लोकसभा चुनाव 2019: अरानी/ आरणि लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: तमिलनाडु की अरानी/ आरणि लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद AIADMK के नेता वी. एलुमलै हैं। साल 2014 के चुनाव में उन्होंने इस सीट पर DMK नेता आर शिवानंद को 243, 844 वोटों से हराया था। वी. एलुमलै को यहां पर 502, 721 वोट मिले थे तो वहीं शिवानंद को मात्र 258, 877 मतों पर संतोष करना पड़ा था। उस साल नंबर 3 पर यहां PMK प्रत्याशी थे जिन्हें कि 253,332 वोट ही मिले थे, जबकि इस सीट पर नंबर 4 पर कांग्रेस थी, जिसके प्रत्याशी को केवल 277, 17 वोट नसीब हुए थे।

अरानी लोकसभा सीट का इतिहास
साल 2008 में परिसीमन के बाद अरानी/ आरणि लोकसभा सीट अस्तित्व में आई, जहां साल 2009 में यहां पहली बार आम चुनाव हुए जिसमें कि कांग्रेस के एम कृष्णासामी को जीत मिली थी लेकिन साल 2014 के चुनाव में यहां कांग्रेस बहुत बुरी तरह से हारी और ये सीट AIADMK के नेता वी. एलुमलै ने जीत ली। मौजूदा सासंद वी. एलुमलै को लोग जमीनी नेता मानते हैं, उन्होंने कृषि के क्षेत्र में वैसे काफी काम भी किया है और यही वजह थी कि AIADMK ने साल 2014 में भरोसा करके उन्हें टिकट दिया था, जिसे कि एलुमलै ने, जीत के साथ सही साबित भी किया , उन्होंने यहां के विकास कार्यों के लिए काफी अथक प्रयास भी किए हैं, जिसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इनके 25 करोड़ की सांसद निधि में से मात्र 3.23 करोड़ ही इनके पास बचे हैं।
अरानी/ आरणि, परिचय-प्रमुख बातें-
अरानी/ आरणि, तमिलनाड़ु राज्य के तिरूवनामलाई जिले का छोटा सा हिस्सा है, जो कि शब्द Aranyam से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है, ऐसी जगह जिसके चारों और जंगल है, वैसे भी तिरूवनामलई अपने घने जंगलों और अन्नामलाई मंदिर के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय है, इसे तीर्थनगरी कहा जाता है इसलिए लाखों की संख्या में हर रोज लोग यहां पर दर्शन करने आते हैं। तमिलनाडु का ये क्षेत्र अपने धान उत्पादन और सिल्क की साड़ी के लिए पूरे भारत में मशहूर है। यहां की जनसंख्या 18,04,274 है, जिसमें से 83.50% आबादी गांवों मे रहती है और 16.50% लोग शहरों में निवास करते हैं। यहां पर 23.16% लोग एससी और 1.29% लोग एसटी वर्ग की है।
वी. एलुमलै का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उनकी उपस्थिति 88 प्रतिशत रही और इस दौरान उन्होंने 76 डिबेट में हिस्सा लिया है और 470 प्रश्न पूछे हैं, जिनमें से ज्यादातर सवाल महिलाओं-बच्चों की शिक्षा और विकास कार्य से जुड़े हुए थे। साल 2014 में यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 13,69,668 थी, जिसमें से मात्र 10,96,046 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग यहां पर किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,48,023 और महिलाओं की संख्या 5,48,023 थी।
साल 2014 में AIADMK ने यहां DMK को शिकस्त दी थी, जो कि उसके लिए काफी बड़ा झटका थी, लेकिन क्या इस बार भी ऐसा कुछ होगा, यही सवाल हर किसी के दिमाग में घूम रहा है, दरसअसल इस बार दोनों ही पार्टियों ने अपने कद्दावर लोकप्रिय नेताओं को खो दिया है, AIADMK जहां जयललिता के निधन के बाद बिखरी है वहीं DMK भी करूणानिधि के जाने का गम सह रहा है, ऐसे में इस सीट पर उनके जाने का असर होगा, ऐसा राजनीतिक पंडित कयास लगा रहे हैं, उनका कहना है कि इस सीट पर एक बार फिर से 'नेक टू नेक' की फाईट देखने को मिल सकती है, फिलहाल इसमें कोई शक नहीं कि इस जंग में विजयश्री उसी को मिलेगी जिसे जनता का साथ मिलेगा और वो किसके साथ है, इस जवाब तो हमें चुनावी नतीजे ही देंगे।