लोकसभा चुनाव 2019: रीवा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की रीवा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद जनार्दन मिश्रा हैं। साल 2014 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा ने रिकार्ड मत हासिल कर इतिहास रचा था। उन्होंने कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी को 168726 मतों से पराजित किया था। जातीय समीकरण, भौगोलिक स्थिति, क्षेत्रवाद, धनबल और पशुबल जैसे गुण-अवगुण मौजूद होने के बाद भी यहां का मुकाबला हमेशा दिलचस्प रहा है और ये सीट हमेशा से सियासी तौर पर महत्वपूर्ण रही है। मध्यप्रदेश का रीवा अपनी विशिष्ट पहचान के लिए जाना जाता है, यहां नौ देवियों का मंदिर है तो वहीं सफेद बाघ यहां की पहचान, बघेलखंड के अंतरगत आने वाले रीवा जिले की जनसंख्या 23 लाख 65 हजार 106 है, जिसमें से 83 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है और 16 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में निवास करती है।
रीवा लोकसभा सीट का इतिहास
साल 1957 के पहले आम चुनाव में यहां पर कांग्रेस जीती और उसके बाद 1962 और 1967 में भी यहां उसका राज रहा। साल 1977 के चुनाव में यहां से भारतीय लोकदल की जीत का खाता खुला तो वहीं साल 1980 में पहली बार महाराजा मार्तंड सिंह निर्दलीय चुनाव जीते, साल 1984 में भी उन्हीं का राज यहां पर रहा लेकिन इस बार वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे, साल 1989 में यहां पर जनता पार्टी जीती तो 1991 में यहां पर बसपा की जीत हुई, साल 1996 के चुनाव में भी यहां से बसपा जीती लेकिन साल 1998 के चुनाव में उसकी जीत की हैट्रिक नहीं हो पाई क्योंकि भाजपा ने उसे यहां हरा दिया और चंद्रमणि त्रिपाठी यहां से सांसद बने, साल 1999 में एक बार फिर यहां पर कांग्रेस की जीत हुई लेकिन साल 2004 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से हार का बदला ले लिया और एक बार फिर से यहां की एमपी की सीट पर चंद्रमणि त्रिपाठी बैठे लेकिन साल 2009 के चुनाव में एक बार फिर से यहां हाथी की जीत हुई लेकिन साल 2014 के चुनाव में यहां पर कमल खिल गया और जनार्दन मिश्रा यहां के सांसद बन गए।
जनार्दन मिश्रा का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उनकी उपस्थिति 92 प्रतिशत रही और इस दौरान उन्होंने 36 डिबेट में हिस्सा लिया और 114 प्रश्न पूछे। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस नंबर 2 पर, बसपा नंबर 3 पर रही थी। उस साल यहां वोटरों की संख्या 15 लाख 44 हजार 719 थी, जिसमें से मात्र 8,30,002 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिनमें पुरुषों की संख्या 4,57,663 और महिलाओं की संख्या 3,72,339 थी।
बघेलखंड देश का इकलौता ऐसा इलाका है जहां कुल आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा सवर्ण जातियों का है, यहां ब्राह्मणों की आबादी 40% से भी ज्यादा है तो वहीं इस इलाके पर बसपा की भी अच्छी पकड़ है, यही नहीं , यहां आदिवासी आबादी भी ज्यादा है लेकिन कुर्मी और क्षत्रिय वोट बैंक भी यहां नतीजों को प्रभावित करता है, ऐसे में एक बार फिर से क्या यहां भाजपा को सफलता मिलेगी ये एक बड़ा सवाल है। हालांकि कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव में हुई अपनी जीत को भूनाने की कोशिश यहां करेगी तो एक बार फिर से यहां हाथी कमाल कर सकता है, इन सबके बीच में यहां विकास भी चुनावी मुद्दा होगा, जिसके दम पर भाजपा सत्ता में आई थी, देखते हैं जनता यहां पर इस बार किसको मौका देती है और कौन यहां का सरताज बनता है।