हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: पानीपत सिटी सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है। राज्य में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे, जबकि वोटों की गिनती का काम 24 अक्टूबर को होगा। यहां एक लाख तीस हजार मशीनों द्वारा मतदान कराया जाएगा। हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीट हैं। जबकि मतदाताओं की संख्या 1.82 करोड़ है। साल 2014 के चुनावों में बीजेपी को 47 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं।
चलिए अब बात करते हैं राज्य की पानीपत सिटी सीट के बारे में। पानीपत सिटी विधानसभा में लगभग 2 लाख 96 हजार मतदाता हैं। पिछले चुनावों में बीजेपी की रोहिता रेवड़ी ने पहली बार यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्हें कुल 92,757 वोट से जीत मिली थी। रोहिता रेवड़ी ने कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार शाह को 53,721 वोटों से हराया था। रोहिता रेवड़ी से पहले साल 2009 में इस सीट पर 38.42 (36,294 वोट) फीसदी वोटों के साथ कांग्रेस के बलबीर पाल सिंह ने जीत हासिल की थी। बलबीर सिंह ने बीजेपी के संजय भाटिया को 12,159 वोटों से हराया था।
पानीपत सिटी सीट का इतिहास
1952 में पहली बार हुए चुनाव में यहां कांग्रेस के कृष्ण गोपाल दत्त ने जनसंघ के कुंदनलाल को पराजित किया था। फिर 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार परमानंद जनसंघ के जय नारायण को पराजित कर विधायक बने। 1962 में चुनाव में जनसंघ के फतेह चंद ने कांग्रेस के परमानंद को परास्त किया। बता दें हरियाणा के राज्य बनने के बाद 1967 में हुए पहले चुनावों में भी यहां से जनसंघ के फतेह चंद ही जीते थे।
उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार हुकूमत राय शाह को हराया था। 1968 के मध्यावधि चुनावों में भी फतेह चंद ने ही जीत हासिल की। उन्होंने इस बार कांग्रेस के चमनलाल आहूजा को हराया। हालांकि इस चुनाव में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल के बलबीर सिंह 6 हजार वोट हासिल करने में कामियाब रहे थे। 1972 में हुए चुनाव में कांग्रेस के हुकूमत राय शाह ने तीन बार विधायक रहे फतेह चंद विज को शिकस्त दी। वहीं 1977 और 1982 के चुनाव में एक बार फिर फतेह चंद जीते और दोनों ही बार उन्होंने उम्मीदवार कस्तूरी लाल अहूजा को पराजित किया।
1987 में हुकूमत राय शाह के बेटे बलबीर पाल शाह ने कांग्रेस की ओर से मोर्चा संभाला और निर्दलीय उम्मीदवार कस्तूरी लाल आहूजा को पराजित किया। बीजेपी के महेंद्र कुमार तीसरे स्थान पर रहे। बलबीर पाल शाह उन पांच कांग्रेसी विधायकों में से एक थे, जो चौधरी देवीलाल की आंधी में भी चुनाव जीतने में सफल हुए। शाह की जीत से प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उन्हें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया था।
शाह ने 1991 में भी जीत हासिल की। उन्होंने इस बार निर्दलीय उम्मीदवार ओम प्रकाश जैन को हराया। लेकिन 1996 में बलबीर शाह पाल निर्दलीय उम्मीदवार ओम प्रकाश जैन से हार गए। साल 2000 में बलबीर पाल शाह ने बीजेपी के मनोहर लाल को पराजित किया।
2005 और 2009 के चुनावों में बलबीर ने फिर से कांग्रेस को जीत दिलाई। उन्होंने पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार ओम प्रकाश जैन को हराया था। बीजेपी के संजय भाटिया तीसरे और इनेलो के कस्तूरी लाल आहूजा चौथे स्थान पर रहे। 2009 में शाह ने बीजेपी के संजय भाटिया को मात दी।
वहीं इनेलो के सुरेश मित्तल 21 हजार वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार पानीपत सिटी को रोहिता रेवड़ी के रूप में पहली महिला विधायक मिलीं। उन्होंने कांग्रेस के वीरेंद्र कुमार शाह को करीब 53 हजार वोट से हराया था। उनकी जीत के साथ ही यहां 32 साल बाद कमल खिला। इनेलो की नीलम नारंग महज 2600 वोट ही पा सकीं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: बड़ौदा सीट के बारे में जानिए