दौरान उन्होंने 21 डिबेट में हिस्सा लिया और मात्र 47 प्रश्न सदन में पूछे। साल 2014 में इस सीट पर बसपा दूसरे, सपा तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर थी। उस साल यहां पर 1639074 मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें 54 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। बीजेपी की पुरजोर कोशिश इस सीट को वापस जीतने की होगी वहीं दूसरी ओर विरोधी दल यहां जीतने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे लेकिन इस खेल में बाजी उसी के हाथ लगेगी जिसे जनता का प्यार और साथ मिलेगा और वो किसके साथ है, ये तो चुनाव परिणाम बताएगा।