राष्ट्रपति कोविंद का देश के नाम संबोधन, धर्म के नाम पर न हो भेदभाव
देश की 70वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देश को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी।
नई दिल्ली। देश की 70वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि देश स्वतंत्रता सेनानियों का ऋणी है। उनका उद्देश्य राजनीतिक लक्ष्य पाना नहीं था। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में महात्मा गांधी, बाबासाहब अंबेडकर, सरदार पटेल जैसे सेनानियों को याद किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
स्वतंत्रता सेनानियों का ऋणी है देश: रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधन में कहा कि मुझे अपने बचपन में देखी गई परंपरा याद है, किसी भी परिवार में किसी बेटी का विवाह होता था तो वह सबकी जिम्मेदारी होती थी, लेकिन आज शहरों में स्थिति अलग है। ऐसे में समाज में साझेदारी भावना को जगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बेटियों के साथ भेदभाव ना हो सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेवारी है।
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राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ सभी तक पहुंचे इसमें सभी को यागदान देना चाहिए। टैक्स को आसान बनाने के लिए जीएसटी आई है। नागरिक और सरकार साझेदार बनें। मुझे खुशी है कि सभी ने जीएसटी को खुशी से स्वीकारा है।राष्ट्रपति ने समाज के सभी लोगों से गरीब बच्चों की शिक्षा में योगदान देने के लिए आग्रह किया। राष्ट्र निर्माण के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपनी भावी पीढ़ी पर पूरा ध्यान दें। आज पूरी दुनिया भारत को सम्मान से देखती है। राष्ट्रपति कोविंद ने गैस सब्सिडी छोड़ने वालों की तारीफ की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नोटबंदी के समय सरकार का साथ देने के लिए देशवासियों को सराहा। न्यू इंडिया में गरीबी के लिए कोई जगह नहीं होगी। जरूरी है कि न्यू इंडिया हमारे डीएनए में रचे बसे, जिसमें हमारी मानवीय भाव समाहित हों।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार कानून बना सकती है, लागू कर सकती है और कड़े भी कर सकती है लेकिन यह सभी का जिम्मेदारी है कि वह उनका पालन भी करें। हमें अपने दिव्यांग भाईयों और बहनों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा समाज हो जहां बेटा-बेटी में या धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं हो। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम टैक्स चुकाने में गर्व की भावना का प्रचार करें। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमें शिक्षा के मापदण्ड और भी ऊंचे करने होंगे। गौतम बुद्ध ने कहा था, 'अप्प दीपो भव... यानि अपना दीपक स्वयं बनो...'।