लोकसभा चुनाव 2019- पूर्णिया लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के नेता संतोष कुशवाहा है। उन्होंने भाजपा से ये सीट छीनी थी। पूर्वोत्तर बिहार का सबसे बड़ा नगर पूर्णिया, स्वास्थ्य सेवा, मोटर पार्ट, अनाज और किराना मंडी के कारण पूरे पूर्वी भारत में विख्यात है। मुगल काल से ही पूर्णिया प्रशासनिक दृष्टीकोण से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, पूर्णिया की जनसंख्या 3,264,619 है, जिनमें पुरुषों की संख्या 1,699,370 और महिलाओं की संख्या 1,565,249 है, पूर्णिया हमेशा उत्तर बिहार क्षेत्र में शिक्षा का केंद्र रहा है।
पूर्णिया लोकसभा सीट में विधानसभा क्षेत्र
पूर्णिया लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनके नाम हैं कसबा, बनमनखी, रूपौली, पूर्णिया, कोढ़ा और धमदाहा है। साल 1952 से 1971 तक यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। फणि गोपाल सेन यहां के पहले सांसद बने थे, उन्होंने 1962 तक इस क्षेत्र का लगातार प्रतिनिधित्व किया। 1971 में मो. ताहिर कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने गए, 1977 में जनता पार्टी की लहर में यह सीट कांग्रेस की झोली से छीन गई और लखनलाल कपूर यहां के गैर कांग्रेसी सांसद बने लेकिन 1980 में यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में चली गई और माधुरी सिंह यहां से एमपी बनीं, वो 1980 से 1989 तक यहां की सांसद रहीं, 1989 में जनता दल के टिकट पर मो. तस्लीमउद्दीन इस सीट से विजयी हुए तो 1996 में सपा की टिकट पर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव यहां से एमपी बने, साल 1998 में जयकृष्ण मंडल ने पहली बार यहां भाजपा का परचम लहराया और सांसद बने, 1999 में यहां से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, साल 2004 से साल 2009 तक लगातार दो बार भाजपा से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने यहां का प्रतिनिधित्व किया। साल 2014 में जदयू के टिकट पर संतोष कुशवाहा सांसद चुने गए।
संतोष कुशवाहा का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों के दौरान लोकसभा में सांसद संतोष कुशवाहा की उपस्थिति 70 प्रतिशत रही है तो वहीं इस दौरान उन्होंने 24 डिबेट में हिस्सा लिया है और 177 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर दो पर भाजपा, नंबर तीन पर कांग्रेस और चार पर JMM रही थी,उस साल यहां पर मतदाताओं की संख्या 15 लाख 82 हजार 967 थी, जिसमें से मात्र 10 लाख 17 हजार 732 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5 लाख 11 हजार 512 और महिलाओं की संख्या 5 लाख 6 हजार 220 रही थी। संतोष कुशवाहा ने भाजपा नेता उदय सिंह को 11,6669 वोटों से हराया था।
पिछले चुनाव की तुलना में इस बार सियासी समीकरण बदल चुके हैं, पिछली बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी JDU से हारी थी, तब जदयू और भाजपा दोनों अलग-अलग थे जबकि इस बार दोनों साथ हैं, ऐसे में विरोधी दलों की रणनीति इस सीट को पाने की क्या होगी, ये देखना दिलचस्प होगा। पूर्णिया की 60 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की और 38 प्रतिशत मुस्लिमों की है, यहां यादव वोट भी बहुतायत में है,यादव और अल्पंख्यक मतों की गोलबंदी पर ही हार-जीत का फैसला निर्भर है, हालांकि, अतिपिछड़ी जातियां भी एक ताकत के तौर पर यहां स्थापित हैं जो किसी की भी पार्टी के गणित को फेल कर सकती है।