RBI को नरम करना पड़ सकता है NPA का नियम, बैंकों का है सरकार पर भारी दबाव
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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस वर्ष फरवरी माह में जिस तरह से एनपीए को लेकर नियमों को सख्त किया है, उसके बाद से तमाम बैंकों ने इस बात की चिंता जाहिर की है आरबीआई की नई गाइडलाइन के बाद बैंकों को काफी मुश्किल हो रही है। गाइडलाइन में बदलाव की वजह से बैंकों को मुनाफा कमाने में काफी दिक्कत हो रही है, जिसकी वजह से वित्त मंत्रालय रिजर्व बैंक से इस बारे में बात कर रहा है कि नियमों कुछ बदलाव किया जाए जिससे की बैंकों को राहत दी जा सके।
12 फरवरी को जारी हुआ रिजोल्यूशन
दरअसल बैंकों का कहना है कि आरबीआई के नए नियमों के लागू होने के बाद लोगों को लोन देने के लिए काफी ज्यादा औपचारिकताएं करनी पड़ेंगी, जिसके लिए बैंकों को और भी अधिक पैसा रिजर्व में रखना पड़ेगा। 12 फरवरी को आरबीआई ने एक रिजोल्यूशन जारी किया था जिसमे कहा गया था कि लोन देने के लिए बैंकों को नए नियमों का पालन करना होगा। ऐसे में बैंकों के लिए अब लोन देना पहले की अपेक्षा आसान नहीं रहेगा।
मुश्किल होगा लोन देना
आपको बता दें कि हाल ही में जिस तरह से तमाम बैंकों में वित्तीय अनियमितता देखने को मिली और इससे बैंकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, उसके बाद आरबीआई ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए नियमों को सख्त करने का फैसला लिया है। आरबीआई के फैसले के बाद अब कॉर्पोरेट क्षेत्र, विशेष रूप से छोटे और मध्यम बिजनेस मैन के लिए कर्ज लेना आसान नहीं होगा। सारे नियम पूरे होने के बाद ही कर्ज दिया जा सकेगा। क्योंकि अब आरबीआई पीसीए प्रणाली पर काम कर रहा है, जिसके तहत नियमों के मुताबिक ही बैंक कर्ज दे सकेंगे।
धोखाधड़ी रोकने के लिए फैसला
सूत्रों की मानें तो तीन से चार बैंक ऐसे हैं जिनका लोन देने की प्रक्रिया में प्रदर्शन काफी खराब रहा है, जिसकी वजह से उन्हें आरबीआई पीसीए फ्रेमवर्क में लाना चाहता है। इस बाबत एक अधिकारी का कहना है कि ऐसा करने से बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी को कम किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार 21 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों को पीसीए की श्रेणी में लाया जा सकता है, जिसके तहत अगर ये बैंक न्यूनतम पूंजी, नॉन परफॉर्मेंस एसेट्स और रिटर्न एसेट्स पर लोन को लेकर नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।