लोकसभा चुनाव 2019: रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद शिवसेना के विनायक भाऊराव राउत हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण राणे के बेटे निलेश राणे को 150, 051 वोटों से पराजित किया था। भाऊराव राउत को 493,088 मत हासिल हुए थे तो वहीं निलेश राणे को 343, 037 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर कांग्रेस, नंबर 3 पर बसपा और नंबर 4 पर आप थी। उस साल यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 137, 361 थी, जिसमें से मात्र 896, 256 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें से पुरुषों की संख्या 444, 364 थी और महिलाओं की संख्या 451, 892 थी। कांग्रेस के गढ़ में शिवसेना के विनायक भाऊराव राउत ने जीत दर्ज की थी, ये कांग्रेस और उसके सहयोगियों के लिए करारा झटका थी।
रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट का इतिहास
रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग संसदीय सीट केअंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर पहली बार साल 2009 में चुनाव हुआ था, जिसे कि कांग्रेस के निलेश राणे ने जीता था लेकिन साल 2014 का चुनाव यहां पर शिवसेना ने जीता और विनायक भाऊराव राउत सांसद चुने गए और निलेश राणे को करारी हार का सामना करना पड़ा था। यहां आपको ये भी बता दें कि साल 2014 का चुनाव शिवसेना और भाजपा दोनों ने मिलकर लड़ा था।
विनायक भाऊराव राउत का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान विनायक भाऊराव राउत की लोकसभा में उपस्थिति 81 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने 117 डिबेट में हिस्सा लिया है और 937 प्रश्न पूछे हैं। आपको बता दें कि इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी साथ-साथ हैं।
सिन्धुदुर्ग, परिचय-प्रमुख बातें-
सिन्धुदुर्ग महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले से निकला हुआ भाग है। इसका मुख्यालय ओरस में है। यह अपने दुर्ग के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं, सिंधुदुर्ग किले को राजा शिवाजी द्वारा 1664 में बनवाया गया था, यह किला 50 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और 9.2 मीटर ऊंचे और 4 किमी लंबी किले की दीवार के साथ 42 बुर्ज इसकी शोभा बढ़ाते हैं,जबकि बाल गंगाधर तिलक की जन्मस्थली रत्नागिरि महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र का भाग है। यह क्षेत्र पश्चिम में सहयाद्रि पर्वतमाला से घिरा हुआ है। रत्नागिरि अल्फांसो आम के लिए पूरे भारत में मशहूर हैं। रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग की कुल आबादी 1,833, 966 थी, जिसमें से 17 प्रतिशत आबादी गांवों में और 5 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं। यहां 5 प्रतिशत लोग sc वर्ग के भी हैं।
ये देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार भी यहां शिवसेना का जादू चलेगा ये एक बड़ा सवाल है जो कि हर किसी के दिमाग में घूम रहा है, इस बार शिवसेना की यहां वापसी इस बात पर भी निर्भर करेगी कि राउत ने विकास के नाम पर यहां की जनता को कितना संतुष्ट किया है क्योंकि साल 2014 के चुनाव में शिवसेना और बीजेपी दोनों ने यहां पर विकास को मु्द्दा बनाया था, तो वहीं कांग्रेस यहां वापसी करने की हर मुमकीन कोशिश करेगी, देखते हैं कि वो अपनी इस कोशिश में कामयाब हो पाती है या नहीं। फिलहाल इसमें कोई शक नहीं की इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, जिसमें विजेता वो ही होगा जिसे कि जनता का साथ मिलेगा और वो किसके साथ है, इसका पता चुनावी नतीजे ही बताएंगे।
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