डेंगू के इलाज के लिए 5 लाख के खर्च के बदले अस्पताल ने वसूला 16 लाख ,फिर भी मरीज की मौत
नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। फाइव स्टार होटलों की तरह दिखने वाले प्राइवेट अस्पताल इलाज के नाम पर मरीजों को लूट रहे हैं। पिछले साल डेंगू मरीज के साथ गुरुग्राम के निजी अस्पताल ने जो किया वो किसी से छुपा नहीं है। डेंगू के इलाज के नाम पर मरीज के परिजनों से 16 लाख रुपए वसूले गए। जबकि इतने महंगे इलाज के बाद भी मरीज को बचाया नहीं जा सका। बच्चे के पिता ने अस्पताल का बिल चुकाने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया, लेकिन अब टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने प्राइवेट अस्पताल ने पोल खोल दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे प्राइवेट अस्पताल में मनमाना बिल वसूलते हैं?
रिपोर्ट में खुली प्राइवेट अस्पताल की पोल
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कैसे डेंगू से पीड़ित 9 साल के चिराग के इलाज के लिए अस्पताल ने 16 लाख रुपए वसूल लिए। अस्पताल ने 22 दिनों तक चिराग का इलाज किया और दवाई से लेकर मेडिकल टेस्ट के नाम पर मनमाना दाम वसूला। रिपोर्ट में 53 पन्नों के बिलों पर छानबीन की गई है। अस्पताल द्वारा लगाए गए चार्ज और NPPA द्वारा निर्धारित मूल्यों का आंकलन किया गया है। रिपोर्ट में CGHS, NACO और ब्लड बैंक द्वारा मेडिकल टेस्टों के निर्धारित कीमतों के साथ तुलना की गई है। इस रिपोर्ट में जो बात सामने आई वो हैरान करने वाली है।
9 लाख के बदले 16 लाख का बिल
रिपोर्ट के मुताबिक निजी अस्पताल में दवाइयों पर मरीज से निर्धारित मूल्य से 4.7 गुणा ज्यादा वसूला गया। अस्पताल द्वारा चिराग के परिजनों को थमाए गए बिल में 6.2 लाख सिर्फ दवाइयों के लिए वसूला गया। अगर मरीज को सही कीमत पर ये दवाईयां दी जाती तो उसकी कीमत 1.3 लाख और अगर अस्पताल अपना मार्जिन लेकर भी देता तो 1.5 लाख ही होता, लेकिन चिराग के परिजनों से दवाईयों के नाम पर 6.2 लाख रुपए वसूले गए। यानी उन्हेंन 6.2-1.5 लाख= 4.7 लाख रुपए ज्यादा चुकाना पड़ा।
प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी
बिल में consumables के नाम पर मरीज से 1.03 लाख रुपए वसूले गए। अस्पताल के इस्तेमाल के लिए अगर निर्धारित बिल की बात करें तो मार्जिन के साथ ये 29000 रुपए बनता है, लेकिन अस्पताल ने मरीज से 74000 रुपए अधिक बिल वसूले। उसी तरह से मेडिकल टेस्ट और ब्लड बैंक के नाम पर चिराज के परिजनों से2.9 लाख रुपए वसूले गए, जबकि CGHS और NACO के मुताबिक इसकी कीमत करीब 1 लाख आनी चाहिए। अस्पताल ने 1.9 लाख रुपए अधिक वसूले।
ICU चार्ज के नाम पर मोटी रकम
अस्पताल ने आईसीयू, डॉक्टर्स की रुटिन चेकअप के नाम पर मरीज से 5.5 लाख रुपए वसूले। जबकि इसकी कीमत करीब 3.8 लाख रुपए होनी चाहिए। इसी तरह से अस्पताल ने करीब 1.7 लाख अतिरिक्त वसूले। हालांकि डॉक्टर्स मरीज को बचा तक नहीं सकेऔर अपनी मोटी कमाई करते रहे।
अस्पतालों का गोरखधंधा
रिपोर्ट में अस्पताल के बिल के 53 पन्नों का अध्ययन किया गया और पाया गया कि अस्पताल ने 22 दिनों में चिराग के इलाज के लिए 15.9 लाख का बिल बनाया, जबकि अगर मार्जिन के साथ अगर बिल बनाया जाता तो भी यह 9 लाख से अधिक नहीं होता, लेकिन डॉक्टरों ने मनमाना बिल बनाकर मरीज से 6.9 लाख रुपए अतिरिक्त वसूल लिए। अगर इसी डेंगू का इलाज सरकारी अस्पताल में करवाया जाता तो वहां बिल 5 लाख रुपए आता। लेकिन सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव में मरीज प्राइवेट अस्पतालों का रूख करते है और उनके ठगी का शिकार बन जाते हैं।
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