लोकसभा चुनाव 2019: बागलकोट लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली। कर्नाटक की बागलकोट लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के जी. पी. चंद्रगौड सांसद हैं। चंद्रगौड ने 2004 में पहली बार यहां से चुनाव जीता था और इस सीट पर भाजपा का खाता खोला था। उसके बाद से 2009 और फिर 2014 में वो यहीं से लोकसभा पहुंचे हैं। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अजय कुमार को उन्होंने 1,16,560 वोटों से हराया था।
बागलकोट की कुल आबादी 21,24,906 है। इसमें 70 फीसदी लोग गांव में रहते हैं जबकि 30 फीसदी आबादी शहरी है। बागलकोट में कुल मतदाताओं की संख्या 15,68,620 है। इसमें पुरुषों की संख्या 7,93,338 और महिलाएं 7,75,282 हैं। 2014 में कुल 10,79,310 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। यहां कुल 69 प्रतिशत मतदान हुआ था। चंद्रगौड का लोकसभा के अपने इस कार्यकाल में सदन में उपस्थिति 86 फीसदी रही है, उन्होंने आठ बहसों में हिस्सा लिया और 94 सवाल पूछे हैं।
बागलकोट लोकसभा सीट के तहत आठ विधानसभा सीटें आती हैं। आजादी के बाद हुए चुनावों में इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। कांग्रेस यहां से सबसे ज्यादा आठ बार जीती है। पहले इलेक्शन में ये सीट बॉम्बे स्टेट में आती थी। 1957 से 1971 तक ये मैसूर स्टेट में रही। 1971 के बाद ये कर्नाटक में आई। 1991 तक यहां लगातार कांग्रेस के ही उम्मीदवार जीते। 1996 में जनता दल और 1998 के चुनाव में लोकशक्ति को जीत मिली। इसके बाद 1999 में हुए चुनावों में दोबारा कांग्रेस के आर.एस पाटिल ने जीत हासिल की।
2004 में बीजेपी के जी.पी. चंद्रगौड़ ने जीत हासिल की। 2009 के आम चुनावों में भी वही सांसद चुने गए और 2014 में चुनाव जीतकर उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई। कर्नाटक में इस समय जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार है। 2019 में कांग्रेस और जेडीएस ने अगर एक साथ रहकर चुनाव लड़ा तो हो सकता है कि एक बेहद दिलचस्प और करीबी मुकाबला बागलकोट सीट से हमें देखने को मिले।
कर्नाटक का बागलकोट एक प्राचीन शहर है, जो अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह शहर बंगलुरू से 523 किमी की दूर है। बताया जाता है कि इस शहर का प्राचीन नाम बगाडिगे हुआ करता था जो बाद में बागलकोट हो गया। इस शहर के बारे में एक किवंदती मशहूर है वो ये कि इस शहर को रावण ने गायन मंडली को दिया गया था। बागलकोट पर आजादी से पहले विजयनगर साम्राज्य से लेकर पेशवा, मैसूर रियासत, मराठा और ब्रिटिशों का शासन रहा है।
यह शहर 1818 के दौरान अंग्रेजों के अधीन आया था। इसके अलावा यह शहर आजादी के आंदोलन के दौरान एक प्रमुख केंद्र रहा। बागलकोट में घूमने के लिए भी देश-विदेश से लोग आते हैं। यहां बादामी गुफा और इसके अलावा पूरे बागलकोट जिले में कई शानदार और खूबसूरत मंदिर और इमारते हैं। कई रियासतों का शासन यहां रहने के चलते कई तरह की संस्कृतियों का संगम यहां देखने को मिलता है। इस संगम को देखने के लिए लोग यहां देश दुनिया से लोग आते हैं।