लोकसभा चुनाव 2019: हावेरी लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली। कर्नाटक की हावेरी लोकसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई। नए परिसीमन में हावेरी संसदीय क्षेत्र बनाया गया, जिसके बाद 2009 में यहां पहली बार चुनाव हुए। इससे पहले ये क्षेत्र धरवाड़ साउथ, धारवाड़ नॉर्थ और बगलकोट लोकसभा सीट में बंटा हुआ था। इस सीट पर 2009 और 2014 में दो बार लोकसभा का चुनाव हुआ है, दोनों ही बार यहां भाजपा ने जीत दर्ज की है। ऐसे मे इस सीट पर भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट 100 परसेंट है। यहां से अभी भाजपा के उदासी शिवकुमार छनबसप्पा सांसद हैं।
2009 में हावेरी संसदीय क्षेत्र में हुए चुनाव में बीजेपी के उदासी शिवकुमार ने कांग्रेस के सलीम अहमद को हराकर जीत दर्ज की। 2014 में एक बार फिर शिवकुमार ने अहमद को इस सीट पर हराया। 2014 में यहां 72 फीसदी मतदान हुआ था। कुल पड़े 11,15,968 मतों में से शिवकुमार को यहां से 5,66,790 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे सलीम अहमद को 4,79,219 वोट मिले। कुल पड़े मतों का 51 फीसदी शिवकुमार और 43 प्रतिशत सलीम अहमद को मिले। शिवकुमार ने 87,571 वोटों से जीत दर्ज की। 51 साल के शिवकुमार की लोकसभा में उपस्थिति 93 फीसदी रही है। उन्होंने 133 डिबेट में हिस्सा लिया है, वहीं अब तक 434 सवाल वो सदन में पूछ चुके हैं।
हावेरी संसदीय क्षेत्र बात करें तो इसमें आठ विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिनमें दो सीटें एससी के लिए सुरक्षित हैं। यहां की आबादी 21,44,547 है। इसमें ग्रामीण 72 फीसदी और शहरी आबादी 28 प्रतिश है। सीट पर 15 प्रतिशत एससी और आठ फीसदी एसटी समुदाय के लोग रहते हैं। इस लोकसभा सीट पर 15,58749 वोटर हैं। इसमें 8,07076 पुरुष और 7,51,673 महिलाएं हैं।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के केंद्र में स्थित हावेरी एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो अपने प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसे कर्नाटक के उत्तरी जिलों का गेटवे भी कहा जाता है। गडग जिले के साथ हावेरी कभी अविभाजित धारवाड़ जिले का हिस्सा हुआ करता था। बाद में इसे पुराने धारवाड़ से अलग कर एक नए जिले के रूप में स्थापित किया गया।
हावेरी के खास स्थलों की बाक करें तो यहां यहां का सिद्धेश्वर मंदिर एक लोकप्रिय मंदिर है, जिले का बाहरी इलाके में बना हुआ है। सिद्धेश्वर मंदिर के अलावा यहां का बंकापुर मोर अभयारण्य जिले का एक प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट है, जहां आप एक हजार से ज्यादा मोरों को देख सकते हैं। रानेबेन्नुर ब्लैकबक अभयारण्य की सैर का आनंद ले सकते हैं। खासकर काले हिरण को सुरक्षित आवास प्रदान करने के उद्देश्य से इसे 1974 में ब्लैकबक सेंचुरी घोषित किया गया था। जो 6,000 से ज्यादा काले हिरणों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है।