लोकसभा चुनाव 2019: बुलंदशहर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की बुलंदशहर लोकसभा सीट पर इस वक्त भाजपा का कब्जा है। साल 2014 में यहां पर बीजेपी के डॉ. भोला सिंह ने बसपा को धूल चटाकर सीट अपने नाम की थी। हाल ही के दिनों में गोहत्या के चलते भड़की हिंसा के कारण ये शहर सुर्खियों में आ गया था। साल 2014 के चुनाव में 1736436 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 53 प्रतिशत पुरुष और 46 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं।
राजनीतिक
घटनाक्रम
यहां
पहला
लोकसभा
चुनाव
1952
में
हुआ
जिसमें
भारतीय
राष्ट्रीय
कांग्रेस
के
रघुबर
दयाल
मिश्र
भारी
मतों
से
विजयी
हुए
थे।
वो
लगातार
10
सालों
तक
बुलंदशहर
के
सांसद
रहे,
तीसरे
लोकसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
के
ही
नेता
सुरेंद्र
पाल
सिंह
सांसद
की
कुर्सी
पर
बैठे
और
लगातार
3
बार
जीत
हासिल
की।
1977
में
भारतीय
लोकदल
के
बाबू
बनारसी
दास
बुलंदशहर
के
सांसद
बने
थे।
1984
के
बाद
से
यहां
कांग्रेस
कभी
भी
नहीं
जीत
पाई।
1991
से
लेकर
साल
2004
के
चुनावों
तक
यहां
भाजपा
का
कब्जा
रहा
,
साल
2004
में
भाजपा
के
नेता
कल्याण
सिंह
यहां
के
सांसद
बने।
साल
2009
के
चुनाव
में
भाजपा
को
सपा
के
कमलेश
बाल्मिकी
के
हाथों
हार
का
सामना
करना
पड़ा
लेकिन
साल
2014
में
उसने
जबरदस्त
ढंग
से
इस
सीट
पर
वापसी
की।
मौजूदा सांसद के बारे में:
डॉ. भोला सिंह काफी चर्चित नेताओं में से एक हैं, पिछले पांच सालों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने लोकसभा में 98 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई है और 19 डिबेट में हिस्सा लिया है और 174 सवाल पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर BSP दूसरे, SP तीसरे, RLD चौथे और AAP पांचवें नंबर पर रही थी।
बुलंदशहर एक परिचय: प्रमुख बातें
- अहिबरन नाम के राजा ने यहां एक बरन मीनार की नीवं रखी थी और इस शहर को उसने अपनी राजधानी बनाया था, तब इसका नाम बारनशहर हुआ करता था।
- मुग़ल काल में इसका नाम बुलंदशहर रखा गया, जो कि फारसी का शब्द है।
- भातोरा, वीरपुर, घलिबापुर जैसे क्षेत्रों में पाए गये प्राचीन खंडहर बुलंदशहर की प्राचीनता के सबूत को बखूबी पेश करते हैं।
- बुलंदशहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं जिनके नाम हैं बुलंदशहर, सयाना, अनूपशहर, डिबाई और शिकारपुर।
- बुंलदशहर की की 77 प्रतिशत आबादी हिंदू और 22प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है