प्रणव मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह को खाली करना पड़ सकता है अपना सरकारी आवास
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह जल्द ही लुटियन दिल्ली में अपने सरकारी आवास को खो सकते हैं। दरअसल पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट को एक सुझाव दिया है, अगर कोर्ट ने इस सुझाव को स्वीकार कर लिया तो इन लोगों को अपना सरकारी आवास खाली करना पड़ सकता है जोकि उन्हें उनके उच्च पदों पर आसीन होने के समय आवंटित किया गया था।
जनहित याचिका में उठाया गया सवाल
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा पिछले वर्ष 23 अगस्त को सुब्रमण्यम को लोक प्रहरी एनजीओ की ओर से दाखिल याचिका में एमिकस क्यूरी बनाया था, जिसमे उनसे कहा गया था कि वह इस मामले में अपना सुझाव दें। इस याचिका के बाद ही उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी आवास खाली करने पड़े थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि इस याचिका में जनहित के अहम सवाल हैं, इसका असर ना सिर्फ प्रदेश बल्कि केंद्र के नेताओं पर भी पड़ सकता है, इस याचिका के कई पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है।
कई लोगों के घर को बना दिया जाता है मेमोरियल
सुब्रमण्यम ने कहा कि शीर्ष संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को पद की अवधि खत्म होने के बाद वह साधारण नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करने लगते हैं, लिहाजा उनके सरकारी आवास को भी वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से इन आवास में ये पूर्व नेता रहते हैं उसे कई बार उनके मेमोरियल के तौर पर स्थापित कर दिया जाता है। इससे पहले बाबू जगजीवन राम के लिए जो घर आवंटित था उसे मेमोरियल बना दिया गया, इसी तरह जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के घर को भी मेमोरियल बना दिया गया।
पद से हटने के बाद वापस होना चाहिए घर
सुब्रमण्यम ने अपने सुझाव में कहा है कि एक बार जब पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अपने पद से हट जाते हैं तो उनके पब्लिक ऑफिस के साथ आवास को भी वापस ले लेना चाहिए। पद से हटने के बाद उन्हें ये लोग साधारण नागरिक की तरह जीवन यापन करते हैं, लिहाजा इन्हें अलग सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए, हालांकि उन्हें तमाम पेंशन, कुछ प्रोटोकॉल के अलावा मिलने वाली सुविधाएं पहले की तरह जारी रहनी चाहिए।
16 जनवरी को होगी सुनवाई
शुक्रवार को जस्टिस गोगोई और आर भानुमती की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की, इस मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी, जिसमे इन पूर्व राष्ट्रपति, पीएम और सीएम के आवास पर फैसला दिया जा सकता है। इस दौरान यह बहस की जा सकती है कि पब्लिक प्रॉपर्टी को साधारण नागरिक को नहीं दिया जा सकता है, जैसा कि पहले लोगों को दिया जाता रहा है। सुब्रहमण्यम ने अपने तर्क में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार पद से हटने के बाद पूर्व नेताओं को सरकारी आवास दिया जाना कानून का उल्लंघन है।